राजनीति

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीते चार चुनावों में आसान जीत के बाद भी भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय लोकदल को एनडीए में शामिल

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले आखिरकार पार्टी अपने इस अभियान में सफल हो गई।

 पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीते चार चुनावों में आसान जीत के बाद भी भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय लोकदल को एनडीए में शामिल करने के लिए बेताब थी। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले आखिरकार पार्टी अपने इस अभियान में सफल हो गई। चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न के ऐलान के बाद जयंत चौधरी ने एनडीए में शामिल होने का ऐलान कर दिया। सपा की मदद से राज्यसभा पहुंचे जयंत चौधरी ने अखिलेश यादव से अपनी सियासी दोस्ती तोड़ ली और भाजपा के मंच पर चले गए। दरअसल, जयंत को अपने पाले में करने की कोशिश भाजपा की उन जाट वोटर्स को अपने पक्ष में लाने की कवायद थी, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आबादी के लिहाज से 2 फीसदी की उपस्थिति रखते हैं लेकिन क्षेत्र की सियासत में उनका दखल किसी निर्णायक ‘चौधरी’ की तरह होता है।
वेस्ट यूपी में ये 2 फीसदी जाट वोटर्स अपने प्रभाव की बदौलत 10 सीटों पर नतीजों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। दरअसल, वेस्ट यूपी से आने वाले पूर्व प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके चौधरी चरण सिंह ने इलाके में जाट वोटर्स को संगठित किया था। 1960 के दशक में चरण सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी और भारतीय क्रांति दल का गठन किया था। चौधरी चरण सिंह के निधन के बाद उनके बेटे अजित सिंह ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया लेकिन साल 2014 से बीजेपी के उभार के बाद चौधरी अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल का पतन होना शुरू हो गया था। साल 2014 में पार्टी के संस्थापक और प्रमुख अजित सिंह बागपत से और उनके बेटे मथुरा से चुनाव हार गए। साल 2019 में सीट बदलने के बाद भी नतीजे नहीं बदले और बाप-बेटे इस बार भी क्रमशः मुजफ्फरनगर और बागपत की सीट से पराजित हुए।

दंगों में टूटा जाट-मुस्लिम गठजोड़
साल 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों ने इलाके में जाट और मुस्लिम गठजोड़ को तोड़ने में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद से भाजपा को जाटों का भरपूर समर्थन मिला। इसके बाद भी भारतीय जनता पार्टी ने इस वोटबैंक पर अपनी पकड़ बनाने के प्रयास तेज कर दिए थे। साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी ने अलीगढ़ में जाट स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर एक यूनिवर्सिटी की नींव रखी। इसके अलावा, योगी ने भी अपनी रैलियों में जाट योद्धा गोकुल सिंह का जिक्र किया, जिनका प्रभाव हरियाणा के जाट लोगों में भी काफी ज्यादा है।लांकि, जाट वोटों पर बीजेपी की पकड़ इधर थोड़ी ढीली हो गई। सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसाइटी ऐंड पॉलिटिक्स के निदेशक प्रोफेसर एके वर्मा ने बताया, ‘हमारे अध्ययन से पता चलता है कि 2019 में समुदाय के 91% लोगों ने भाजपा का समर्थन किया था। साल 2022 के विधानसभा चुनावों में यह गिरकर 71% हो गया।’ उन्होंने इस गिरावट के लिए किसानों के विरोध प्रदर्शन और जाटों के लिए आरक्षण की मांग को जिम्मेदार ठहराया।

सपा की मदद से ठीक हुई स्थिति

हालांकि, सपा के साथ मिलकर आरएलडी ने अपनी स्थिति काफी ठीक कर ली थी। आरएलडी का वोट शेयर 2017 में 1.8% से बढ़कर 2022 विधानसभा चुनाव में 2.9% हो गया। इसके विधायकों की संख्या भी एक से बढ़कर 8 हो गई। भाजपा के लिए खतरे की घंटी तब बजी जब दिसंबर 2022 में खतौली उपचुनाव में सपा समर्थित रालोद उम्मीदवार मदन भैया ने भाजपा की राजकुमारी सैनी को हरा दिया, जिससे आरएलडी की ताकत 9 विधायकों तक बढ़ गई। वेस्ट यूपी में यह माहौल 2009 और 2014 के दौरान माहौल से बिल्कुल विपरीत था, जब आरएलडी की सीटें पांच से घटकर शून्य हो गई थीं और वोट शेयर 2.5% से गिरकर 0.9% हो गया।सपा की सहयोगी रहते हुए जयंत ने अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी थी। खासतौर पर साल 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान जब गठबंधन की बदौलत रालोद वेस्ट यूपी की कई सीटों पर जाट और मुस्लिम वोटों को एकजुट करने में कामयाब रही। इसके बाद से ही बीजेपी के थिंक टैंक ने आगामी चुनावों में एसपी-आरएलडी गठबंधन से होने वाले नुकसान को कम से कम करने की योजना बनानी शुरू की। इसके लिए बीजेपी एक संभावित समाधान लेकर आई कि आरएलडी को इंडिया ब्लॉक से अलग कर दिया जाए और इसे एनडीए में शामिल कर लिया जाए।

बीजेपी का प्रस्ताव

सूत्र बताते हैं कि एक प्रमुख जाट नेता जो एक राज्य के राज्यपाल भी रह चुके हैं, इस योजना में भाजपा के काम आए। उन्होंने मोदी कैबिनेट के एक युवा मंत्री के साथ मिलकर पर्दे के पीछे से जयंत चौधरी को सपा से नाता तोड़ने और भगवा खेमे में शामिल होने के लिए मनाने का काम किया। आख़िरकार, बीजेपी ने एक ऐसा प्रस्ताव दिया जिसे जयंत अस्वीकार नहीं कर सके। उनके दादा चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न के अलावा आरएलडी को यूपी कैबिनेट में दो मंत्री पद, दो लोकसभा सीटें और राज्य के उच्च सदन में एक सीट मिलना इस प्रस्ताव में शामिल था। अगर फिर से देश में एनडीए की सरकार बनती है तो एसपी के समर्थन से राज्यसभा पहुंचे जयंत चौधरी को मोदी कैबिनेट में जगह मिल सकती है।

JNS News 24

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