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भारत और चीन अपनी अधिक आबादी की वजह से पूरी दुनिया में चर्चा में हो, लेकिन बढ़ती आबादी पूरे विश्व की समस्या नहीं है.

74 साल बाद  आने वाले समय में दुनिया में नाम मात्र की आबादी रह जाएगी

भारत और चीन अपनी अधिक आबादी की वजह से पूरी दुनिया में चर्चा में हो, लेकिन बढ़ती आबादी पूरे विश्व की समस्या नहीं है. अगर दुनिया के लिहाज से देखें तो वैश्विक प्रजनन दर में तेजी से गिरावट आ रही है और इसी रफ्तार से प्रजनन दर में गिरावट आती है तो 74 साल बाद  आने वाले समय में दुनिया में नाम मात्र की आबादी रह जाएगीलैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार, पृथ्वी पर विभिन्न देशों और महाद्वीपों के 8 अरब लोगों का घर है, लेकिन यह आने वाले समय में बड़े स्तर पर जनसंख्या परिवर्तन के लिए तैयार है. अध्ययन में वैश्विक प्रजनन दर में भारी गिरावट का अनुमान लगाया गया है, जो मानवता के भविष्य पर गहरे प्रभाव का संकेत देता है.इस स्टडी में कहा गया है कि 1950 के दशक के बाद से सभी देशों में वैश्विक प्रजनन दर में लगातार गिरावट आई है. यह नेचर सदी के अंत तक जारी रहने की उम्मीद है, जिससे जनसंख्या वृद्धि में काफी कमी आएगी. 1950 के दशक में 4.84 से प्रजनन दर 2021 में गिरकर 2.23 हो गई और 2100 तक इसके और घटकर 1.59 होने का अनुमान है. इस अनुमान का जिक्र वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) की ओर से आयोजित ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज, इंजरीज एंड रिस्क फैक्टर्स स्टडी 2021 में बताया गया है. लैंसेट जर्नल में बुधवार (20 मार्च) को प्रकाशित यह स्ट़डी मानवता के डेमोग्राफिक (जनसांख्यिकीय) ट्रेजेक्टरी की एक गंभीर तस्वीर पेश करती है.

 पीछे कई कारक हैं जिम्मेदार आईएचएमई के निदेशक और स्टडी के वरिष्ठ लेखक डॉ. क्रिस्टोफर मरे प्रजनन दर में गिरावट के लिए विभिन्न कारकों को जिम्मेदार मानते हैं. इनमें शिक्षा और रोजगार में महिलाओं के लिए बढ़े हुए अवसर, गर्भनिरोधक की व्यापक उपलब्धता, बच्चों के पालन-पोषण से जुड़ी बढ़ती लागत और छोटे परिवारों के लिए सामाजिक प्राथमिकता शामिल हैं.

दुनिया के लिए यह स्टडी चेतावनी की तरह इस स्टडी में सामने आया है कि 2021 में 46 प्रतिशत देशों में प्रजनन दर रिप्लेसमेंट लेवल से नीचे थी. वर्ष 2100 तक  यह आंकड़ा 97 प्रतिशत तक जाने का अनुमान है. यह आंकड़ा बताता है कि दुनिया भर के लगभग सभी देश सदी के अंत में प्रजनन स्तर में भारी गिरावट के साथ सब-रिप्लेसमेंट का अनुभव करेंगे. इस स्टडी के मुताबिक, क्योंकि मानवता अभूतपूर्व डेमोग्राफिक चेंज (जनसांख्यिकीय परिवर्तन) के शिखर पर खड़ी है, लैंसेट अध्ययन एक चेतावनी के रूप में है, जो प्रजनन दर में गिरावट से पैदा होने वाली चुनौतियों से निपटने और भविष्य की पीढ़ियों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय उपायों की तत्काल जरूरत को रेखांकित करता है.

JNS News 24

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