एडीएम की अध्यक्षता में आईजीआरएस पर प्राप्त शिकायतों के निस्तारण में बैठक संपन्न
असंतोषजनक फीडबैक की संख्या ज्यादा होने के जिले की ग्रेडिंग पर पड़ता है प्रतिकूल प्रभाव
अलीगढ़ आईजीआरएस पर प्राप्त शिकायतों के निस्तारण में किसी प्रकार की लापरवाही न की जाए। जनशिकायत निस्तारण पर सरकार का विशेष फोकस है। आप द्वारा किये गये फर्जी निस्तारण या असंतोषजनक फीडबैक के लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे।उक्त उद्गार अपर जिलाधिकारी नगर अमित कुमार भट्ट की ने कलैक्ट्रेट सभागार में आईजीआरएस पर प्राप्त होने वाले सन्दर्भों के सबंध में बैठक में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि असंतोषजनक फीडबैक की संख्या ज्यादा होने के जिले की ग्रेडिंग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। आप सभी अधिकारी इस पर ध्यान दें कि शिकायतों के निस्तारण पर विशेष ध्यान देना होगा। जनवरी माह के प्रकरणों में असंतोषजनक फीडबैक की संख्या को कम करना होगा। अब शासन द्वारा विशेष जोर दिया जा रहा है कि समस्याओं का निस्तारण गुणवत्तापूर्ण ढंग से किया जाए। जनशिकायतों का फर्जी निस्तारण कतई न किया जाए उन्होंने बताया कि शासन द्वारा मूल्यांकन कार्य मे परिवर्तन किया गया है। इस संबंध में आख्या में आपत्ति लगाए जाने के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि नए परिवर्तन में अधीनस्थ से प्राप्त आख्या पर मुख्यमंत्री कार्यालय को छोड़कर, उच्चाधिकारी द्वारा मात्र एक बार आपत्ति लगाई जा सकेगी। आपत्ति लगाए जाने के उपरान्त अधीनस्थ अधिकारी को पुनः आख्या लगाने के लिए 07 दिवस उपलब्ध होंगे जिसके उपरान्त वह सन्दर्भ डिफॉल्टर श्रेणी में गिना जाएगा। स्पष्ट निर्देशों के उपरान्त भी पुनः अपलोड की गई आख्या के असंतोषजनक होने की स्थिति में, यदि आवश्यक हो तो, उच्चाधिकारी द्वारा अधीनस्थ अधिकारी का स्पष्टीकरण प्राप्त करने के लिए पत्र जारी किया जाएगा एवं अधीनस्थ अधिकारी से अन्य माध्यमों से संशोधित आख्या प्राप्त कर पोर्टल में अपलोड की जाएगी। इस प्रकार से उच्च स्तर से पुनः संशोधित आख्या अपलोड किए जाने पर अधीनस्थ अधिकारी को उक्त सन्दर्भ में सी-श्रेणी प्राप्त होगी।
एडीएम ने श्रेणीकरण किए जाने के सम्बन्ध में बताया कि यदि कोई सन्दर्भ पुनर्जीवित किया जाता है, तो उस सन्दर्भ में नई टाइमलाइन बनाई जाएगी व सन्दर्भ के पुनः निस्तारण के लिए 07 दिवस दिए जाएंगे। 07 दिवस में आख्या पुनः अपलोड नहीं किए जाने पर उक्त सन्दर्भ डिफॉल्टर में गिना जाएगा। उन्होंने बताया कि श्रेणीकरण द्वारा सन्दर्भ के पुनर्जीवित होने पर अंतरित सन्दर्भ में निस्तारणकर्ता अधिकारी एवं आख्या सन्दर्भ में उच्चतम अनुमोदनकर्ता अधिकारी के इनबॉक्स में प्राप्त होगी। सीएम हेल्पलाइन का हाल जनवरी माह में कुछ इस तरह पाया गया। ईडीएम मनोज राजपूत ने बताया कि जिला प्रोबेशन अधिकारी के यहां 28 में 19, अधिशासी अभियंता जलकल 97 में 54, बीडीओ जवां 23 में 12 और बीडीओ टप्पल के यहां 13 में 12 समेत जिले में 259 फीडबैक असंतोषजनक पाए गये। एडीएम ने कहा कि यदि अधिकारियों का ये ही हाल रहा तो जनवरी की रैंकिंग में कम से कम 10 नम्बर कटेंगे और जिले की रैंकिंग अत्यंत ही खराब स्थिति में आएगी। जिलाधिकारी जनता दर्शन के 11 अधिकारियों पर असंतोषजनक फीडबैक पाया गया, जिसमें 5 मामले अकेले एसडीएम कोल के पाए गए, एडीएम ने ध्यान देने के निर्देश दिए।समीक्षा के दौरान ईडीएम ने बताया कि एल टू स्तर पर 103 में से 61 निस्तारित 25 लम्बित और 17 डिफाल्टर की श्रेणी में पाए गए। एडीएम ने सभी अधिकारियों को रोज पोर्टल स्वंय देखने के निर्देश दिए। ईडीएम ने सभी अधिकारियों से आग्रह किया कि आईजीआरएस पर प्राप्त शिकायतों के निस्तारण के लिए की गई फोन कॉल्स को अवश्य अटेंड करें। उन्होंने यह भी बताया कि अभी भी अधिकारियों द्वारा निस्तारण अंतिम समय में हो रहे हैं। इससे फ़ीडबैक लेने के लिए समय शेष नहीं रहता है। शासन की तरफ से असंतोषजनक फीडबैक पर विशेष जोर दिया जा रहा है, इसलिये आवश्यक है कि निस्तारण फर्जी न हो और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण किया जाए। मनोज राजपूत ने शिकायत निस्तारण के सबंध में सिंचाई, पीडब्ल्यूडी से जुड़े कुछ असंतोषजनक फीडबैक के नमूने भी दिखाए। एडीएम ने कहा कि सभी एसडीएम तहसील दिवस में अधिकारियों से प्रमाण पत्र लें कि तहसील स्तर पर उनकी विभागीय जमीन पर किसी प्रकार का अतिक्रमण नहीं है। उन्होंने एंटी भू-माफिया टीम को सक्रिय करने के निर्देश दिए। एडीएम ने अधिशासी अभियंता सिंचाई पवन कुमार को क्वार्सी चौराहे से एफ एम टॉवर तक हो रहे अतिक्रमण को हटवाए जाने के निर्देश दिए।
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