अडानी समूह की कंपनियों की फंड जुटाने की योजना पिछले साल जनवरी में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद प्रभावित हुई
समूह की कंपनियां धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही हैं...
पिछले साल हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद बेपटरी हुई अडानी समूह की योजनाएं धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही हैं. अडानी की कंपनियां अब फंड जुटाने की योजनाओं को अमल में लाने लगी हैं. समूह की पोर्ट ऑपरेटर कंपनी अडानी पोर्ट्स एंड सेज ने हाल ही में बॉन्ड मार्केट में प्रवेश किया है. ऐसा 2 साल में पहली बार हुआ है, जब अडानी पोर्ट्स बॉन्ड मार्केट में आई है.रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अडानी पोर्ट्स ने 5 साल और 10 साल में मैच्योर हो रहे बॉन्ड के लिए बिडिंग रिसीव की. कंपनी ने दोनों बॉन्ड के लिए 60.2 मिलियन डॉलर यानी 500 करोड़ रुपये के लिए बॉन्ड एक्सेप्ट किया. दोनों बॉन्ड के लिए कंपनी को 1000 करोड़ रुपये की बोलियां प्राप्त हुई थीं. अडानी पोर्ट्स इन दोनों बॉन्ड पर 7.80 फीसदी और 7.90 फीसदी कूपन रेट ऑफर कर रही है. ये कूपन रेट सिमिलर रेटिंग वाली कंपनियों की तुलना में 15 से 20 बेसिस पॉइंट ज्यादा हैं.
अक्टूबर 2021 के बाद पहली बारअडानी पोर्ट्स इससे पहले आखिरी बार अक्टूबर 2021 में बॉन्ड मार्केट में उतरी थी. उस समय अडानी समूह की पोर्ट कंपनी ने 6.25 फीसदी कूपन रेट पर बाजार से 10 बिलियन डॉलर जुटाया था. उसके बाद अडानी समूह की फंड जुटाने की कई योजनाएं हिंडनबर्ग रिसर्च की विवादास्पद रिपोर्ट के कारण टल गई थी. अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म ने ऐसे समय अडानी समूह पर रिपोर्ट जारी किया था, जब समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज एफपीओ लेकर आई थी.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का असर
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का असर अडानी एंटरप्राइजेज के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर पर भी हुआ था. अडानी एंटरप्राइजेज ने रिपोर्ट के चलते उपजे विवाद को देखते हुए एफपीओ को पूरा सब्सक्राइब होने के बाद भी वापस ले लिया था और सभी निवेशकों को उनके पैसे लौटा दिए गए थे. अब अडानी समूह की पोर्ट कंपनी ऐसे समय बॉन्ड बाजार में उतरी है, जब हिंडनबर्ग के आरोपों पर सेबी की जांच को सुप्रीम कोर्ट ने प्रमाणित कर दिया है.
कंपनी ने किया है ये ऐलान
अडानी पोर्ट्स दुनिया की सबसे बड़ी पोर्ट ऑपरेटर कंपनियों में एक है. कंपनी अभी भारत में 13 पोर्ट व टर्मिनल को ऑपरेट कर रही है. कंपनी ने पिछले सप्ताह ऐलान किया था कि वह बॉन्ड के जरिए फंड जुटाने वाली है. कंपनी ने आने वाले महीनों में बॉन्ड से 5000 करोड़ रुपये तक जुटाने की योजना जाहिर की थी. कंपनी जुटाए गए फंड का ज्यादातर इस्तेमाल अपने मौजूदा कर्जों के पुनर्वित्तपोषण पर करने वाली है.