सोनिया गांधी को अयोध्या आने का न्योता देकर क्या बीजेपी ने सियासी दांव खेला है?
सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी को समारोह में शामिल होने का न्योता दिया गया है.
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी जाएंगी या नहीं.. इस पर अब भी संशय बना हुआ है.पहले ऐसी रिपोर्टें सामने आई थीं, जिनमें दावा किया गया था कि सोनिया गांधी इस समारोह में हिस्सा लेंगी. लेकिन बीते शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी ने साफ़ किया कि उनके समारोह में शामिल होने को लेकर सही समय पर घोषणा की जाएगी.विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया था कि राम मंदिर के उद्घाटन के लिए सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं को निमंत्रण दिया गया है.उन्होंने बताया था कि सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी को समारोह में शामिल होने का न्योता दिया गया है.
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने या न होने को लेकर कांग्रेस खुलकर बयान नहीं दे रही है.कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश बयान दे चुके हैं कि सही समय पर फ़ैसला लिया जाएगा. वहीं कुछ दिनों पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा ने सवाल किया था कि राम मंदिर असल मुद्दा है या बेरोज़गारी.इस पर भी जयराम रमेश ने सफ़ाई दी थी कि सैम पित्रोदा का बयान कांग्रेस का आधिकारिक बयान नहीं है और वो (पित्रोदा) कांग्रेस पार्टी की तरफ़ से नहीं बोलते हैं.इस मुद्दे पर द हिंदू अख़बार अपनी एक रिपोर्ट में लिखता है कि सोनिया गांधी और खड़गे का समारोह का निमंत्रण दिए जाने के बाद कांग्रेस पार्टी के भीतर इस पर उसकी स्थिति को लेकर वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई थी.सोनिया और खड़गे के अलावा इस पर पी. चिदंबरम, अंबिका सोनी, केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश, दिग्विजय सिंह और रणदीप सिंह सुरजेवाला से चर्चा की गई है.दिग्विजय सिंह ने हाल में एक समाचार एजेंसी से कहा था कि ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट किसी पार्टी का नहीं है और जाने पर क्या आपत्ति होनी चाहिए, सोनिया जी इसको लेकर सकारात्मक हैं, या तो वो या फिर हमारा प्रतिनिधिमंडल इसमें जाएगा.’हालांकि, कांग्रेस ने इस समारोह में जाने के लिए किसी और नेता का नाम तय नहीं किया है क्योंकि इस समारोह का निमंत्रण किसी और को ट्रांसफ़र नहीं किया जा सकता है.इस समारोह में जाना या न जाना विपक्ष के लिए एक पेचीदा मुद्दा बनता दिख रहा है.कांग्रेस की केरल में सहयोगी पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने कांग्रेस के समारोह में जाने का विरोध किया है.विपक्षी इंडिया गठबंधन में भी इसको लेकर एक सुर सुनाई नहीं दे रहे हैं. सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने समारोह के निमंत्रण को ठुकरा दिया है.साल 2019 में नौ नवंबर को जब राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आया तो कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने बयान जारी कर कहा था कि वो सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करती है और अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में है.सोशल मीडिया वेबसाइट एक्स (पहले ट्विटर) पर शुक्रवार को सीडब्ल्यूसी के एक सदस्य और सांसद शशि थरूर ने लिखा कि ‘ये साफ़ है कि 2024 में बीजेपी अब अपने मूल संदेश पर वापस लौटेगी और नरेंद्र मोदी को राष्ट्र के हिंदू हृदय सम्राट के तौर पर पेश करेगी.’थरूर सवाल करते हैं कि अच्छे दिन का क्या हुआ, हर साल दो करोड़ नौकरियों का क्या हुआ, आर्थिक प्रगति का क्या हुआ?शशि थरूर ने 28 दिसंबर को इस मामले एक ट्वीट कर कहा था, ”मेरा मानना है कि धार्मिक आस्था एक निजी मामला है और इसे सियासी चश्मे से नहीं देखना चाहिए या इसका राजनीतिक दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. मैं उम्मीद करता हूँ कि जितने लोगों को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में बुलाया गया है वो जाने या नहीं जाने का चुनाव अपनी पसंद के हिसाब से करने के लिए स्वतंत्र होंगे. मैं उम्मीद करता हूं कि जो नहीं जाएंगे उन्हें हिन्दू विरोधी नहीं कहा जाएगा और जो जाएंगे उन्हें बीजेपी के हाथों खेलने की बात नहीं की जाएगी.”थरूर ने कहा, ”एक हिन्दू होने के नाते मेरा मानना है कि मंदिर वैसी जगह होती है, जहाँ हम ईश्वर के लिए ध्यान लगाते हैं न कि उसे सियासी मंच बनाते हैं. मैं एक दिन राम मंदिर जाना पसंद करूंगा लेकिन उस दिन नहीं जिस दिन उद्घाटन समारोह के नाम पर सियासी ताक़त दिखाई जाएगी. मैं चुनाव से पहले भी नहीं जाऊंगा. इसलिए मेरे जाने को किसी राजनीतिक संकेत के रूप में नहीं देखा जाए.”