धार्मिक
सिखों के 9वें गुरु, गुरु तेगबहादुर का जन्म वैशाख पंचमी 21 अप्रैल 1621 को हुआ था
.गुरु तेगबहादुर के 57 शबद और 59 श्लोक श्री गुरुग्रंथ साहब में दर्ज हैं,
सिखों के 9वें गुरु, गुरु तेगबहादुर का जन्म वैशाख पंचमी 21 अप्रैल 1621 को हुआ था. पिता ने जन्म के समय इन्हें उन्हें त्यागमल नाम दिया था लेकिन महज 14 साल की उम्र में ऐसी वीरता दिखाई कि उन्हें योद्धा गुरु तेग बहादुर के नाम से पुकारा जाने लगा. गुरु तेग बहादुर जी ने भारतीय धर्म संस्कृति हिंदू-हिंदुत्व और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अथक संघर्ष किया.गुरु तेगबहादुर के 57 शबद और 59 श्लोक श्री गुरुग्रंथ साहब में दर्ज हैं, गुरु तेग बहादुर के अनमोल विचार आज लोगों को प्रेरित करते हैं और जीवन जीने का सही तरीका बयां करते हैं. गुरु तेग बहादुर की जयंती पर जानें उनके मोटिवेशनल कोट्स
गुरु तेग बहादुर के अनमोल विचार
- सफलता कभी अंतिम नहीं होती, विफलता कभी घातक नहीं होती. इनमें जो मायने रखता है वो है साहस.
- गुरु तेग बहादुर कहते हैं कि डर कहीं और नहीं, बस आपके दिमाग में होता है.
- गुरु तेग बहादुर के मुताबिक एक सज्जन व्यक्ति वह होता है, जो कभी भी जाने या अनजाने में किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाता है.
- आध्यात्मिक मार्ग पर दो सबसे कठिन परीक्षण हैं, सही समय की प्रतीक्षा करने का धैर्य और जो सामने आए उससे निराश ना होने का साहस.
- सिखों के 9वें गुरु तेग बहादुर ने कहा है हर प्राणी के लिए अपने मन में दया का भाव रखें,क्योंकि घृणा और नफरत से केवल विनाश होता है. किसी से प्रगाढ़ता से प्रेम करना आपको साहस देता है.
- हार और जीत यह आपकी सोच पर निर्भर है, माव लो तो हार है छान लो तो जीत है.
- गलतियां हमेशा माफ की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो.
- गुरु तेग बहादुर का कहना था कि छोटे-छोटे कार्यों से ही महान कार्य बनते हैं.
- गुरु जी का कथन है कि चिंता उसकी करो, जो अनहोनी हो-‘चिंता ताकी कीजिये जो अनहोनी होय’. इस संसार में तो कुछ भी स्थिर नहीं है. गुरु तेग बहादुर के अनुसार,समरसता सहज जीवन जीने का सबसे सशक्त आधार है.
- नह निंदिआ नहिं उसतति जाकै लोभ मोह अभिमाना। हरख सोग ते रहै निआरऊ नाहि मान अपमाना’. गुरु जी का कहना है कि वैराग्यपूर्ण दृष्टि से संसार में रहते हुए सभी सकारात्मक – नकारात्मक भावों से निर्लिप्त होकर ही सुखी और सहज जीवन जिया जा सकता है.