इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शोध छात्र तथा आइसा प्रदेश उपाध्यक्ष मनीष कुमार का निलंबन तत्काल वापस ले इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन
छात्रों पर विश्वविद्यालय प्रशासन दमनात्मक कार्यवाही करना बंद करें तथा विश्वविद्यालय परिसर में लोकतांत्रिक माहौल कायम करें।
गलत तरीके से दिशा छात्र संगठन से जुड़े साथियों की गिरफ्तारी एवं प्रशासन के द्वारा लगाये गये धारा 151 का विरोध तथा मुकदमे को तत्काल वापस लिया जाए।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में तानाशाही चरम पर है। एक तरफ मनमाना फीस बढ़ाई गई है, तो वहीं इन तानाशाही भरे रवैये के खिलाफ आवाज उठाने वाले छात्रों का दमन किया जा रहा है। इसी तरह की दमनात्मक कार्यवाही करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने राजनीति विज्ञान के शोध छात्र तथा आइसा के प्रदेश उपाध्यक्ष मनीष कुमार को तीसरी बार न सिर्फ निलंबित किया है बल्कि विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश से प्रतिबंधित भी कर दिया है। विश्वविद्यालय में की गई फीस वृद्धि के खिलाफ चले आंदोलन में शामिल विश्वविद्यालय के छात्र नेताओ को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा निलंबित व निष्कासित करते हुए दर्जनों मुकदमे दर्ज कर जेल भिजवाया गया है, जिनकी रिहाई की मांग उठातें हुए फेसबुक पर पोस्ट लिख़ने/ करने पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने शोध छात्र मनीष कुमार के ऊपर निलंबन और परिसर में प्रवेश से प्रतिबंधित करने की कार्यवाही की है। जो ग़ैर लोकतांत्रिक है, सोशल मीडिया अर्थात फेसबुक पर अपनी बात रखने और विश्वविद्यालय परिसर को लोकतांत्रिक बनाने की मांग करने की वजह से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा की गई निलंबन की कार्यवाही बेहद शर्मनाक है, इसकी जितनी निंदा की जाए कम हैं। विश्वविद्यालय परिसर को लोकतांत्रिक बनाने के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विभिन्न संगठनों से जुड़े छात्र-छात्राएं निरंतर प्रयासरत है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, जिसमें ना तो व्यवस्थित चिकित्सा व्यवस्था है, ना ही लड़कियों के लिए स्वच्छ टॉयलेट है। लाइब्रेरी को मनमाने तरीके से खोला और बंद किया जाता है, आईडी कार्ड के नाम पर भय का माहौल कायम किया गया हैं। इसके अलावा विश्वविद्यालय परिसर में छात्र छात्राओं को 6:00 बजे के बाद प्रवेश पर प्रतिबंध है। इस तरह की अव्यवस्थाओं के खिलाफ आवाज उठाने पर विश्वविद्यालय प्रशासन दमनात्मक कार्यवाही करता हैनागरिक समाज, इलाहाबाद पूरे देश में व्याप्त फासीवादी हमले के खिलाफ निरंतर प्रतिरोध के स्वर बुलंद करता रहा है। वर्तमान सरकार के संविधान व लोकतंत्र विरोधी, फासीवादी चरित्र ने साफ तौर पर जुल्म और जेहालत के खिलाफ आवाज उठाने वाले तथा शोषण के खिलाफ लिखने बोलने वालों के खिलाफ दमन तेज कर दिया है, जिसके खिलाफ नागरिक समाज निरंतर संघर्षरत है। इसी कड़ी में शोध छात्र मनीष कुमार के निलंबन की नागरिक समाज इलाहाबाद कड़े शब्दों में न सिर्फ निंदा करता है बल्कि निलंबन वापसी तथा परिसर प्रवेश पर लगाए गए प्रतिबंध को तत्काल हटाए जाने की मांग करता है। विश्वविद्यालय में व्याप्त तमाम अव्यवस्थाओं को दूर करने और फीस वृद्धि आंदोलन में शामिल छात्र नेताओं पर दमनात्मक कार्यवाही करते हुए दर्ज सैकड़ो मुकदमे वापस लेने तथा विश्वविद्यालय परिसर में लोकतंत्र बहाल किए जाने की भी मांग करता है। निलंबन वापसी तथा छात्रों की जायज मांगों को पूरा न किए जाने पर नागरिक समाज विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाने के लिए बाध्य होगानागरिक समाज दिशा छात्र संगठन द्वारा 13 अक्टूबर 2023 को फिलिस्तीन के समर्थन में रखे गए देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के दौरान देशभर में दिशा छात्र संगठन से जुड़े लोगों को गिरफ्तार और डिटेन किया गया। इलाहाबाद में भी दिशा छात्र संगठन से जुड़े लगभग 20 लोगों को प्रशासन ने डिटेन किया था। छात्रों के दबाव में इन लोगों को शाम को छोड़ दिया गया था लेकिन दिशा छात्र संगठन से जुड़े अविनाश, अंबरीश, धर्मराज और आकाश का प्रशासन ने धारा 151 में चालान करने का विरोध करते हुए तत्काल मुकदमा वापस लेने की मांग करता हैं।