बसंत पंचमी 14 फरवरी 2024 को है. इस दिन पीले रंग का विशेष महत्व है.
हमारे देश में ऋषि मुनि पीले रंग के परिधानों का उपयोग करते रहे हैं
बसंत पंचमी खुशी, उल्लास और प्रेम का पर्व है. माघ मास की पंचमी तिथि पर देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं. इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है, इसलिए इसे बसंत पंचमी कहते हैं. बसंत ऋतुओं का राजा है. इस बार बसंत पंचमी 14 फरवरी 2024 को है. इस दिन पीले रंग का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं क्यों.
बसंत पंचमी पर पीले रंग का महत्व पीला शुभता, समृद्धि और खुशी का प्रतीक है. हमारे देश में ऋषि मुनि पीले रंग के परिधानों का उपयोग करते रहे हैं. पीला रंग सूर्य का भी है, जो को ऊर्जा और जोश का प्रतीक हैं, बसंत आते ही ठंड कम होने लगती है, फूलों में नए रंग और पेड़ों में नई पत्तियां नजर आती हैं. कड़कड़ाती सर्दी के बाद से सूर्य की गर्माहट महसूस होने लगती है. जैसे सावन में सब हरा हरा दिखता है, वसंत पर हर जगह पीला रंग नजर आता है. पीली सरसों, पीले परिधान, पीली पतंगे, पीले मिष्ठान. पीला रंग ज्योतिष में गुरु ग्रह से जुड़ा हुआ है जो ज्ञान, विद्या,अध्यन, विद्वता, बौद्धिक उन्नति आदि का प्रतीक है. देवी सरस्वती की कृपा से भी व्यक्ति बुद्धिमान, कला में परांगत होता है. यही कारण है कि बसंत पंचमी पर पीला रंग पहनना, पीला चीजों का सेवन, पीली वस्तुओं का दान शुभफलदायी माना गया है.
बसंत पंचमी पर पीले रंग के उपाय
- बसंत पंचमी के दिन दूध में हल्दी मिलाकर देवी सरस्वती का अभिषेक करें. सुखी दांपत्य जीवन और करियर में उन्नति के लिए ये उपाय कारगर है
- पढ़ाई में किसी तरह की बाधा आ रही है तो 108 पीले गेंदे के फूलों से बसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा करें.
- बसंत पचंमी के दिन पीले रंग की मिठाई जैसे बेसन के लड्डू या बर्फी में थोड़ा सा केसर डालकर देवी सरस्वती को भोग लगाएं और फिर इन्हें 7 कन्याओं में बांट दें. मान्यता है इससे ज्ञान की देवी सरस्वती संग लक्ष्मी जी की कृपा मिलती है.
- इस दिन पीले रंग की वस्तु जैसे केला, दाल, पीले फूल, पीले वस्त्र, शिक्षा से जुड़ी चीजों का दान करने से बुद्धि का विकास, वाणी में निखार आता है.