दिल्ली की एक अदालत ने एक महिला पर उसके पूर्व पति की ओर से दायर दीवानी मानहानि के मामले में 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया
शादी 2001 में हुई थी. पति ने आरोप लगाया कि पत्नी 2009 में अपनी नाबालिग बेटी के साथ ससुराल का घर छोड़कर चली गई
दिल्ली की एक अदालत ने एक महिला पर उसके पूर्व पति की ओर से दायर दीवानी मानहानि के मामले में 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. अदालत ने कहा कि उसके कृत्यों से याचिकाकर्ता को ठेस पहुंची है और पेशेवर विकास में बाधा आई है. जिला जज सुनील बेनीवाल वादी (पूर्व पति) की ओर से दायर मुकदमे की सुनवाई कर रहे थे.महिला के पति का कहना था कि महिला ने 2010 के बाद से उसके परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और मित्रों के लिए अपमानजनक भाषा का प्रयोग करते हुए ई-मेल और संदेश भेजे थे, जिससे उसे उत्पीड़न, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, काम और प्रतिष्ठा की हानि और वित्तीय नुकसान हुआ. इसके कारण उसने 25 लाख रुपये का हर्जाना मांगा था.
कोर्ट ने लगाया 15 लाख रुपये का हर्जाना
अदालत ने 29 जुलाई के अपने आदेश में कहा कि प्रतिवादी को मानहानि के आधार पर वादी को 15 लाख रुपये का हर्जाना देने का निर्देश दिया जाता है. अदालत शिकायतकर्ता की ओर से अपनी पूर्व पत्नी के खिलाफ दायर मुकदमे पर विचार कर रही थी, जिसमें उसे बदनाम करने और उसके खिलाफ दुर्भावनापूर्ण और झूठे मुकदमे चलाने के लिए हर्जाने की मांग की गई थी.इन दोनों की शादी 2001 में हुई थी. पति ने आरोप लगाया कि पत्नी 2009 में अपनी नाबालिग बेटी के साथ ससुराल का घर छोड़कर चली गई. इसके बाद कई अदालतों और अधिकारियों के सामने उसके और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ अपमानजनक आरोप लगाकर झूठे मुकदमे दायर करना शुरू कर दिया.उसने यह भी दावा किया कि पत्नी ने उसे अपनी बेटी से भी मिलने नहीं दिया और बेटी को अपने पिता के प्यार और स्नेह से वंचित कर दिया. इसके अलावा यह भी तर्क दिया गया कि पत्नी ने अपने ईमेल अकाउंट के माध्यम से अपने दोस्तों के साथ चैट करते समय उसके और उसकी मां के खिलाफ घटिया और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया.