इंदिरा एकादशी 17 सितंबर 2025 को है. इस दिन एकादशी तिथि पर मृत्यु को प्राप्त होने वाले पितरों का श्राद्ध
एकादशी के दिन चावल बनाना और खाना दोनों ही वर्जित है

इंदिरा एकादशी 17 सितंबर 2025 को है. इस दिन एकादशी तिथि पर मृत्यु को प्राप्त होने वाले पितरों का श्राद्ध भी है. एकादशी के दिन चावल बनाना और खाना दोनों ही वर्जित है.शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने पर व्यक्ति अगले जन्म में कुयोनि में जन्म लेता है. लेकिन श्राद्ध के भोजन में चावल की खीर जरुर बनाई जाती है. अब कई लोगों इस बात को लेकर संशय में रहते हैं कि इंदिरा एकादशी के दिन श्राद्ध में खीर कैसे बनाएं आइए जानते हैं इसका उपाय.
इंदिरा एकादशी श्राद्ध में चावल के बिना बनाएं खीर
शास्त्रों में भी खीर को पितरों का प्रिय भोजन बताया गया है, जो उन्हें तृप्त करता है. लेकिन धार्मिक मान्यता के अनुसार एकादशी के दिन किसी भी रूप में चावल का सेवन वर्जित है. ऐसे में आप चावल की जगह मखाने की खीर बना सकते हैं. एकादशी वाले दिन ब्राह्मण भोज के लिए भी ये उपयुक्त है.
चावल न खाने के पीछे धार्मिक कारण
एकादशी के दिन चावल नहीं खाने के पीछे धार्मिक मान्यता ये है महर्षि मेधा ने मां भगवती के क्रोध से बचने के लिए शरीर का त्याग किया था और उनके शरीर के अंश धरती में समा गए, जिनसे चावल का जन्म हुआ, इसीलिए चावल को जीव माना जाता है और एकादशी के दिन सेवन करने पर दोष लगता है.
ज्योतिष कारण
एकादशी के दिन चावल नहीं खाने का एक कारण चंद्रमा से जुड़ा है. चावल में जल की मात्रा अधिक होती है और चंद्रमा का प्रतिनिधित्तव करता है. चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ने से मन चंचल हो सकता है, इससे व्रती अपनी इंद्रियों पर काबू पाने में सक्षम नहीं होता और व्रत में अवरोध आते हैं.



