हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को सबसे पवित्र और प्रभावशाली व्रतों में गिना जाता है
यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित होता है.

हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने में अलग-अलग तिथि को एकादशी व्रत पड़ता है. पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. इस दिन का विशेष महत्व है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. जिन दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं होती है या फिर जो संतान से जुड़ी परेशानियों की समस्याओं से घिरे हैं, उनके लिए यह व्रत काफी लाभदायक साबित होता है.यह व्रत उन सभी के लिए विशेष है, जो संतान सुख, पारिवारिक शांति और जीवन में सकारात्मक बदलाव चाहते हैं. सरल नियमों और सच्चे मन से किया गया यह व्रत भगवान विष्णु की विशेष कृपा दिलाता है. जीवन को सुखमय बनाता है.पुत्रदा एकादशी केवल संतान प्राप्ति तक सीमित नहीं है. यह व्रत संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य, बुद्धि और संस्कारों के लिए भी किया जाता है. कहा जाता है कि जिनके पहले से संतान है, वे इस व्रत को अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य और पारिवारिक सुख-शांति के लिए रखते हैं.धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि इस दिन सच्चे मन से की गई पूजा से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. यही कारण है कि यह व्रत पीढ़ियों से आस्था के साथ किया जाता रहा है.साल 2025 में पौष पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व है. यह वर्ष की अंतिम एकादशी होगी. पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 दिसंबर 2025 को सुबह 7 बजकर 50 मिनट से शुरू होगी और 31 दिसंबर 2025 को सुबह 5 बजे समाप्त होगी.इस बार यह व्रत दो खास शुभ योगों में पड़ रहा है. एक ओर भरणी नक्षत्र रहेगा और दूसरी ओर सिद्ध योग का संयोग बनेगा. ज्योतिष के अनुसार, यह योग पूजा, व्रत और संकल्प सिद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है.इस योग में व्रत करने से दोगुना फल मिलता है. इस बार एकादशी तिथि दो दिनों तक रहेगी. इसलिए कुछ लोग 30 दिसंबर को और कुछ 31 दिसंबर को व्रत रखेंगे. मान्यता है कि गृहस्थ लोग पहले दिन व्रत रखते हैं, जबकि वैष्णव संप्रदाय के लोग दूसरे दिन उपवास करते हैं.
व्रत रखने की सही विधिपौष पुत्रदा एकादशी का व्रत श्रद्धा और नियम के साथ करना चाहिए. व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. साफ वस्त्र पहनें. इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. दिनभर सात्विक आचरण रखें. झूठ, क्रोध और नकारात्मक विचारों से दूर रहें.यदि संभव हो तो फलाहार करें या केवल जल ग्रहण करें. व्रत का पारण 31 दिसंबर 2025 को किया जाएगा. पारण का शुभ समय दोपहर 1 बजकर 26 मिनट से 3 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. पारण के समय भगवान विष्णु को भोग लगाकर व्रत खोलना शुभ माना जाता है.



