बारिश के पूर्वानुमान के संबंध में किसान भाइयों को सलाह
पौष महीने की दशमी को बादल छाए रहे तो अगले वर्ष श्रावण कृष्ण दशमी को घनघोर वर्षा होती है।
अलीगढ़ मौसम और कृषि से जुड़ी कवि घाघ की कहावतें बहुत चर्चित हैं। माना जाता है कि कवि घाघ की ये कहावतें मौसम विज्ञान और कृषि पर पूरी तरह से आज भी खरी उतरती हैं। सन 1753 में जन्मे कवि घाघ अकबर के राज दरबार के मौसम वैज्ञानिक थे। अभी पौष माह चल रहा है। जानिए कवि घाघ की मौसम एवं कृषि से जुड़ी ऐसी ही ज्योतिषीय भविष्यवाणियों को।‘पूस मास दशमी अधियारी-बदली घोर होय अधिकारी। सावन बदि दशमी के दिवसे-भरे मेघ चारों दिशि बरसे। अर्थात पौष महीने की दशमी को बादल छाए रहे तो अगले वर्ष श्रावण कृष्ण दशमी को घनघोर वर्षा होती है।पानी बरसे आधे पूष-आधा गेहूं आधा फूस। अर्थात पौष मास में अमावस्या के आसपास बरसात हो तो अगले रबी के सीजन में गेहूं अधिक मात्रा में पैदा होता है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी एवं प्रभारी जिला कृषि अधिकारी अमित जायसवाल ने बताया है कि रबी के मौसम के ये बारिश अनाज वाली फसलों गेहूं-जौ के लिए मुफीद है लेकिन सब्जी वर्गीय और तिलहन-दलहन में कई रोग लग सकते हैं।
किसान क्या करें:पिछले कई महीनों से तैयार फसल में किसानों की काफी लागत और मेहनत लगी है, ऐसे में किसान अपनी फसल को लेकर फिक्रमंद हैं। फसल बचाने के लिए सबसे जरुरी है कि प्रतिदिन खेती की निगरानी की जाए। अगर पौधे के पत्ते में रोग दिखाई दें, तुरंत उन्हें उखाड़कर जमीन में दबा दें। जयादा रोग दिखे तुरंत विशेषज्ञों की सलाह लें और एहतियातन एक फफूंद नाशक का छिड़काव कार्बेंडाजिम मैनकोज़ेब या फिर मेटलैक्सिल और मैंकोजेब का छिड़काव कर दें। आलू की फसल में झुलसा के लिए अनुकूल मौसम है तो इन फंगीसाइड का 2 ग्राम प्रति लीटर में छिड़काव जरूर कर दें।इसके अलावा सरसों किसानों के लिए सलाह हैं कि ”सरसों की फसल में सफेद पत्ती धब्बा” रोग लगता है उसमें 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव कर लें या कार्बेंडाजिम मैनकोज़ेब का छिड़काव कर सकते हैं।किसान क्या बिल्कुल न करेंअगर आपके इलाके में बारिश का पूर्वानुमान जताया गया है तो सिंचाई न करें। खेत में ज्यादा नमी होने पर सब्जियों वाली फसलों में खासकर नुकसान हो सकता है। कई रोग लग सकते हैं। कीटनाशक हो या रोग नाशक या फिर खरपतवार नाशक उनके छिड़काव का सबसे अच्छा मौसम होता है जब धूप खुली हो। अगर कोहरा है, बादल छाए हैं, बारिश की आशंका है तो कीटनाशक छिड़काव से भी परहेज करें।अगर फसल में फूल आ गए गए हैं तो किसी प्रकार के रासायनिक कीटनाशक के प्रयोग से बचें। जिस भी फसल में फूल आ रहे हैं वहां रासायनिक छिड़कावों का इस्तेमाल न करें। वर्ना फूल की ग्रोथ (बढ़वार) रुक जाएगी। फूल झड़ जाएंगे, जिससे दाने और फल नहीं बन पाएंगे। ऐसे में प्राकृतिक तरीकों, धुआं, नमी, नीम का तेल और कंडों की राखा का इस्तेमाल करें। इसके अलावा खेत में मधुमक्खियां पाल रखी हैं, या वो उधर आती हैं तो दिन के वक्त रासायनिक छिड़काव न करें वर्ना वो मर जाएंगी। शाम को मधुमक्खियां छत्तों में लौट आती हैं उस वक्त प्रयोग करें।