AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से पूरी दुनिया बदलने वाली है. एआई एक ऐसी बुद्धिमान तकनीक है
सोचने, समझने, सीखने, समस्या का समाधान निकालने और फैसले लेने जैसे काम बहुत आसानी से कर सकती है
AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से पूरी दुनिया बदलने वाली है. एआई एक ऐसी बुद्धिमान तकनीक है जो सोचने, समझने, सीखने, समस्या का समाधान निकालने और फैसले लेने जैसे काम बहुत आसानी से कर सकती है. दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्रांति बहुत मायने रखती है. भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में काफी अच्छा काम कर रहा है. स्टैनफोर्ड AI इंडेक्स रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत AI का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में दुनिया में पहले स्थान पर है. इसी रिपोर्ट के अनुसार, प्राइवेट कंपनियां भारत में AI में सबसे ज्यादा पैसा लगा रही हैं. दुनिया में सबसे ज्यादा नई AI कंपनियां भी भारत में खुल रही हैं.पीक एआई की एक रिपोर्ट कहती है कि कारोबार के लिए AI इस्तेमाल करने की तैयारी में भी भारत सबसे आगे है. NASSCOM 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सबसे ज्यादा लोगों को AI की जानकारी है और ये संख्या तेजी से बढ़ रही है.यह समझते हुए कि AI अर्थव्यवस्था को पूरी तरह बदल सकता है भारत सरकार ने सबसे पहले 2018-2019 के बजट में AI के क्षेत्र में रणनीति बनाने की बात कही थी. भारत का अपना खास नारा है- AI for All. मतलब कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए लोगों को और ताकतवर बनाना.इस स्पेशल स्टोरी में हम जानेंगे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार क्या-क्या प्रोग्राम चला रही है और सरकार की ओर से उठाए जा रहे ये कदम क्या काफी हैं.
पहले जानिए भारत की अर्थव्यवस्था में AI का कितना होने वाला है योगदान
आने वाले समय में AI भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा बनने जा रहा है. इससे सरकारी कामकाज भी ज्यादा बेहतर और आधुनिक हो जाएंगे. सरकार को उम्मीद है कि 2035 तक एआई भारत की अर्थव्यवस्था में 967 अरब अमेरिकी डॉलर का इजाफा कर देगा. 2025 तक ये आंकड़ा 450 से 500 अरब अमेरिकी डॉलर के बीच हो सकता है. कुल मिलाकर AI भारत को 5 खरब अमेरिकी डॉलर के GDP लक्ष्य को पाने में 10% तक की मदद कर सकता है. दुनियाभर की सरकारें भी एआई को तरक्की का अहम साधन मानती हैं. गौर करने वाली बात ये है कि भारत दुनिया के उन बड़े विकासशील देशों में से एक है जो AI के क्षेत्र में सबसे आगे है. इसी वजह से भारत को Global Partnership on AI (GPAI) का काउंसिल अध्यक्ष चुना गया है. दो तिहाई देशों ने बहुमत से भारत को चुना है.AI में भारत को कैसे आगे बढ़ाए जाने का है प्लान
भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय (MeitY) ने एआई पर एक नेशमल प्रोग्राम की शुरुआत की है. इस प्रोग्राम के चार मुख्य हिस्से हैं: डेटा मैनेजमेंट ऑफिस, नेशनल सेंटर, एआई पर कौशल विकास और एआई की जिम्मेदारी.वहीं दूसरी तरफ ‘IndiaAI’ नाम का एक और प्रोग्राम भी है. यह प्रोग्राम पहले से चल रहे राष्ट्रीय AI कार्यक्रम का सहयोग करता है. इसका मकसद AI से जुड़ी चीजों को व्यवस्थित और आसान बनाना है, ताकि देश में AI को और तेजी से आगे बढ़ाया जा सके.सरकार का फोकस है कि भारत को एआई के क्षेत्र में सबसे आगे ले जाने के लिए तीन ‘एक्सिलेंस सेंटर’ (Centers of Excellence) बनाए जाएंगे. ये सेंटर सिर्फ देश की बड़ी समस्याओं को हल निकालने, नई-नई चीजें सीखने और रिसर्च करने पर ही ध्यान नहीं देंगे, बल्कि भारत में ही बनाई गई AI तकनीक को पूरे देश और दुनिया में इस्तेमाल करने पर भी जोर देंगे.ये सेंटर देश की बड़ी यूनिवर्सिटी, कंपनियों और रिसर्च संस्थानों के एक्सपर्ट को साथ लाएंगे. ये सभी मिलकर नई चीजें सीखेंगे और हर क्षेत्र में एआई का इस्तेमाल करने के बेहतरीन तरीके ढूंढेंगे. इस तरह से देशभर में AI का पूरा फायदा उठाया जा सकेगा और भारत दुनिया में AI की नई खोजों में सबसे आगे खड़ा होगा.
नेशनल डेटा प्लेटफॉर्म का क्या है मकसद
IDP यानी कि इंडिया डेटा प्लेटफॉर्म एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो भारत सरकार के विभिन्न विभागों और मंत्रालयों द्वारा इकट्ठा किए गए डेटा को एक जगह पर लाएगा. यह डेटा रिसचर्स और डेवलपर्स को उपलब्ध कराया जाएगा है ताकि वे इसका इस्तेमाल समस्याओं को हल करने और देश के विकास में योगदान करने के लिए कर सकें.इंडिया डेटा प्लेटफॉर्म को इस तरह बनाया जा रहा है कि केंद्र और राज्य सरकार के अलग-अलग विभाग अपना डेटा इसमें स्टोर कर सकें. इससे जरूरत के हिसाब से कभी भी डेटा ढूंढना और उसपर रिसर्च करना आसान हो जाएगा. एक सरकारी संस्था को ये जिम्मेदारी दी जाएगी कि वे सभी विभागों को डेटा को इकट्ठा करने और उसे बेहतर बनाने में मदद करें. इससे हर विभाग का डेटा सही और एक जैसा होगा.
नेशनल डेटा मैनेजमेंट ऑफिस (NDMO) की भूमिका
NDMO को एक स्वतंत्र संस्था के रूप में बनाया जा रहा है. ये भारत सरकार का एक ऑफिस है जो डेटा के मैनेजमेंट के लिए जिम्मेदार है. भारत सरकार का लक्ष्य है कि सरकारी कामकाज में डिजिटल तकनीक का पूरा फायदा उठाया जाए. इससे बेहतर फैसले लेने में मदद मिलेगी. इसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए ‘राष्ट्रीय डेटा प्रबंधन नीति’ (National Data Governance Policy) का मसौदा जारी किया गया है.नेशनल डेटा मैनेजमेंट ऑफिस सरकारी विभागों से अलग काम करेगा लेकिन कुछ मामलों में नियम बनाने का काम भी करेगा. इसे चलाने के लिए एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) होगा. साथ ही NDMO के अंदर 6 अलग-अलग विभाग होंगे. हर विभाग का अपना अलग काम होगा. उदाहरण के लिए एक विभाग डेटा के नियम बनाने का काम करेगा. दूसरा विभाग टेक्नॉलॉजी का ध्यान रखेगा
.India AI फ्यूचर डिजाइन प्रोग्राम
भारत सरकार देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के विकास को बढ़ावा देना चाहती है. इसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए ‘भारत एआई फ्यूचर डिजाइन’ प्रोग्राम बनाया गया है. इसका लक्ष्य है कि अगले 10 सालों में भारत में AI से जुड़ी 100 नई बड़ी कंपनियां खड़ी हों. इसके तहत सरकार AI स्टार्टअप्स को फंड देने के नए तरीके खोज रही है.
ndia AI फ्यूचर स्किल्स प्रोग्राम
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में भारत को आगे बढ़ाने के लिए लोगों को नया ज्ञान और नया तरीका सीखना होगा. इसके लिए सरकार इंडिया एआई फ्यूचर स्किल्स प्रोग्राम चला रही है. स्कूल और कॉलेजों में बच्चों को AI की अहमियत, गणित, आंकड़े, मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, भाषा समझना (NLP), एआई एथिक्स, असल दुनिया की समस्याओं को सुलझाना आदि के बारे में पढ़ाया जाएगा. साथ ही हर दो साल में टीचर्स को AI की नई जानकारी देने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी. इससे वे बच्चों को बेहतर तरीके से पढ़ा सकेंगे.
सेमीकॉन इंडियाएआई चिपसेट्स
भारत सरकार की तरफ से एक ‘डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव’ (DLI) स्कीम चलाई जा रही है. इस स्कीम के तहत भारतीय कंपनियों, स्टार्ट-अप्स और MSMEs को आर्थिक मदद दी जाएगी. ये मदद अगले 5 सालों में मिलेगी ताकि वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए इंटीग्रेटेड सर्किट्स (ICs), चिपसेट्स, सिस्टम ऑन चिप्स (SoCs), सिस्टम्स और आईपी कोर्स डिजाइन कर सकें.
मोटे पैकेज वाली नौकरी का जरिया बनेगा AI?AI निश्चित रूप से भारत में मोटे पैकेज वाली नौकरी का जरिया बन सकता है. क्योंकि AI एल्गोरिदम, मॉडल और सिस्टम बनाने के लिए साइंटिस्ट और इंजीनियरों की जरूरत होती है. AI आधारित एप्लिकेशन और टूल बनाने के लिए डेवलपर्स की जरूरत होती है. AI के जरिए हेल्थ सेक्टर में सुधार करने के लिए डॉक्टरों, नर्सों और अन्य हेल्थ प्रोफेशनल्स को अनुभवी लोगों की जरूरत होगी. जैसे-जैसे अलग-अलग इंडस्ट्रियां AI टेक्नॉलॉजी अपना रही हैं, वैसे-वैसे नई नौकरियों के बनने का भी रास्ता खुल रहा है.बाजार में AI से जुड़े हुनर की मांग बढ़ रही है. एआई सेक्टर में नौकरी पाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में मास्टर डिग्री, डेटा साइंस या मशीन लर्निंग में डिग्री या AI प्रोग्रामिंग भाषाओं और टूल्स में अनुभव होना चाहिए. ऑनलाइन और ऑफलाइन कई फ्री कोर्स भी उपलब्ध हैं.
सरकार की ओर से उठाए गए कदम नाकाफी?
भारत सरकार ने AI मिशन 10,371.92 करोड़ रुपये के बजट के साथ शुरू किया है. 2030 तक भारत को AI में ग्लोबल लीडर बनाने का लक्ष्य रखा है. हालांकि कुछ लोगों को लग सकता है कि AI रिसर्च और डवलपमेंट के लिए आवंटित बजट कम है.