पलकों का झड़ना है इन बीमारियों का होता है खतरा का सकेंत
यह एक न्यूरोमस्क्यूलर डिसऑर्डर है जिसमें पेशियों में कमजोरी आती है
सुंदर आंखें हर किसी को आकर्षित करती हैं. लेकिन आंखों की सुंदरता में पलकों की अहम भूमिका होती है. लंबी, काली और घनी पलकें आंखों को और भी आकर्षक बना देती हैं. यह नहीं सुंदरता के साथ साथ पलकें हमारी आंखों की रक्षा भी करती है. वे न केवल धूल और कणों से हमारी आंखों को बचाती है बल्कि उन्हें नमी देने में भी मदद करती हैं. लेकिनहम टूटती पलकों पर ज्यादा ध्यान नही देते है और धीरे-धीरे हमारी आंखों से पलकें कम होने लगती है या फिर गंजी होती चली जाती है. जिसके कारण का पता भी हमें नहीं चलता है. पलकें अधिक मात्रा में गिर रही हैं तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए. आइए जानते हैं पलकों के झड़ने से किस बीमारी का खतरा हो सकता है.
हाइपोथायरॉइडिज्म
थायरॉइड हार्मोन की कमी से शरीर में प्रोटीन का उत्पादन कम हो जाता है, जिससे बाल और पलकें कमजोर हो जाती हैं.हाइपोथायरॉइडिज्म पलकों के गिरने या ब्लेफेराइटिस का एक आम कारण है. यह वन बढ़ने, पुरानी थकान और बाल झड़ने जैसे थाइरॉइड के गंभीर संकेतों में गिना जाता है.
माइस्थीनिया ग्रेविस
यह एक न्यूरोमस्क्यूलर डिसऑर्डर है जिसमें पेशियों में कमजोरी आती है. पलकें गिरना इसका एक प्रमुख लक्षण है.माइस्थीनिया ग्रेविस एक गंभीर बीमारी है जिसमें शरीर की मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है. इस बीमारी में, मांसपेशियां ठीक से काम नहीं कर पाती हैं.इसका सबसे आम लक्षण है पलकें झड़ना. पलकें मांसपेशियों से जुड़ी होती हैं और जब मांसपेशियों में कमजोरी आती है तो पलकें भी अपना काम ठीक से नहीं कर पाती. परिणामस्वरूप, पलकें झड़ने लगती है और बंद नहीं हो पाती. यह बहुत परेशान करने वाला हो सकता है.
बेल्स पॉल्सी
यह फेसियल नर्व की समस्या है जिससे पलकों और चेहरे की मांसपेशियों में कमजोरी आती है.इस बीमारी के कारण मुंह, पलकें, और गालों की मांसपेशियाँ बिल्कुल काम नहीं कर पातीं.बेल्स पॉल्सी का मुख्य लक्षण एक तरफा पलकों का झुलसना और उनके बंद न हो पाना है.इस स्थिति में रोगी की एक आँख पूरी तरह खुली रहती है और बंद नहीं हो पाती.