अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के निस्वान व कबालत विभाग ने अलीगढ़ जिला कारागार में स्वास्थ्य जागरूकता शिविर का आयोजन किया
अलीगढ़ जिला कारागार में महिला कैदियों के लिए एक स्वास्थ्य जाँच और जागरूकता शिविर का आयोजन

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के निस्वान व कबालत विभाग ने प्रोजेक्ट उम्मीद वेलफेयर फाउंडेशन के सहयोग से सोमवार, 22 सितंबर 2025 को अलीगढ़ जिला कारागार में महिला कैदियों के लिए एक स्वास्थ्य जाँच और जागरूकता शिविर का आयोजन किया। इस पहल का उद्देश्य महिला कैदियों की स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का समाधान करना और निवारक स्वास्थ्य सेवा के बारे में जागरूकता बढ़ाना था।

जेल अधिकारियों के अनुसार, इस सुविधा केंद्र के महिला अनुभाग में लगभग 100 कैदी हैं। शिविर के दौरान, लगभग 60 कैदी चिकित्सा परामर्श के लिए आगे आए। जेल फार्मासिस्ट श्री आनंद पांडे, डिप्टी जेलर श्रीमती राजेंद्र कुमारी और उम्मीद वेलफेयर फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री आदिल जवाहर, एडवोकेट नदीम अंजुम ने प्रो. सुबूही मुस्तफा, डॉ. फहमीदा जीनत और 10 जूनियर रेजिडेंट्स की टीम का स्वागत किया। चिकित्सा दल ने महिला कैदियों को विभिन्न चिकित्सा समस्याओं के लिए नैदानिक जांच, परामर्श, काउंसलिंग और मुफ्त दवाएं प्रदान कीं।
शारीरिक स्वास्थ्य जाँच के अलावा, शिविर में मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक कल्याण पर भी ज़ोर दिया गया। संवादात्मक सत्रों के माध्यम से, चिकित्सा दल ने कैदियों को तनाव और एकांतवास से निपटने में मदद के लिए परामर्श प्रदान किया। इस तरह की पहलों ने न केवल उनकी चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा किया, बल्कि उन्हें भावनात्मक रूप से सहारा और देखभाल का एहसास भी कराया, जिससे सुधार गृहों में समग्र स्वास्थ्य सेवा के महत्व पर बल मिला।
शिविर के समापन के बाद, वरिष्ठ जेल अधीक्षक, श्री बृजेंद्र सिंह यादव से मुलाकात की। उन्होंने डाक्टर और टीम का स्वागत किया और जेल परिसर में स्वास्थ्य शिविर आयोजित करने के लिए प्रो. सुबोची मुस्तफा, डॉ. फहमीदा जीनत और उनकी टीम का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वे भविष्य में निवास व कबालत विभाग के साथ ऐसे और भी कई स्वास्थ्य शिविरों के आयोजन की आशा करते हैं। उन्होंने अतिथि प्राध्यापकों को जेल में रहने की स्थिति के बारे में भी जानकारी दी और बताया कि कैदियों के लिए सुविधाओं में सुधार के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
शिविर का समन्वय डॉ. फहमीदा जीनत द्वारा किया गया और इसे समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों तक शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में स्वीकार किया गया, साथ ही विश्वविद्यालय, कल्याण संगठनों और जेल प्रशासन के बीच सहयोगात्मक प्रयासों को भी मजबूत किया गया।



