खाने के तेलों में लगभग 7,82,983 टन पाम ऑयल और 4,08,938 टन सॉफ्ट ऑयल थे.
इंपोर्ट 23 फीसदी घटकर 36.73 लाख टन रह गया, जो इससे पिछले वर्ष की समान तिमाही में 47.73 लाख टन था.
देश का खाने का तेल इंपोर्ट जनवरी में सालाना आधार पर 28 फीसदी घटकर 12 लाख टन रह गया है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने सोमवार को यह जानकारी दी है. जनवरी 2023 में वनस्पति तेल का इंपोर्ट 16.61 लाख टन था. भारत दुनिया में वनस्पति तेल का प्रमुख खरीदार है. चालू तेल वर्ष की पहली तिमाही (नवंबर-जनवरी) में कुल इंपोर्ट 23 फीसदी घटकर 36.73 लाख टन रह गया, जो इससे पिछले वर्ष की समान तिमाही में 47.73 लाख टन था.
खाना पकाने के तेल के इंपोर्ट में इन वजहों से कटौती देश के खाना पकाने के तेल के इंपोर्ट में कई वजहों से कटौती हुई है. पाम तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी और सरसों की फसल की आने वाली अच्छी फसल की उम्मीद इनमें से कुछ बड़े कारण हैं. एसईए के मुताबिक जनवरी 2024 में खाना पकाने के तेल का इंपोर्ट 12 लाख टन से थोड़ा ज्यादा हुआ है जो पिछले साल यानी जनवरी 2023 की तुलना में 28 फीसदी कम है.
पाम ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के मुताबिक इस साल जनवरी में इंपोर्ट किए गए कुल वनस्पति तेलों में लगभग 7,82,983 टन पाम ऑयल और 4,08,938 टन सॉफ्ट ऑयल थे. मलेशिया और इंडोनेशिया में बायो-डीजल तैयार करने के लिए पाम ऑयल के बढ़ते इस्तेमाल के चलते इनकी उपलब्धता कम हो गई है. ऐसे में इस साल कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है.
फरवरी में खाने के तेल का स्टॉक भी घटा
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने बयान में कहा कि एक फरवरी को कुल खाने के तेलों का स्टॉक 26.49 लाख टन था, जो एक साल पहले की इसी अवधि से 7.64 फीसदी कम है. बयान में कहा गया कि खाद्य तेलों की कीमतें फिलहाल कम हैं, लेकिन ये कम प्रोडक्शन, ग्लोबल आर्थिक मुद्दों और सप्लाई साइड की बाधाओं के कारण इस साल बढ़ सकती हैं.