क्राइम

कोर्ट में इसकी सुनवाई 18 अप्रैल को होनी है जिसमें एनसीबी द्वारा जवाब दिया जाना है।

पुलिस ने किया था 100 करोड़ की कोकीन पकड़ने का दावा

सेक्टर-31 पुलिस द्वारा पकड़ी गई कोकीन के कुछ सैंपल लेकर जांच के लिए सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लेबोरट्री (सीएफएसएल) लैब में भेजे गए। लेकिन कुछ ही समय बाद जब सीएफएसल से रिपोर्ट आई तो वह काफी चौंकाने वाली थी। क्योंकि जांच रिपोर्ट में बरामद की गई 100 करोड़ की कोकीन महज एक एफेडि्रन पाऊउर निकला जिसका प्रयोग अकसर अलग-अलग प्रकार की दवाइयां बनाने में किया जाता है मई 2021 में चंडीगढ़ पुलिस द्वारा 100 करोड़ की कोकीन पकड़कर झूठी वाहवाही लूटने के मामले की जांच पिछले तीन साल से नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) में अटक गई है। इस मामले में सीएफएसएल की रिपोर्ट आने के बाद पुलिस की पहले ही काफी किरकिरी हो चुकी है। अब एनसीबी की कार्रवाई भी ठंडी पड़ गई है। मामला 10 किलो 24 ग्राम कामर्शियल क्वांटिटी में होने के चलते इसकी जांच वर्ष 2022 में गृह मंत्रालय द्वारा एनसीबी को ट्रांसफर कर दी गई थी। लेकिन ढाई साल से अधिक लंबा समय बीत जाने के बाद भी एनसीबी इस मामले में सप्लीमेंट्री चालान पेश नहीं कर पाई है। जबकि चंडीगढ़ पुलिस कोर्ट में अपनी जांच से संबंधित आरोपियों के खिलाफ चालान पेश कर चुकी थी। अब कोर्ट में इसकी सुनवाई 18 अप्रैल को होनी है जिसमें एनसीबी द्वारा जवाब दिया जाना है।

पुलिस ने किया था 100 करोड़ की कोकीन पकड़ने का दावा
जानकारी के मुताबिक चंडीगढ़ सेक्टर-31 थाना के एसएचओ नरेंद्र पटियाल को गुप्त सूचना मिली थी कि इंडस्टि्श्ल एरिया फेस-2 मं स्थित कुरियर कंपनी में एक व्यक्ति भारी मात्रा में नशीला पदार्थ लेकर आया हुआ है। सूचना पाते ही इंस्पेक्टर नरेंद्र व साउथ एसडीपीओ भी मौके पर पहुंची। जांच टीम ने कुरियर कंपनी में उक्त व्यक्ति से मिले पार्सल चैक किए गए तो इनमें गत्ते के डिब्बों में सामान के अंदर 14 पैकेट बरामद हुए थे। पुलिस ने इसे कोकीन समझ उक्त व्यक्ति अशफाक रहमान निवासी चेन्नई तमिलनाड़ू के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट-21 के तहत मामला दर्ज किया था। जांच टीम के मुताबिक यह कोकीन के पैकेट अस्ट्रेलिया में भेजे जाने थे। इस प्रकरण के बाद पुलिस ने 100 करोड़ की कोकीन पकड़ने का दावा करते हुए खूब वाहवाही लूटी थी।

एफएसएल की रिपोर्ट में खुली पुलिस की पोल
सेक्टर-31 पुलिस द्वारा पकड़ी गई कोकीन के कुछ सैंपल लेकर जांच के लिए सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लेबोरट्री (सीएफएसएल) लैब में भेजे गए। लेकिन कुछ ही समय बाद जब सीएफएसल से रिपोर्ट आई तो वह काफी चौंकाने वाली थी। क्योंकि जांच रिपोर्ट में बरामद की गई 100 करोड़ की कोकीन महज एक एफेडि्रन पाऊउर निकला जिसका प्रयोग अकसर अलग-अलग प्रकार की दवाइयां बनाने में किया जाता है। यह एफेडि्रन एनडीपीएस एक्ट के अधीन ही नहीं आता है और इसकी क्वाटिंटी भी गैर कामर्शियल मानी जाती है जबकि नशीले पदार्थों का वजन क्वाटिंटी पर आधारित होता है। एफेडि्रन को नशीले पदार्थ की कैटेगिरी में भी नहीं रखा गया है और यह महज एक कंट्रोल्ड सबस्टांस की श्रेणी में आता है।

पुलिस की कार्रवाई के चलते सप्लीमेंट्री चालान में एनसीबी की देरी
इस मामले में आरोपी पक्ष के अधिवक्ता संदीप गुज्जर व अमरजीत चौधरी ने बताया कि यह मामला एनसीबी के पास ट्रांसफर हो गया था। लेकिन सीएफएसएल की जांच रिपोर्ट आने के बाद से लेकर अभी तक एनसीबी ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में सप्लीमेंट्री चालान पेश नहीं किया है। क्योंकि एफेडि्रन सीधे तौर पर एनडीपीएस अधिनियम के अनुसार नियंत्रित दवा के दायरे में आता है। इसकी छोटी या वाणिज्यिक मात्रा की कोई अनुसूची नहीं है। बाकायदा भारत की राजपत्र अधिसूचना दिनांक 28.12.1999 के अनुसार भी एफेड्रिन एक नियंत्रित पदार्थ है और कमर्शियल मात्रा की श्रेणी में नहीं आता है। इस मामले में जांच टीमों ने मुख्यारोपी अशफाक की निशानदेही पर चेन्नई निवासी वी. विजय और एन. जफर शरीफ को भी आरोपी बनाया था लेकिन सीएफएसएल की रिपोर्ट आते ही कोर्ट से तीनों आरोपियों को जमानत मिल गई थी।

JNS News 24

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