संतान प्राप्ति के लिए वैसे तो सालभर में कई व्रत किए जाते हैं लेकिन एकादशी का विशेष महत्व
साल में दो बार पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाता है. संतान सुख, बच्चे के उज्जवल भविष्य के लिए ये व्रत प्रभावशाली माना गया

संतान प्राप्ति के लिए वैसे तो सालभर में कई व्रत किए जाते हैं लेकिन एकादशी का विशेष महत्व है. साल में दो बार पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाता है. संतान सुख, बच्चे के उज्जवल भविष्य के लिए ये व्रत प्रभावशाली माना गया है. पुराणों के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ व्रत रखने से संतान सुख मिलता है.सावन पुत्रदा एकादशी 2025सावन माह के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी 5 अगस्त 2025 को रहेगी.एकादशी तिथि शुरू – 4 अगस्त 2025, सुबह 11.14एकादशी तिथि समाप्त – 5 अगस्त 2025, दोपहर 1.12व्रत पारण समय – सुबह 5.45 – सुबह 8.26 (6 अगस्त)संतान प्राप्ति के लिए साल में 2 बार मिलता है ये मौकापुत्रदा एकादशी पौष माह और सावन माह में की जाती है. इस व्रत के प्रताप से राजा महाजित को पुत्र की प्राप्ति हुई थी. यही वजह है कि निसंतान के लिए ये व्रत सबसे अचूक माना गया है.5 अगस्त की सावन पुत्रदा एकादशी रवि योग में है. उस दिन रवि योग सुबह में 5 बजकर 45 मिनट से बनेगा, जो दिन में 11 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. रवि योग में सभी प्रकार के दोष मिट जाते हैं क्योंकि इसमें सूर्य का प्रभाव अधिक होता है.संतान सुख के लिए एकादशी उपायसावन पुत्रदा एकादशी पर भगवान विष्णु का स्मरण कर दीपदान करने के लिए आटे के छोटे-छोटे दीपक बनाकर उसमें थोड़ा सा तेल या घी डालकर पतली सी रुई की बत्ती जलाएं. उसे पीपल या बढ़ के पत्ते पर रखकर नदी में प्रवाहित करें. साथ ही जरूरतमंदों को सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए.सावन पुत्रदा एकादशी व्रत कथा पुत्रदा एकादशी कथा का सार प्राचीनकाल में सुकेतुमान नामक एक राजा के यहां कोई संतान नहीं थी. वह महल, वैभव सब कुछ होने के बाद भी संतान न होने के दुख से चिंतित रहता था. कुछ समय बाद वह अपनी समस्या के निवारण के लिए भटकते हुए मुनियों के आश्रम में पहुंचा जहां उसे इस एकादशी के महत्व के बारे में ऋषियों ने बताया. जब राजा ने यह व्रत किया तो उन्हें संतान सुख की प्राप्ति हुई.