केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) ने दो साल के सूक्ष्म परीक्षण
आलू की फसल के लिए एग्री ड्रोन प्रबंधन की सिफारिश की है।
देश के किसान अब ड्रोन की मदद से आलू की स्मार्ट खेती करेंगे। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) ने दो साल के सूक्ष्म परीक्षण के बाद आलू की फसल के लिए एग्री ड्रोन प्रबंधन की सिफारिश की है। सीपीआरआई के उत्तर प्रदेश के मोदीपुरम (मेरठ) और पंजाब के जालंधर क्षेत्रीय स्टेशनों पर दो साल से ड्रोन इस्तेमाल के परीक्षण किए जा रहे थे। इनमें पाया गया है कि ड्रोन के इस्तेमाल से फसल उत्पादन की लागत, समय और पानी की बचत होगी।सीपीआरआई के परीक्षण से यह पुष्ट हो गया है कि ड्रोन से एक एकड़ में छिड़काव के लिए महज 10 लीटर पानी पर्याप्त है, जबकि परंपरागत तरीके से छिड़काव में 100 से 150 लीटर पानी की आवश्यकता रहती है। इतना ही नहीं, छिड़काव के लिए नैनो खाद अथवा कीटनाशकों की भी कम मात्रा में जरूरत रहती है।
ड्रोन से छिड़काव करने वाले किसानों के स्वास्थ्य पर रसायनों के नुकसान का भी खतरा नहीं है। आलू की फसल 90 से 110 दिन की छोटी अवधि में तैयार होती है, जिसके चलते रोगों से बचाव के लिए बार-बार कीटनाशकों के इस्तेमाल की आवश्यकता पड़ती है परंपरागत तरीके से छिड़काव की अपेक्षा ड्रोन से छिड़काव सस्ता है। इतना ही नहीं, आलू की फसल पर ड्रोन से छिड़काव अधिक सटीकता और दक्षता से किया जा सकता है। परीक्षण में पौधे के तीन स्तरों ऊपर, मध्य और नीचे ड्रोन से निकलने वाली महीन बूंदों की कवरेज बेहतर पाई गई है। कृषि मंत्रालय ने सीपीआरआई और कृषि विवि को 2-2 ड्रोन दिए हैं।