अखिलेश यादव ने अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाने के एलान किया
सपा अध्यक्ष नामांकन के आखिरी दिन 25 अप्रैल को अपना पर्चा दाखिल कर सकते हैं.
कन्नौज सीट से एक बार फिर समाजवादी पार्टी प्रत्याशी बदल सकती है. इस सीट से सोमवार को ही अखिलेश यादव ने अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाने के एलान किया था लेकिन अब एक बार फिर से अखिलेश यादव के यहां से चुनाव लड़ने की चर्चाएं तेज हो गईं हैं. माना जा रहा है सपा अध्यक्ष नामांकन के आखिरी दिन 25 अप्रैल को अपना पर्चा दाखिल कर सकते हैं. अखिलेश यादव अगर कन्नौज सीट से भी प्रत्याशी बदलते हैं तो ये कोई पहली बार नहीं होगा. लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर सपा अध्यक्ष उम्मीदवारों का एलान करने के बाद भी प्रत्याशी बदलते रहे हैं. जिसे लेकर वो विरोधियों के निशाने पर भी आ गए हैं. कभी पार्टी कार्यकर्ताओं की मांग पर तो सभी वरिष्ठ नेताओं के दबाव में अखिलेश यादव ने अपने फैसले बदले हैं. इनमें बदायूं से लेकर मेरठ, मुरादाबाद जैसी सीटें भी शामिल हैं. बदायूं में तीन बार बदले उम्मीदवार
समाजवादी पार्टी ने अपनी पहली ही लिस्ट में बदायूं सीट से धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन जब पार्टी की दूसरी सूची आई तो अखिलेश ने धर्मेंद्र यादव का टिकट काटकर उनकी जगह चाचा शिवपाल यादव को प्रत्याशी घोषित कर दिया. हालाँकि चाचा शिवपाल उनके इस फैसले से खुश नहीं दिखे, जिसके बाद उन्होंने सपा अध्यक्ष पर अपने बेटे आदित्य यादव को उम्मीदवार बनाए जाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है. चाचा शिवपाल यादव के दबाव के आगे अखिलेश यादव झुक गए और उन्होंने फिर बदायूं से उम्मीदवार बदला और शिवपाल की जगह उनके बेटे आदित्य यादव को ही उम्मीदवार बना दिया. इसी तरह मुरादाबाद सीट पर सपा ने पहले सांसद एसटी हसन को टिकट दिया था लेकिन आख़िरी वक़्त में आजम खान की करीबी रुचि वीरा को टिकट दे दिया वो तब जब एसटी हसन अपना पर्चा तक दाखिल कर चुके थे.
मेरठ में भी कंफ्यूज दिखे सपा अध्यक्ष
मेरठ लोकसभा सीट पर भी अखिलेश यादव इसी तरह कन्फ्यूज नजर आए. सपा अध्यक्ष ने पहले यहां से भानू प्रताप सिंह को टिकट दिया लेकिन पार्टी में विरोध के चलते अतुल प्रधान को प्रत्याशी बना दिया. अतुल प्रधान ने भी अपना नामांकन दाखिल कर दिया था लेकिन फिर आख़िरी वक़्त में सुनीता वर्मा को टिकट दे दिया.इसी तरह गौतमबुद्धनगर से पहले डॉ महेंद्र नागर को उम्मीदवार बनाया फिर राहुल अवाना को टिकट दे दिया इसके बाद फिर सपा ने यहां डॉ महेंद्र नागर को ही उम्मीदवार घोषित कर दिया. रामपुर सीट पर भी अखिलेश यादव असमंजस में नजर आए, यहां से आज़म खान के करीबी आसिम रजा ने नामांकन दाखिल कर दिया था लेकिन बाद में सपा की ओर से मौलाना मुहिबुल्लाह नदवी के नाम का एलान कर दिया गया.
इन सीटों पर भी बदले उम्मीदवार
इसके अलावा मिश्रित, बागपत, सुल्तानपुर, संभल और बिजनौर सीट से भी सपा ने पहले किसी और टिकट दिया और फिर बाद में टिकट बदल दिया. अखिलेश यादव के इन तौर तरीक़ों को लेकर कई बार सवाल भी उठ चुके हैं. यूपी विधानसभा चुनाव में भी बार-बार प्रत्याशी बदलना हार की बड़ी वजह बना था. लोकसभा चुनाव में भी अखिलेश वहीं गलती करते दिख रहे हैं.