श्रावण मास में विविध त्यौहार प्रारंभ हो जाते हैं जिसमें मेहंदी के धानी रंग की बड़ी महत्ता होती
मेहंदी से हमारा आध्यात्मिक संबंध : डॉ रजनी गुप्ता

श्रावण मास में विविध त्यौहार प्रारंभ हो जाते हैं जिसमें मेहंदी के धानी रंग की बड़ी महत्ता होती है। मेहंदी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है।यह मात्र सजावट नहीं है बल्कि एक एक आध्यात्मिक अलंकरण है, शुभ शगुन, प्रेम, खुशी एवं पारिवारिक सौहार्द का प्रतीक है।इन बातों को बताते हुए डॉ शन्नो रानी सरस्वती कन्या महाविद्यालय, सिंघारपुर की प्राचार्या डॉ रजनी गुप्ता ने कहा कि मेहंदी लगाने की कला, जिसे हिना भी कहा जाता है,इसका इस्तेमाल मूल रूप से इसके प्राकृतिक शीतलता गुणों के कारण गर्म रेगिस्तानी जलवायु में रहने वाले लोगों के लिए किया जाता था। इससे एक लेप बनाया जाता था जिसमें हाथों की हथेलियाँ और पैरों के तलवे भिगोए जाते थे। इसका इस्तेमाल औषधीय प्रयोजनों के लिए भी किया जाता था और पेट दर्द, जलन, सिरदर्द और खुले घावों जैसी बीमारियों के इलाज के लिए इसे त्वचा पर लगाया जाता था।बाद में इसके सुंदर और काफी समय तक बने रहने वाले छापों के कारण इसे उत्सवधर्मिता से जोड़ दिया गया और वर्षपर्यंत इसका प्रयोग होने लगा, पर अपने हरे या कहें धानी रंग के कारण सावन में इसका महत्व बढ़ गया और कजरी गाते हुए इसे लगाया जाने लगा।मेहंदी की इसी महत्ता को समझते हुए छात्राओं ने महाविद्यालय में मेहंदी प्रतियोगिता के आयोजन में हिस्सा लिया जिसमें बी.ए एवं बी.कॉम की लगभग 30 छात्राओं ने पूरे जोश से प्रतिभाग किया। इस कार्यक्रम का आयोजन तनुजा गुप्ता एवं रचना उपाध्याय के निर्देशन में हुआ। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ रजनी गुप्ता ने सभी छात्राओं का उत्साहवर्धन किया।कार्यक्रम में वसुंधरा सिंह, रचना उपाध्याय, तनुजा गुप्ता, पुष्पेंद्र अग्रवाल, अनुज श्रीवास्तव, नीरज सिंह उपस्थित रहे। वसुंधरा सिंह ने छात्राओं को पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के उपाय के बारे में भी जानकारी दी।