यूपीएससी परीक्षा में सफलता पाने में अच्छे अच्छों के पसीने छूट जाते हैं. देश ही नहीं दुनिया के कुछ सबसे कठिन एग्जाम्स
परीक्षा में हर साल लाखों कैंडिडेट बैठते हैं और कुछ का ही सपना पूरा होता है.
यूपीएससी परीक्षा में सफलता पाने में अच्छे अच्छों के पसीने छूट जाते हैं. देश ही नहीं दुनिया के कुछ सबसे कठिन एग्जाम्स में से एक मानी जाने वाली इस परीक्षा में हर साल लाखों कैंडिडेट बैठते हैं और कुछ का ही सपना पूरा होता है. ऐसे में अगर आपके माता-पिता एग्जाम क्लियर कर चुके हों तो ये दबाव कुछ और बढ़ जाता है. ऐसा ही हुआ साल 2018 के टॉपर अक्षत जैन के साथ. अपने पहले प्रयास में अक्षत मात्र दो नंबर से प्री एग्जाम क्वालीफाई नहीं कर पाए थे लेकिन इस फेलियर को उन्होंने बड़ी समझदारी से हैंडल किया.अक्षत के माता-पिता दोनों सिविल सर्वेंट हैं. जाहिर सी बात है जब आप ऐसे परिवार से आते हैं तो आसपास वालों की उम्मीदों का बोझ और बढ़ जाता है. ऐसा ही कुछ मामला अक्षत के साथ भी था. जव वे पहले अटेम्प्ट में दो नंबर से चूके तो सभी को ये हार सहन नहीं हुई. उन्हें लगा कि अक्षत कैसे सफल नहीं हो सकते उनके तो खून में हार्डवर्क और इंटेलीजेंस है.हर तरफ से आ रहे दबावों के बीच अक्षत ने पूरी जोरदारी से तैयारी की और अगले ही साल न केवल यूपीएससी परीक्षा पास की बल्कि इसमें टॉप भी किया. इस साल उन्हें एआईआर टू मिली.
आईआईटी पास आउट हैं अक्षत अक्षत ने यूपीएससी परीक्षा देने से पहले आईआईटी से पढ़ाई की है. उन्होंने आईआईटी गुवाहटी से डिजाइन में ग्रेजुएशन किया है. पहले अटेम्पट में सफलता न मिलने का एक कारण ये भी था कि अक्षत के तैयारी के लिए केवल तीन महीने का समय मिला था. इतने में ही उन्होंने एग्जाम के लिए तैयारी की और परीक्षा दी. नतीजा ये रहा कि वे एग्जाम पास नहीं कर पाए. पर इससे निराश होने की जगह उन्होंने मोटिवेशन लिया और अगले ही प्रयास में सफलता के झंडे गाड़े.माता-पिता से मिला मोटिवेशन सिविल सर्वेंट फैमिली से आने का नुकसान है (कि लोगों को आपसे बहुत उम्मीदें हो जाती हैं) तो फायदा भी है. अक्षत को एग्जाम क्लियर करने का मोटिवेशन भी अपने पैरेंट्स से ही मिलता था. उनके पैरेंट्स को हमेशा ये लगता था कि दूसरों की सेवा करने में जो सुख है वो दूसरे काम में नहीं. अक्षत ने भी इसे ही अपने जीवन का ध्येय बनाया और आईआईटी से आईएएस बनने तक का सफर तय किया.