जिला कृषि अधिकारी ने किसान बन्धुओं को फसलों को सर्दी एवं पाले के प्रकोप से बचाने के बताए उपाय
अलीगढ़ – जिला कृषि अधिकारी अमित जायसवाल ने मौसम विभाग द्वारा जारी 19 जनवरी से 24 जनवरी तक अत्यधिक ठण्ड पड़ने की चेतावनी का संज्ञान लेते हुए किसान भाइयों को सलाह दी है कि रात में पाला पड़ने की संभावना हो तो रात 8 से 10 बजे के आसपास खेत के उत्तरी पश्चिमी दिशा से आने वाली ठंडी हवा की दिशा में खेतों के किनारे पर बोई हुई फसल के आसपास मेड़ों पर रात्रि में कूड़ा कचरा या अन्य घास फूल जला कर धुआं करना चाहिए ताकि खेत में धुआं आ जाये और वातावरण में गर्मी आ जाए। सुविधा के लिए मेड़ पर 10 से 20 फुट के अन्तर पर कूड़े करकट पर ढेर लगाकर धुआं करें। धुआं करने के लिए अन्य पदार्थाे के साथ क्रूड आयॅल का भी प्रयोग कर सकते हैं। इस विधि से 4 डिग्री सेल्शियस तापक्रम आसानी से बढ़ाया जा सकता है।
उन्होंने बताया है कि पाले के समय रस्सी का उपयोग करना काफी प्रभावी रहता है, इसके लिए दो व्यक्ति सुबह के समय (भोर में) एक रस्सी को उसके दोनों सिरों में पकडक़र खेत के एक कोने से दूसरे कोने तक फसल को हिलाते हैं, जिससे फसल पर पड़ी हुई ओस नीचे गिर जाती है और फसल सुरक्षित हो जाती है। प्रातः काल फसल पर हल्के गुनगुने पानी का छिडकाव हो सकता है, छोटी नर्सरी या बगीचे में इस तकनीक का उपयोग सरलता से किया जा सकता है। पौधशालाओं के पौधों एवं सीमित क्षेत्र वाले उद्यानों, नगदी सब्जी वाली फसलों में भूमि के ताप को कम न होने देने के लिए फसलों को टाट, पॉलीथिन अथवा भूसे से ढक दें। वायुरोधी टाटियां, हवा आने वाली दिशा की तरफ यानि उत्तर पश्चिम की तरफ बांधें। जब पाला पडने की संभावना हो तब खेत में सिंचाई करनी चाहिए। नमीयुक्त जमीन में काफी देरी तक गर्मी रहती है और भूमि का तापक्रम एकदम कम नहीं होता है। इस प्रकार पर्याप्त नमी होने पर शीतलहर व पाले से नुकसान की सम्भावना कम रहती है।
वैज्ञानिकों के अनुसार सर्दी में फसल में सिंचाई करने से 0.5 डिग्री से 2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ जाता है। जिन दिनों पाला पड़ने की संभावना हों उन दिनों फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए। इसके लिए एक लीटर गंधक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टयर क्षेत्र में प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिड़कें। ध्यान रखें कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगें। छिड़काव का असर दो हफ्ते तक रहता है। अगर इस अवधि के बाद भी शीतलहर व पाले की संभावना बनी रहे तो गंधक के तेजाब को 15 से 15 दिन के अंतर से दोहराते रहें। सरसों, गेहूं चना, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने में गंधक के तेजाब का छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाव होता है बल्कि पौधों में लौह तत्व की जैविक और रसायनिक सक्रियता बढ़ जाती है जो पौधों में रोग रोधिता बढ़ाने में और फसल को जल्दी पकाने में सहायक होती है। फसलों पर सल्फर के 80 ॅक्ळ पाउडर को 3 किलोग्राम एक एकड़ के हिसाब से छिड़काव कर दें और इसके बाद खेतों की सिंचाई कर दें। इससे फसलों को पाले से बचाया जा सकता है। थोयोयूरिया 1 ग्राम प्रति 2 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव कर सकते हैं, और 15 दिनों के बाद छिडक़ाव को दोहराना चाहिए।
दीर्घकालिन उपाय के रूप में फसलों को बचाने के लिये खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेड़ों पर और बीच-बीच में उचित स्थानों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी अरडू और जामुन आदि लगा दिये जाए तो पाले और ठंडी हवा के झोंको से फसल का बचाव हो सकता है। पाले के दिनों में फसलों में सिंचाई करने से भी पाले का असर कम होता है। पौधशालाओं में पौधों और उद्यानों व नकदी सब्जी वाली फसलों में भूमि के ताप को कम न होने देने के लिए फसलो को टाट, पॉलीथीन अथवा भूसे से ढक दे।