हाथरस

नए नियमों के चलते काट रहे चक्कर: बिना कारतूस के हथियार किस काम के. लाइसेंसधारक परेशान

नए नियम की जटिलता के चलते शस्त्र लाइसेंस धारक व विक्रेता दोनों ही परेशान हैं। कारतूसों की बिक्री धड़ाम हो गई हैं

हाथरस। नए नियम की जटिलता के चलते शस्त्र लाइसेंस धारक व विक्रेता दोनों ही परेशान हैं। कारतूसों की बिक्री धड़ाम हो गई हैं। ऐसे में लाइसेंसधारकों को जिन जिलों में नया नियम लागू नहीं हैं, कारतूस की खरीद करने उन जिलों में भागना पड़ रहा है। जिले के करीब 10 हजार शस्त्र धारकों को करीब तीन सालों से कारतूस के लिए भटकना पड़ रहा है। नए नियमों के चलते हाथरस में शस्त्र लाइसेंस धारकों को कारतूस नहीं मिल पा रहे। उन्हें इसके लिए दूसरे जिलों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। उनके सामने सवाल खड़ा हो गया है कि बिना कारतूस के इन शस्त्रों का क्या करेंगे। शासन स्तर से मार्च 2022 में प्रदेश के कुछ एक जनपदों के साथ हाथरस के लिए एक आदेश जारी किया गया था, जिसमें कारतूस की खरीद के लिए सीओ अथवा एसडीएम की स्वीकृति अनिवार्य होने की बात कही गई थी, जबकि पहले शस्त्र विक्रेता शस्त्र लाइसेंस पर कारतूस की संख्या चढ़ाकर व खाली खोखे लेकर नए कारतूस जारी कर देते थे।
इसकी रिपोर्ट प्रशासन को शस्त्र विक्रेता की ओर से दी जाती थी। लेकिन अब इस नियम को बदल दिया गया है। नए नियम की जटिलता के चलते शस्त्र लाइसेंस धारक व विक्रेता दोनों ही परेशान हैं। कारतूसों की बिक्री धड़ाम हो गई हैं। ऐसे में लाइसेंसधारकों को जिन जिलों में नया नियम लागू नहीं हैं, कारतूस की खरीद करने उन जिलों में भागना पड़ रहा है।

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सिकंदराराऊ छोड़कर तीन तहसीलों में नहीं मिल रही अनुमति

हाथरस। नए नियमों के चलते जिले में सिर्फ सिकंदराराऊ तहसील के लाइससेंधारकों को कारतूस खरीद करने की अनुमति जारी की जा रही है। बाकी हाथरस, सादाबाद व सासनी तहसील में अनुमति के लिए लाइसेंसधारकों को प्रार्थना पत्र लेकर भटकना पड़ रहा है, लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी जा रही।

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38 से घटकर 15 रह गई शस्त्र विक्रेताओं की संख्या

हाथरस। शस्त्र विक्रेताओं को इस समय काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लाइसेंस जारी न होने से शस्त्रों की बिक्री नहीं हो रही। अनुमति के नियम जटिल होने से कारतूस की बिक्री भी ठप हो गई है। जिले के कुल 38 में से मात्र 15 शस्त्र विक्रेताओं ने ही अपने लाइसेंस का नवीनीकरण कराया है। आमदनी न होने से सिर्फ आठ ही सक्रिय रूप से दुकान चला रहे हैं। माना जा रहा है कि अगर यही हाल रहा तो इनकी संख्या में और कमी हो जाएगी।
एक साल में अधिकतम 200 कारतूसों की खरीद का अधिकार
जिले में शस्त्र लाइसेंस व कारतूस की बिक्री न होने से राजस्व की भी हानि हो रही है, क्योंकि शस्त्र पर 28 फीसदी और कारतूस पर 18 फीसदी की दर से कर लगाए जाने का प्रावधान है, लेकिन बिक्री न होने से राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। वर्ष 2022 से पहले जिले में हर साल करीब छह लाख कारतूस की मांग रहती थी। यहां अहम है कि एक शस्त्र धारक को एक बार में अधिकतम 100 व एक साल में अधिकतम 200 कारतूस तक की खरीद करने का अधिकार है।

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जिलाधिकारी का कहना

हाथरस। राहुल पांडेय, डीएम का कहना है कि शासन से वर्ष 2022 में पत्र जारी हुआ था, जिसमें अनुमति के आधार पर कारतूसों की बिक्री के आदेश जारी हुए थे। अगर किसी तहसील में अनुमति के प्रार्थना पत्र लंबित हैं तो उन्हें दिखवाकर निस्तारित कराया जाएगा।

JNS News 24

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