अयोध्या में रामलला की मूर्ति स्थापना के बाद अब श्रीलंका में माता सीता का भव्य मंदिर बनाया जा रहा है
15 मई के बाद जल लेने भारत आएगा,कलश में पवित्र जल उपलब्ध कराएंगे. उन्होंने बताया कि यह अनुष्ठान 19 मई को होने वाला है,
अयोध्या में रामलला की मूर्ति स्थापना के बाद अब श्रीलंका में माता सीता का भव्य मंदिर बनाया जा रहा है. श्रीलंका में मां सीता की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या के सरयू जल से की जाएगी. श्री सीता अम्मन मंदिर प्रशासन ने इसके लिए यूपी के प्रमुख सचिव को अयोध्या का सरयू जल उपलब्ध कराने के लिए पत्र भी लिखा है, जिसे मंजूरी दे दी गई है. अब मंदिर प्रशासन का एक दल 15 मई के बाद जल लेने भारत आएगा. प्रमुख सचिव कार्यालय ने 21 लीटर सरयू जल उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी अयोध्या तीर्थ विकास परिषद को दी है. परिषद के सीईओ का कहना है कि श्रीलंका में सीता अम्मन मंदिर का निर्माण किया जा रहा है.यूपी सरकार ने सरयू नदी का जल देने की मंजूरी दे दी है. हम कलश में पवित्र जल उपलब्ध कराएंगे. उन्होंने बताया कि यह अनुष्ठान 19 मई को होने वाला है, जो मंदिर के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पल है.
नों देशों को हृदय से जोड़ेगा यह फैसला’
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि श्रीलंका के प्रतिनिधिमंडल की मंशा थी कि सरयू का जल सबसे पहले रामलला के दरबार में रखा जाए. ऐसे में कहा गया कि रामलला का जन्म तो सरयू के किनारे हुआ है। माता सरयू सबसे पहले आईं, भगवान श्री राम बाद में आए. माता सरयू तो भगवान श्री राम के पहले से अयोध्या में विराजमान है. यह सरयू का जल 2 देशों के हृदय को जोड़ने का कार्य करेगा.
रावण ने अशोक वाटिका में कैद रखा था, वहीं बन रहा मंदिर
समारोह में श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने रहेंगे। आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। श्रीलंका में नुवारा एलिया की पहाड़ियों में सीता अम्मन मंदिर है। माना जाता है कि रामायण में जिस अशोक वाटिका का जिक्र है, यह वही है. अशोक वाटिका में ही मां सीता को रावण ने कैद किया था. भगवान हनुमान जब मां सीता की खोज कर रहे थे, तो सबसे पहले वह यहीं पहुंचे. मान्यता है कि हनुमान जी की उपस्थिति के साक्ष्य भी सीता अम्मन मंदिर के पास हैं. उनके पैरों के निशान दिखाई देते हैं.