अलीगढ़

अलीगढ़ जनपद में 3039 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 2500 पर वजन करने वाली मशीनें खराब पड़ी हैं

बच्चे को गोद में उठाकर ही बता दिया जाता है कि बच्चे में लगभग लगभग इतना वजन होगा

अलीगढ़ जनपद में 3039 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 2500 पर वजन करने वाली मशीनें खराब पड़ी हैं। लेकिन बच्चों का वजन फिर भी किया जा रहा है। दरअसल या तुक्का व्यवस्था चल रही है। बच्चे को गोद में उठाकर ही बता दिया जाता है कि बच्चे में लगभग लगभग इतना वजन होगा। अब जरा सोचिए कि इस कुपोषित व्यवस्था से बच्चे का सही वजन कैसे पता चलेगा। अब जब वजन ही नहीं होगा तो बच्चा कुपोषित है, अतिकुपोषित है या सेहतमंद यह कैसे पता चलेगा जिले की बात करें तो यहां 3039 आंगनबाड़ी केंद्रों में चिन्हित करीब 12 हजार से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। इसमें 1699 कुपोषण की गंभीर चिकित्सीय अवस्था (सैम ) एवं 10, 228 कुपोषण की चिकित्सीय अवस्था ( मैम ) की श्रेणी में हैं। संभव कार्यक्रम से पहले आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों का वजन कराए जाने के बाद यह स्थिति सामने आई है। यह बच्चे कुपोषण से जंग लड़ रहे हैं। अति कुपोषित बच्चों का जेएन मेडिकल कॉलेज में बने पुनर्वास केंद्र में उपचार किया जा रहा हैकुपोषित बच्चों को सुपोषित बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। आंगनबाडी केंद्रों के जरिये ऐसे बच्चों को चिन्हित करने के साथ ही उन्हें कुपोषण से बाहर निकालने के लिए उनका उपचार कराया जा रहा है। कई बच्चों को उपचार के बाद सुपोषित बनाया जा चुका है। बच्चों का वजन तौलने वाली मशीनों में खराबी आ जाने पर संबंधित कंपनी को अवगत कराकर खराबी को दूर कराया जा रहा है। शासन स्तर पर नई मशीनें उपलब्ध कराने के लिए मांग पत्र भेजा है।

बच्चों का वजन करने वाली मशीनें खराब सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों में नौनिहालों की पढ़ाई से लेकर उनके स्वास्थ्य के इंतजाम की पूरी व्यवस्था की है। मगर, जिम्मेदारों की अनदेखी से नौनिहालों को मिलने वाली सुविधाएं दम तोड़ रही हैं। हालात यह है कि कहीं पर बच्चों का वजन करने वाली मशीन खराब हैं तो कहीं अन्य इंतजाम नहीं हैं। वजन मापने की मशीन सही नहीं होने से बच्चों का उम्र के हिसाब से वजन माप पाना मुश्किल हो रहा है।

ये योजनाएं हो रहीं संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर नौनिहालों व गर्भवती महिलाओं के लिए मीठा-नमकीन दलिया और लड्डू बांटे जाते हैं। हर महीने तीन किलो प्रति महिला के हिसाब से पुष्टाहार देने की व्यवस्था है। केंद्र पर आने वाले नौनिहालों को पका भोजन दिया जाता है। हर माह इस पर लाखों रुपये खर्च हो रहे है।एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज के पोषण पुनर्वास केंद्र में 8 कुपोषित बच्चे भर्ती हैं। केंद्र में 10 कुपोषित बच्चों को भर्ती करने की व्यवस्था है। भर्ती कुपोषित बच्च्चे 14 दिन तक रहेंगे। उनके साथ उनकी मां के रहने की व्यवस्था भी है। केंद्र के प्रभारी प्रो. सैयद मनाजिर अली ने बताया कि 14 दिन तक के लिए भर्ती बच्चों की देखभाल की जाती है। डॉक्टरों की देखरेख और सलाह से दवाइयां और पोषक आहार दिया जाता है। शारीरिक सुधार होने के बाद उनके तीमारदारों को सावधानी बरतने की जानकारी देकर घर भेज दिया जाता है।

JNS News 24

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