2019 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित एक हिंदू टीचर को ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार किया गया
कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि शिक्षक के खिलाफ लगे आरोपों के पर्याप्त सबूत नहीं मिले
साल 2019 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित एक हिंदू टीचर को ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. करीब 5 साल तक चले कानूनी कार्रवाई के बाद अब जाकर इस मामले का परिणाम सामने आया है. अदालत ने हिंदू टीचर को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया है. कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि शिक्षक के खिलाफ लगे आरोपों के पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं इसलिए कोर्ट उन्हें बरी करने का फैसला लेती है.पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ उचित संदेह स्थापित करने में नाकामयाब साबित हुआ है. अदालत द्वारा फैसला सुनाए जाने के बावजूद शिक्षक के रिश्तेदारों और परिवारजनों ने उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता है. उनका मानना है कि पाकिस्तानी धर्मांध लोग कोर्ट द्वारा बरी किए जाने के बावजूद उन्हें अपना निशाना बना सकते हैं.
सिंध मानवाधिकार आयोग के बोर्ड सदस्य सुख देव हेमनानी ने इस मामले पर बयान देते हुए कहा कि 2019 में हिंदू टीचर पर ईशनिंदा के झूठे आरोप मढ़े गए थे. इसकी वजह से उन्हें 5 साल तक जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ा. आखिरकार आज उन्हें अदालत द्वारा न्याय मिल गया है और वह झूठे केस से बरी हो गए हैं.सुख देव हेमनानी ने आगे कहा कि उनके बरी होने के बाद हम उनके और उनके परिवार वालों की सुरक्षा का बंदोबस्त कर रहे हैं. हेमनानी के मुताबिक हिंदू टीचर के खिलाफ एक गलत सूचना उनके साथ-साथ उनके परिवार वालों के लिए बड़ी समस्या बन सकती है.हिंदू टीचर के खिलाफ एक छात्र ने अपने पिता से शिकायत की थी. कथित रूप से छात्र ने अपने पिता को बताया था कि उसके टीचर ने पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ कुछ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था. जिसके बाद इस मामले ने काफी तूल पकड़ ली थी और शिक्षक को 5 साल तक जेल की हवा खानी पड़ी.