यूपी की इस सीट पर अंदरुनी गुटबाजी ने बढ़ाई बीजेपी की मुश्किलें,
पार्टी के कई दिग्गज इस सीट पर दावेदारी कर रहे हैं.
लोकसभा चुनाव नजदीक आते आते बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के लिए कानपुर देहात से जुड़ी हुई अकबरपुर लोकसभा सीट अखाड़े का मैदान बनी हुई है. जनपद के कई मंत्री और सांसद से लेकर विधायक तक सब इस सीटो को लेकर अपनी दावेदारी का दम भर रहे हैं और अपने राजनैतिक वजूद को मजबूत करने के लिए अंदर ही अंदर टकराते जा रहे हैं. जिससे इस सीट पर विपक्ष को मजबूती और बीजेपी को नुकसान हो सकता है.कानपुर देहात से जुड़ी हुई अकबरपुर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी में कई फाड़ होते दिखाई दे रहे हैं लेकिन सामाजिक तौर पर हर नेता एक दूसरे का सम्मान करता दिखाई देते है. सबसे महत्वपूर्ण लोकसभा सीट कहीं जाने वाली अकबरपुर लोकसभा जिस पर कानपुर देहात से लेकर कानपुर नगर तक के कई बड़े दिग्गजों की नजर है, लेकिन दौड़ में शामिल इन तमाम दिग्गजों की वजह से आने वाले लोकसभा चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान सही कैंडिडेट ना उतरने से बीजेपी को नुकसान भी हो सकता है.
बीजेपी में दावेदारी को लेकर मचा घमासान अकबरपुर लोकसभा ओबीसी और जनरल कैटेगरी के कैंडिडेट का गढ़ कहा जाता है ऐसे में वर्तमान बीजेपी सांसद देवेंद्र सिंह भोले की दावेदारी को काटकर बीजेपी के अन्य बड़े दिग्गज जो कानपुर नगर या देहात में बतौर बड़े पद पर स्थापित है को मौक़ा दे सकती है. लेकिन शीर्ष नेतृत्व के लिए इस सीट पर कैंडिडेट के चयन की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही है और पार्टी के अंदर फूट भी दिख रही है. अगर बीजेपी सही कैंडिडेट नहीं उतारती तो यहां जीतना मुश्किल हो सकता है. अकबरपुर सीट को लेकर सपा में शामिल पूर्व विधायक कमलेश दिवाकर का कहना है कि जैसे बीजेपी में लड़ाई चल रही है उसे विपक्ष को सौ फीसद फायदा मिलेगा. ओबीसी बाहुल्य इस सीट पर बीजेपी में चल रही आपसी फूट से कार्यकर्ता और मतदाता दोनों भ्रमित होंगे क्योंकि इस रेस में कई दिग्गज नेता शामिल हैं और हर किसी का अपना वजूद भी है. ऐसे में अगर किसी एक का टिकट कटता है पार्टी के अंदर विरोध झेलना पड़ सकता है.