पब्लिक एग्जामिनेशंस में नकल रोकने के लिए हाल ही में लोकसभा में एंटी चीटिंग बिल पास हुआ
छात्रों के मन में इसे लेकर ये सवाल उठ रहा है कि क्या उन्हें भी दस साल की जेल हो सकती है?
बाकी प्रावधानों के अलावा जो दो मुख्य बिंदु इस बिल के आने के बाद चर्चा में हैं, उनमें से एक है – पकड़े जाने पर दस साल की सजा और दूसरा है एक करोड़ का जुर्माना. ऐसे में छात्रों के मन में ये सवाल भी उठ रहा है कि क्या उन्हें भी नकल करते समय पकड़े जाने पर दस साल की सजा हो सकती है.
नकल माफिया के लिए है ये विधेयक इस बारे में जानकारी हासिल करने से पहले ये जान लेते हैं कि एंटी चीटिंग बिल मुख्य रूप से पेपर लीक के लिए और ऐसे लोगों के लिए है जो नकल में छात्रों की मदद करते हैं. ऐसे स्टूडेंट्स जिनका भविष्य कुछ खास लोगों की वजह से खराब होता है उन्हें इसमें टारगेट नहीं किया गया है. देखा जाए तो अगर आप परीक्षा से पहले, परीक्षा के दौरान और बाद में किसी गलत काम में संलिप्त नहीं हैं तो आपको इस विधेयक से डरने की जरूरत नहीं है. ये सजा और जुर्माना आपके लिए नहीं है.
इस केस में मिलेगी सजा
उस केस में जब आप किसी पब्लिक एग्जामिनेशन से पहले पेपर लीक करने, पेपर खरीदने या लीक पेपर की बिक्री करने जैसे मामलों में शामिल होंगे तो आपको सजा होगी. अगर कोई और आपकी जगह परीक्षा दे रहा है या किसी भी और प्रकार की धांधली की गई तो पकड़े जाने पर सजा से लेकर जुर्मान तक सब हो सकता है. इस बिल की खास बात ये भी है कि ये संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-शमनयोग्य है. यानी पुलिस बिना वॉरेंट के अरेस्ट कर सकती है, अपराधी को जमानत नहीं मिलेगी और इस गलती के लिए कोई समझौता नहीं होगा.
क्या कहना है मिनिस्टर का
इस बारे में यूनियन एजुकेशन मिनिस्टर का कहना है किसी भी राष्ट्र की प्रगति के लिए जरूरी है कि पब्लिक एग्जामिनेशन में सही कैंडिडेट्स का चुनाव हो. किसी खास स्टूडेंट या ग्रुप को कोई विशेष फायदा नहीं दिया जाए क्योंकि इससे सही कैंडिडेट का चुनाव नहीं हो पाता.
किस किस को सजा
किसी कैंडिडेट की जगह किसी और को परीक्षा दिलाना, पेपर सॉल्व कराना ये सब सजा के दायरे में हैं. कंप्यूटर बेस्ड एग्जाम है तो सर्विस प्रोवाइडर अगर संलिप्त पाया जाता है तो उस पर एक करोड़ तक का फाइन लग सकता है. किसी छात्र के सीधे शामिल होने पर उसे तीन से पांच साल तक की सजा हो सकती है.