भारत की इकोनॉमी तेजी से आगे बढ़ रही है. इसके बावजूद अभी हम लो इनकम वाले देश माने जाते हैं
वर्ल्ड बैंक ने हमें 2007 में लोअर इनकम कंट्री का दर्जा दिया
भारत की इकोनॉमी तेजी से आगे बढ़ रही है. इसके बावजूद अभी हम लो इनकम वाले देश माने जाते हैं. वर्ल्ड बैंक ने हमें 2007 में लोअर इनकम कंट्री का दर्जा दिया था इसके बाद से हम वहीं अटके हुए हैं. हालांकि, साल 2036 तक भारत की इकोनॉमी अपर मिडिल इनकम ग्रुप में प्रवेश कर जाएगी. साथ ही आजादी के 100वें वर्ष में हमारी इकोनॉमी 15 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर चुकी होगी. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने अनुमान जताया है कि वित्त वर्ष 2033 से 2036 के बीच भारतीय इकोनॉमी में यह बड़ा बदलाव होने जा रहा है.
वित्त मंत्री ने 30 ट्रिलियन डॉलर की जताई थी उम्मीद
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुताबिक, साल 2022 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 2390 डॉलर थी. अपर मिडिल इनकम इकोनॉमी में उन देशों को गिना जाता है, जिनकी प्रति व्यक्ति आय 4466 से 13845 डॉलर के बीच होती है. रेटिंग एजेंसी के अनुसार, भारत की इकोनॉमी 2047 तक 15 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर चुकी होगी. यह सरकार के अनुमान से लगभग आधा ही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने हाल ही में कहा था कि साल 2047 तक हमारी इकोनॉमी 30 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर जाएगी.
2036 तक बन जाएंगे अपर मिडल इनकम इकोनॉमी
इंडिया रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर सुनील कुमार सिन्हा के मुताबिक, 30 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा पार करने के लिए भारत की इकोनॉमी (Indian Economy) को 9.7 फीसदी की दर से साल 2047 तक बढ़ना होगा. पिछले 50 साल में ऐसा सिर्फ दो बार हुआ है, जब भारतीय इकोनॉमी की वर्द्धि दर 9.7 फीसदी से ज्यादा थी. साल 1973 से 1982 और 2003 से 2012 के दौरान यह आंकड़ा छू लिया गया था. मगर, लंबे समय तक यही स्पीड बरकरार रखना बहुत मुश्किल काम है. इसलिए हमें ऐसा लगता है कि वित्त वर्ष 2033 से 36 के बीच हम अपर मिडल इनकम और वित्त वर्ष 2043 से 47 के बीच 15 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य हासिल कर लेंगे.
क्रिसिल ने 7 ट्रिलियन डॉलर का लगाया था अनुमान
हाल ही में रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (CRISIL) ने भी अपने अनुमान में कहा था कि भारत 2031 तक अपर मिडल इनकम इकोनॉमी बन जाएगा. साथ ही यह 7 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर जाएगी. सिन्हा ने कहा कि बिना ग्लोबल सपोर्ट के कोई भी देश 7 फीसदी से ज्यादा की विकास दर को लगातार हासिल नहीं कर पाया है.