सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने को प्रशासन सख्त, डीएम ने दिए प्रभावी निर्देश
सड़क दुर्घटनाएं गंभीर सामाजिक चुनौती, निपटने के लिए जन-जागरूकता के साथ सख्त प्रवर्तन आवश्यक

अलीगढ़ : जिलाधिकारी संजीव रंजन की अध्यक्षता में कलैक्ट्रेट सभागार में शुक्रवार को जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक आयोजित की गई, जिसमें सड़क दुर्घटनाओं को न्यूनतम करने के लिए ठोस और प्रभावी उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई। जिलाधिकारी ने कहा कि सड़क दुर्घटनाएं केवल प्रशासनिक या तकनीकी समस्या नहीं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक चुनौती हैं, जिनसे निपटने के लिए जन-जागरूकता के साथ-साथ सख्त प्रवर्तन भी आवश्यक है।
डीएम ने निर्देश दिए कि सड़क सुरक्षा से जुड़े जागरूकता कार्यक्रम समयबद्ध रूप से पूरे किए जाएं और प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया सहित सभी माध्यमों से यातायात नियमों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। एम्बुलेंस एवं स्कूली वाहनों की फिटनेस की जांच अनिवार्य रूप से कराए जाने, और इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही न बरतने के निर्देश दिए गए।
जिलाधिकारी ने शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों पर जेब्रा क्रॉसिंग, व्हाइट लाइन और रोड मार्किंग को दुरुस्त कराने के निर्देश दिए। राष्ट्रीय राजमार्गों व स्टेट हाईवे पर अव्यवस्थित ढंग से वाहनों को खड़ा न करने, कोहरे के दौरान कान्वॉय लगाकर सुरक्षित वाहन संचालन सुनिश्चित कराने और सड़कों पर पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश भी दिए गए। पीडी, एनएचएआई अजित यादव को अकराबाद एवं गभाना टोल प्लाजा पर लगातार जागरूकता एनाउंसमेंट, एम्बुलेंस और पेट्रोलिंग वाहनों को सक्रिय रखने के निर्देश दिए गए।
एसएसपी नीरज कुमार जादौन ने एनएचएआई को जिले के लिए डेडिकेटेड एम्बुलेंस एवं पेट्रोलिंग वाहन उपलब्ध कराने एवं साप्ताहिक कार्रवाई रिपोर्ट लिखित रूप में एसपी यातायात को देने के निर्देश दिए। बैठक में शहर की चरमराती यातायात व्यवस्था में सुधार पर गहन विचार-विमर्श किया गया। सड़कों पर जाम की प्रमुख वजह बन रही रोडवेज बसों की अव्यवस्थित पार्किंग पर नाराजगी जताते हुए डीएम व एसएसपी ने निर्देश दिए कि बसें केवल निर्धारित स्टॉपेज से ही यात्रियों को चढ़ाएं-उतारें। सारसौल चौराहे समेत अन्य व्यस्त मार्गों पर सड़क पर बस खड़ी कर यातायात बाधित करने पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए। लेफ्ट फ्री मार्गों को अवरुद्ध करने वाली बसों पर भी निगरानी बढ़ाने को कहा गया। स्कूली वाहनों की सुरक्षा को सर्वाेच्च प्राथमिकता देते हुए बसों में क्षमता से संबंधित स्टीकर अनिवार्य रूप से लगाने, आपातकालीन द्वार व खिड़कियों को क्रियाशील रखने व आपातकालीन द्वारों को सामान रखकर अवरुद्ध न करने के निर्देश दिए गए। दोपहिया वाहनों द्वारा इंडिकेटर के सही उपयोग को लेकर जन-जागरूकता बढ़ाने पर भी जोर दिया गया। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय राजमार्गों पर शराब के ठेकों की स्थापना एवं उनसे संबंधित विज्ञापन सामग्री का प्रयोग नियमानुसार ही किए जाने के निर्देश दिए गए।
बैठक में यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि प्रशासन, पुलिस और संबंधित विभागों के समन्वय से ही सड़क दुर्घटनाओं में प्रभावी कमी लाई जा सकती है। जनहित में उठाए गए ये कदम न केवल दुर्घटनाओं को कम करेंगे, बल्कि आमजन को सुरक्षित और सुगम यातायात भी सुनिश्चित करेंगे। सड़क दुर्घटनाओं की समीक्षा में पाया गया की माह नवंबर में 107 सड़क दुर्घटना हुई, जिसमें 55 जानें असमय काल के गाल में समा गई, जिसमें एक्सप्रेस वे पर 01, राष्ट्रीय राजमार्ग पर 35, राज्य मार्ग पर 19, प्रमुख जिला मार्ग पर 24 व अन्य जिला मार्ग पर 28 दुर्घटनाएं हुईं जो विगत माह की तुलना में लगभग 11 प्रतिशत अधिक है।
प्रवर्तन कार्यों की समीक्षा में पाया गया कि परिवहन एवं पुलिस विभाग द्वारा माह में ओवर स्पीडिंग के 9968, बिना हेलमेट ड्राइविंग के 51923, पिलियन राइडर बिना हेलमेट 17308, बिना सीटबेल्ट के 3042, रॉग साइड के 1807, रेड लाइट जंपिंग के 1702, ड्रंकन ड्राइव के 30 एवं वाहन चलाते समय मोबाइल के प्रयोग के 1252 प्रकरण दर्ज किए गए।
इस दौरान अपर जिलाधिकारी नगर किंशुक श्रीवास्तव, पुलिस अधीक्षक यातायात अरविंद कुमार, जिला विद्यालय निरीक्षक पूरन सिंह, पीडी एनएचएआई अजीत यादव, एआरटीओ प्रवेश कुमार, अधिशासी अभियंता लोनिवि, यातायात सलाहकार अरुण कुमार श्रीवास्तव, डीएसओ सत्यवीर सिंह, सेमत पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।



