एटा लोकसभा क्षेत्र के लिए शुक्रवार को नामांकन प्रक्रिया का आखिरी दिन था। इस आखिरी दिन में पुलिस के दरोगा पद से रिटायर होने के बाद साधु बने उम्मीदवार रामचंद्र ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। दरअसल, रामचंद्र के मन में नामांकन पत्र दाखिल करने का जुनून था। वह अनुसूचित वर्ग के हैं, लेकिन उनका जाति प्रमाण पत्र 45 साल पुराना था। ऐसी स्थिति में नामांकन कक्ष में दूसरा जाति प्रमाण पत्र देने को कहा। साधु रामचंद्र ने अनुसूचित वर्ग के लिए लागू नामांकन शुल्क 12500 रुपये जमा कर दिए थे।जब उन्हें जाति प्रमाण पत्र स्वीकार नहीं होने की बात की जानकारी दी गई तो उन्होंने 12500 रुपये का और चालान पास कराया और सामान्य अभ्यर्थी के रूप में नामांकन दाखिल किया।साधु रामचंद्र से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनका आश्रम जनपद एटा के पिलुआ क्षेत्र के गांव नगला भगना में है। वह वहीं रहते हैं। उन्होंने कहा कि साथी संतों के कहने पर नामांकन पत्र भरा है। संतों और समाज के कल्याण के लिए वह चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि वह फरवरी 2016 में रामपुर से दरोगा के पद से रिटायर हुए, लेकिन आश्रम पहले ही बना लिया था। साधु बनना उनका लक्ष्य था। साधु रामचंद्र के नामांकन करने को लेकर कलेक्ट्रेट पर कर्मियों के बीच भी चर्चा रही।
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