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वर्ष 2017-18 में भारत का ज्वेलरी मार्केट 50 बिलियन डॉलर का हुआ करता था जो 2023-24 में बढ़कर 80 बिलियन डॉलर ( 6400 अरब रुपये) का हो चुका है.

2027-28 तक भारत के ज्वेलरी मार्केट का साइज 145 बिलियन डॉलर का होने का अनुमान है.  

सोना और हीरा है सदा के लिए. भारत में अमीर हो या गरीब सभी अपने हैसियत के हिसाब से सोने या डायमंड की ज्वेलरी खरीदना पंसद करते हैं. अमीर और देश का बढ़ता मध्यम वर्ग बड़े रिटेल स्टोर्स से ब्रांडेड ज्वेलरी खरीदना पसंद करता है. तो भारत क्योंकि गांवों का देश है तो अभी भी ज्वेलरी मार्केट पर असंगठित बाजार का बड़ा कब्जा है. लेकिन पिछले कुछ सालों में भारत का ज्वेलरी मार्केट का गजब का विस्तार हुआ है. वित्त वर्ष 2017-18 में भारत का ज्वेलरी मार्केट 50 बिलियन डॉलर का हुआ करता था जो 2023-24 में बढ़कर 80 बिलियन डॉलर ( 6400 अरब रुपये) का हो चुका है. और 2027-28 तक भारत के ज्वेलरी मार्केट का साइज 145 बिलियन डॉलर का होने का अनुमान है.

कल्याण और सेनको गोल्ड का स्टॉक खरीदने की सलाह ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल के रिसर्च एनालिस्ट नवीन त्रिवेदी, प्रतीक प्रजापति और तनु जिंदल ने देश के ज्वेलरी मार्केट पर एक रिसर्च नोट तैयार किया है. और रिपोर्ट के मुताबिक इस सबके चलते वो बाजार में लिस्टेड तीन शेयरों पर बुलिश है. मोतीलाल ओसवाल ने निवेशकों को कल्याण ज्वेलर्स (Kalyan Jewellers) और सेनको गोल्ड (Senco Gold) के स्टॉक को खरीदने की सलाह दी है. ब्रोकरेज हाउस ने अपनी रिपोर्ट में कल्याण ज्वेलर्स के स्टॉक का 525 रुपये टारगेट प्राइस दिया है. जबकि 1300 रुपये टारगेट प्राइस सेनको गोल्ड का दिया है. ब्रोकरेज हाउस ने 4150 रुपये के टारगेट प्राइस के साथ टाइटन (Titan)  का शेयर भी खरीदने को कहा है जो तनिष्क (Tanishq) ब्रांड के नाम से रिटेल ज्वेलरी सेगमेंट में मौजूद है.कल्याण ज्वेलर्स का स्टॉक फिलहाल 1.76 फीसदी के उछाल के साथ 431.45 रुपये पर, सेनको गोल्ड का 0.17 फीसदी के उछाल के साथ 1031 रुपये और टाइटन का स्टॉक 3.29 फीसदी की गिरावट के साथ 3471 रुपये पर कारोबार कर रहा है.

डिस्पोजबल इनकम में बढ़ोतरी का फायदा

रिसर्च पेपर के मुताबिक भारत के रिटेल ज्वेलरी सेक्टर के हाई ग्रोथ के कई कारण हैं. भारतीयों की डिस्पोजेबल इनकम में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और प्रति व्यक्ति आय में डबल डिजिट ग्रोथ देखने को मिल रहा है. साथ ही अब शादियों और निवेश के लिए ज्वेलरी खरीदारी से हटकर लोग अब हर दिन पहने जाने वाले हल्के और खुबसुरत डिजाइन के सोने और डायमंड की ज्वेलरी की खरीदारी को तरजीह दे रहे हैं. हॉलमार्क ज्वेलरी के चलते भी लोगों का भरोसा बढ़ा है तो मॉल और मार्केट में बड़े मनमोहक रिटेल स्टोर्स लोगों को शानदार शॉपिंग अनुभव प्रदान कर रहे हैं. इसके चलते संगठित ज्वेलरी रिटेल सेक्टर का मार्कट शेयर पूरे देश में 36-38 फीसदी हो चुका है.इस सबके के बावजूद ज्वेलरी रिटेल सेक्टर पर असंगठित और लोकल प्लेयर्स का दबदबा कायम है. एक अनुमान के मुताबिक देश में 5 लाख के करीब सुनार और ज्वेलर्स मौजूदा हैं जो असंगठित मार्केट से जुड़े हैं. भारत में कुल सोने की खपत में 66 फीसदी योगदान ज्वेलरी का और 34 फीसदी हिस्सा बार और सिक्कों का है. भारत में सोने की खपत को आयात से पूरा किया जाता है.

ज्वेलरी सेगमेंट में बढ़ रहा संगठित क्षेत्र का दबदबा 

शादियां और त्योहार भारत में ज्वेलरी खरीदारी की प्रमुख वजह है. दुल्हन की ज्वेलरी का डिमांड में सबसे बड़ा योगदान है. कुल ज्वेलरी डिमांड में इसकी हिस्सेदारी 55 फीसदी है. रोजाना पहनने वाले ज्वेलरी की डिमांड 30 से 35 फीसदी के करीब है. हाल के दिनों में मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां युवाओं को ध्यान में रखते हुए हल्के ज्वेलरी की मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस कर रहे हैं जो पश्चिमी स्टाइल के प्रेरित है. भारत के ज्वेलरी मार्केट में 10 फीसदी हिस्सा फैशन ज्वेलरी का है.ब्रोकरेज हाउस को लगता है कि उपभोक्ता की खरीदारी में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है. लोग ज्वेलरी खरीदारी के लिए असंगठित से संगठित प्लेयर्स की तरफ शिफ्ट हो रहे हैं. संगठित प्लेयर्स के ब्रांड को मजबूत करने के कवायद के चलते भरोसा और पारदर्शिता बढ़ी है. काराटोमीटर (Karatometer) और ज्वेलरी एक्सचेंज स्कीम (Jewellery Exchange Schemes), प्रमाणिकता सर्टिफिकेट, बायबैक स्कीम का फायदा मिल रहा है. टाइटन की तनिष्क और कल्याण ज्वेलर्स पूरे देश में स्टोर्स खोल रहे हैं तो ग्रामीण और सेमी-अर्बन डिमांड पर भी वे फोकस कर रहे हैं. ई-कॉमर्स पर ज्वेलरी रिटेल का भी फायदा मिल रहा है.

JNS News 24

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