चीन की ओर से पीले सागरमें आठ दिनों तक चलने वाला विध्वंसक सैन्य अभ्यास फिलहाल चल रहा है
पांच मई, 2024 को शुरू हुई थी, जो कि 12 मई, 2024 तक चलेगी.
चीन (China) की ओर से पीले सागर (Yellow Sea) में आठ दिनों तक चलने वाला विध्वंसक सैन्य अभ्यास फिलहाल चल रहा है. यह मिलिट्री ड्रिल वहां पांच मई, 2024 को शुरू हुई थी, जो कि 12 मई, 2024 तक चलेगी. रविवार को इस बारे में चीन के मैरिटाइम सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से जानकारी दी गई. ईरान की मेहर न्यूज एजेंसी (MEHR News Agency) ने वहां के एडमिनिस्ट्रेशन के बयान के हवाले से बताया, “यह ड्रिल बोहाई सी (Bohai Sea) में हो रही है, जो कि पीले सागर के उत्तरी हिस्से का अंदरूनी खाड़ी वाला हिस्सा है.” हालांकि, यह तो साफ नहीं हो पाया कि ड्रिल में वहां कौन-कौन से जहाज हिस्सा लेंगे पर अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर इस अभ्यास को अहम माना जा रहा है.पीला सागर, नॉर्थ सी (North Sea) के रूप में भी जाना जाता है. इस सागर में गोबी रेगिस्तान के पीले रंग के महीन कण मिलते हैं, जिससे इसका रंग सुनहरा दिखता है और इसी वजह से यह यलो सी या पीला सागर कहलाता है. यह मेनलैंड चाइना और कोरियन पेनिनसुला के बीच है. 3,80,000 किलोमीटर स्क्वायर में फैला यह सागर ईस्ट चाइना सी की तरह फिशिंग (मछली पकड़ने और उससे जुड़े कारोबार) के लिए जाना जाता है. वर्षों से वहां की मछलियों को चीनी, कोरियाई और जापानी प्रमुख संसाधनों के रूप में इस्तेमाल करते आए हैं.चीन पीले सागर पर दावा इसलिए ठोकता है क्योंकि यह जल क्षेत्र मछली के कारोबार के लिहाज से खासा अहम है. वहां के कुछ हिस्सों से कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस भी हासिल होती है. यह सागर इसके अलावा पानी का भी बड़ा स्रोत (उत्तर पश्चिम और उत्तर चीनी क्षेत्रों में) माना जाता है.
भारत से गतिरोध के बीच चीन का सैन्य अभ्यास चीन की ओर से यह सैन्य अभ्यास ऐसे वक्त पर शुरू किया गया है, जब भारत के पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुल कंट्रोल (LAC) पर भारत-चीन सैन्य गतिरोध खत्म नहीं हो पाया है. इस बीच, शनिवार को देश के केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दावा किया कि दोनों पक्षों की बातचीत फिलहाल अच्छी चल रही है. उन्होंने इस दौरान लंबे समय से जारी विवाद के हल की उम्मीद जताई.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तनाव पर कही ये बात राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि भारत चीन से लगी सीमा पर तेज गति से बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है. आगे यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें सकारात्मक नतीजे और दोनों सेनाओं में लगभग चार साल से जारी तनातनी के खत्म होने की उम्मीद है? रक्षा मंत्री बोले, “अगर कोई उम्मीद नहीं है तो बातचीत क्यों हो रही है. उन्हें (चीनी पक्ष को) भी उम्मीद है और इसीलिए बातचीत हो रही है.