भारतीय जनता पार्टी द्वारा ने मध्य प्रदेश में मोहन सिंह यादव (Mohan Singh Yadav) को प्रदेश की कमान सौंपने के बाद राजनीतिक गलियारों में यादव जाति के व्यक्ति को प्रतिनिधित्व देने का भाजपा (BJP) का मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है तो वहीं यादव वोट बैंक के सहारे अपनी राजनीति करने वाली दलों की नींद भी हराम हो गई है. बीजेपी के इस दांव पर सपा की ओर से भी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. सपा ने कहा कि पीएम मोदी (PM Narendra Modi) अपने चार बार का सीएम बनने का रिकॉर्ड टूटने नहीं देना चाहते थे, इसलिए उन्होंने जानबूझकर शिवराज का पद छीन लिया.मोहन यादव को सीएम बनने पर सपा प्रवक्ता मनोज काका ने एबीपी लाइव से बात करते हुए कहा कि ये मात्र प्रतिकात्मक प्रतिनिधित्व है जो भाजपा कर रही है. अखिलेश यादव के पीडीए विमर्श से डर कर ये किया जा रहा है. भाजपा को अगर किसी से या किसी के विचारधारा से डर है तो वह अखिलेश यादव की विचारधारा से डर है और इसी पीडीए के डर से बीजेपी ये प्रतिनिधित्व देने की बात कर रही है, लेकिन ये सब प्रतीकात्मक है, क्योंकि बीजेपी एक कॉरपोरेट कंपनी है, जिसका एक सीईओ है बाकि सभी लोग कर्मचारी हैं और सीईओ अपने मन में मुताबिक कर्मचारियों को लगाते हैं.
सपा ने भाजपा को बताया कॉरपोरेट कंपनी
सपा नेता ने कहा कि आज यादव को प्रतिनिधित्व दिया हैं, लेकिन सवाल है कि क्या मुस्लिमों को प्रतिनिधित्व मिलेगा. वो भी हमारे देश का ही नागरिक है पर भाजपा उन्हें दूसरी नजर से देखती है. जब कभी समाजवादियों के नेतृत्व की सरकार बनेगी तो उसमें राजनीतिक, आर्थिक और शासकीय व्यवस्था में हम सबको प्रतिनिधित्व देंगे. भाजपा अपने नेताओं को प्रतिनिधित्व नहीं दे रही है बल्कि अपने ही पिछड़ों के जनाधारी नेता है उनको साइडलाइन कर रही है. भाजपा सब जगह अपने तोते बिठा रही है. आज शिवराज की क्या हैसियत रह गई.
मनोज काका ने कहा कि, मोदी जी को इस बात का डर है कि उनका जो चार बार के मुख्यमंत्री होने का रिकॉर्ड है वह कोई तोड़ ना दे इसलिए शिवराज को मुख्यमंत्री नहीं बनाया. वहीं जो पिछड़ों के बड़े नेता रहे चाहे उमा भारती जो या विनय कटियार हों इन लोगों का आज क्या हश्र है यह सभी को पता है.
सपा के आरोपों पर बीजेपी का जवाब
सपा के आरोपों पर बीजेपी नेता मनीष शुक्ला ने जवाब दिया. एबीपी लाइव से बात करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मूलमंत्र पर काम कर रही है. मोहन यादव जी आज सीएम बनने के पहले विद्यार्थी परिषद और आरएसएस के पुराने कार्यकर्ता हैं. उनकी पहचान किसी परिवार विशेष के नाते नहीं बल्कि एक कार्यकर्ता के रूप में काम करने के नाते उनकी पहचान हुई है. यूपी, बिहार सहित पूरे देश में ये संदेश साफ है कि भाजपा से जुड़ने से कोई कार्यकर्ता कहीं भी पहुंच सकता है उसके लिए जाति कोई बैरियर नहीं होगा. जबकि सपा और आरजेडी जैसे दल में परिवार के लोग ही नंबर एक की कुर्सी पर पहुंच सकते हैं.
वरिष्ठ पत्रकार बृजेश सिंह ने कहा कि जो यादव नेताजी मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री काल से सपा से जुड़ा है या अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री काल से सपा से जुड़ा है वह भले ही सपा के साथ रहे लेकिन यूथ जो नई पीढ़ी का है वह इस एलान के बाद भाजपा की तरफ देख रहा है. मोहन यादव को सीएम बना के भाजपा ने यादव वोटबैंक में सेंधमारी का काम किया है. एक ऐसा वर्ग जो यूपी और बिहार में भाजपा से अछूता था वो अब भाजपा की तरफ देख रहा है. यादव वर्ग का झुकाव आने वाले दिनों में भाजपा की तरफ दिखेगा. भाजपा ने मध्य प्रदेश में ऐसा चुंबक लगा दिया है जो यूपी से लेकर बिहार तक यादव को अपनी तरफ खींचने का काम करेगा.