शिक्षा
बोर्ड एग्जाम की तैयारी करने में ग्रुप स्टडी ज्यादा फायदा देती है या सोलो स्टडी
आज जानते हैं दोनों के फायदे और नुकसान.
बोर्ड एग्जाम की तैयारी करते वक्त अक्सर स्टूडेंट्स के मन में ये सवाल आता है कि तैयारी का कौन सा तरीका बेहतर होता है, ग्रुप स्टडी या सोलो स्टडी. कई स्टूडेंट्स अपनी च्वॉइस को लेकर साफ होते हैं तो कई कंफ्यूज रहते हैं. अगर आपके मन में भी इस तरह के सवाल आते हैं तो आज दोनों ही तरीकों के प्रोज़ और कॉन्स जानने की कोशिश करते हैं. देखते हैं कौन सा तरीका बेहतर होता है
.हर किसी का तरीका अलग
इस बहस में पड़ने से पहले ये जान लीजिए की हर किसी की जरूरतें अलग होती हैं और हर किसी का पढ़ने, समझने और ग्रैस्प करने का पेस अलग होता है. आप सबसे पहले ये देख लें कि आपके लिए कौन सा तरीका कारगर हैं फिर उसे ही चुनें. किसी के भी फायदे-नुकसान आपकी अपनी जरूरत के बाद आते हैं. इसलिए चुनाव व्यक्तिगत होना चाहिए.
ग्रुप स्टडी वर्सेस सोलो स्टडी
- शुरुआत आपको सोलो स्टडी से ही करनी होती है. इसलिए एक सीमा तक तैयारी आगे बढ़ जाए उसके बाद ही ग्रुप स्टडी का प्लान करें. शुरू में ही समूह में बैठ गए तो तैयारी नहीं हो पाएगी. पहले सेल्फ स्टडी आती है.
- तैयारी एक लेवल तक हो जाए तो उससे संबंधित डिस्कशन करने और टॉपिक्स के दूसरे पहलुओं को समझने के लिए ग्रुप स्टडी की जा सकती है. इससे आपको दूसरे का भी परसपेक्टिव पता चलता है और अगर आपसे कुछ मिस हो गया तो वो सामने से पता चल जाता है.
- ग्रुप स्टडी करने से तमाम दूसरे पहलुओं से मुलाकात होती है और तैयारा किय गया पक्का हो जाता है. इससे रिवीजन बढ़िया हो जाता है और जो आता है वह पक्का हो जाता है.
- अगर आप अच्छा परफॉर्म करते हैं तो इससे कॉन्फिडेंस बढ़ता है और कहीं दूसरों की तुलना में तैयारी कम लगी तो कॉन्फिडेंस कम भी हो सकता है. इसलिए सोच-समझकर ग्रुप स्टडी में शामिल हों.
- कई बार लोग ग्रुप में पहुंचकर खुद को आंकने लगते हैं और कमतर महसूस करने लगते हैं इसलिए सेल्फ डाउट आ जाता है. इससे जो तैयार होता है उससे भी जाते हैं. ये एक ड्रॉबैक दिमाग में रखकर चलें.
- ग्रुप स्टडी में डिस्ट्रैक्शन होने के चांस ज्यादा रहते हैं. ह्यूमन टेंडेसी है कि जब तीन-चार या ज्यादा लोग साथ मे होते हैं तो बातें होने लगती हैं. ऐसे में कई बार विषय से भी भटक जाते हैं. तो ग्रुप स्टडी तभी करें जब आप सब के सब अनुशासन में रहते हों.
- ग्रुप स्टडी में अगर एक भी बंदा या बंदी लापरवाह हुआ तो पूरे ग्रुप का समय बर्बाद कर सकता है, ये सोचकर आगे बढ़ें या अपना ग्रुप चुनें.
- कई बार स्टूडेंट पढ़ाई में ठीक होते हैं, अनुशासन भी ठीक होता है लेकिन नेचर अच्छा नहीं होता. वे जानकर आपको या तो गलत सलाह देंगे या नहीं देंगे या आता हुआ छिपाएंगे. इन चीजों से बचकर रहें.
- ग्रुप स्टडी में बोर नहीं होते, नींद नहीं आती और घंटे कब निकल जाते हैं पता ही नहीं चलता. सब तय करगे बैठते हैं कि इतने घंटे करना है तो अकेले ये टारगेट भले पूरा न हो ग्रुप में हो जाता है.
- मोटे तौर पर कहें तो सेल्फ स्टडी बेस्ट है या ग्रुप स्टडी ये आपको अपनी क्षमताओं के बेस पर तय करना चाहिए. हालांकि जब तैयारी एक लेवल पर पहुंच जाए तो कभी-कभी ग्रुप के साथ चर्चा करें या कभी-कभी ग्रुप स्टडी करें पर इसे नियम न बनाएं. किसी भी ग्रुप या दोस्त पर डिपेंडेबिलिटी ठीक नहीं है.