कोई हादसा होता है तो कौन जिम्मेदार होगा, पुलिस, जिला परिवहन विभाग या चीनी मिल प्रशासन ?
डी.सी.एम श्रीराम शुगर मिल प्रशासन ?
जंगबहादुर गंज खीरी। लखीमपुर खीरी जनपद में पसगवां विकास खंड के अजबापुर ग्राम पंचायत में स्थित ड़ी.सी.एम श्रीराम चीनी मिल के चलते ही ओवरलोड की बाढ़ सी आ जाती है। ये वाहन पुलिस परिवहन विभाग के अधिकारियों के सामने सड़क सुरक्षा के सारे मानकों को ध्वस्त करते हुए बेधड़क फर्राटे भरते रहते है। इन गन्ना भरे ओवरलोड वाहनों के पड़ोस से निकलने वाले लोगो को यही डर सताता रहता है कि ये अब गिरा तो तब गिरा। मानो सड़क पर गन्ना भरे ट्रको में मौत के रूप में यमराजो की टोली घूमती नजर आती है।ये वाहन कमर हिलाते हुए हिचकोले भर दिन भर पुलिस और परिवहन विभाग के सामने फर्राटे भरते रहते है। और ये मूकदर्शक बन इन मौत रूपी यमराजो को देखते रहते है। वही चीनी मिल का गन्ना प्रबंधन विभाग इस सब को जानते हुए भी अनजान बना हुआ है। क्षेत्र के विकास का तमगा लेने वाली चीनी मिल भी इन यमराज रूपी गन्ना ढोने वाले वाहनों पर अपने मुनाफे को लेकर ओवरलोड, और ओवर हाइट को लेकर कोई प्रतिबंध नही लगा रही है। यदि चीनी मिल सेंटरों से आने वाले गन्ना वाहनों के लिए वजन निर्धारित कर दे तथा ओवर हाइट के लिए गन्ना ट्रको एवं ट्रालो के लिए चीनी मिल के अंदर प्रवेश द्वार पर ओवर हाइट गेट का निर्माण कर दे तो इस समस्या को खत्म किया जा सकता है परंतु चीनी मिल सहित सरकारी महकमा हर कोई अपने मुनाफे के लिए लगा हुआ है। आमजन की सुरक्षा से उनका कोई सरोकार नही है।
वही गन्ना भरे ट्रेक्टर से खीचे जाने वाले ट्रालो में छमता से कई गुना अधिक गन्ना लोड किया जाता है। पुलिस एवं जिला परिवहन विभाग आंखों में पट्टी बांधे बेखबर इन ट्रालो के मानकों को नही देखती कि इन ट्रालो का रजिस्ट्रेशन किस श्रेणी में हुआ है और ये ट्राले बेधड़क सड़क सुरक्षा एवं परिवहन विभाग के नियमो को ध्वस्त करते हुए सुबह से शाम तक फर्राटे भरते रहते है। चीनी मिल के गन्ना विभाग के ’महाप्रबंधक विवेक तिवारी’ से इस बाबत जब संवाददाता द्वारा जानकारी चाही गई तो उन्होंने कोई संतोषजनक उत्तर न देते हुए उक्त बाबत टाल मटोल करते हुए फोन काट दिया गया। अब सवाल यह उठता है कि इस समस्या का निदान क्या है? यदि कोई हादसा होता है तो कौन जिम्मेदार होगा, पुलिस, जिला परिवहन विभाग या चीनी मिल प्रशासन ?।
अब यक्ष प्रश्न यह उठता है कि शासन, प्रशासन नियम कायदे कानून सिर्फ गरीब लाचार जनता के लिए ही है। क्या शासन प्रशासन कानून पूंजीपतियों और उधोगपतियों की जेब मे रहता है।