नवरात्रि में कन्या पूजन का बहुत महत्व है. अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन किया जाता है
कन्या पूजन के समय 9 कन्याओं को घर पर बैठाकर पूजा की जाती है और उनको भोजन आदि कराया जाता है.
नवरात्रि में कन्या पूजन का बहुत महत्व है. अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन किया जाता है. मान्यता है कि कन्या पूजन के बिना नवरात्रि के व्रत पूरे नहीं माने जाते हैं.कन्या पूजन के समय 9 कन्याओं को घर पर बैठाकर पूजा की जाती है और उनको भोजन आदि कराया जाता है. इसी के साथ मान्यता है कि कन्याओं के साथ लंगूर की भी पूजा की जाती है और उन्हें भी भोजन कराया जाता है और दक्षिणा दी जाती है. आखिर क्या वजह है कि कन्या पूजन में कन्याओं के साथ के 1 लंगूर को बैठाया जाता है.कन्या पूजन के दौरान नौ कन्याओं के साथ एक बालक या लंगूर को भी बैठाया जाता है. बिना लंगूर को बैठाएं नवरात्रि में कन्या पूजन अधूरा माना जाता है. नवरात्रि में 9 कन्याओं को देवी दुर्गा का रूप माना गया है वहीं बालक को भौरव बाबा या हनुमान जी का रूप माना गया है. जिसे लंगूर या लांगुरिया भी कहा जाता है.क्यों कन्या पूजन में जरूरी है ‘लंगूर’?कन्या पूजन में 9 कन्याओं के साथ लंगूर को बैठाया जाता है और इसकी भी पूजा की जाती है. कन्याओं की थाली में जो भी भोग परोसे जाते हैं वही भोग लंगूर की थाली में भी परोसे जाते हैं. इसके बाद इनके पैर छूकर आशीर्वाद लिए जाते हैं और दक्षिणा देकर विदा किया जाता है. नवरात्रि में कन्या पूजन और भैरव पूजन करने के बाद ही व्रत सफल होता है और माता रानी के आशीर्वाद से घर पर सुख-समृद्धि बनी रहती है.कन्या पूजन के दौरान जैसे कन्याओं की संख्या 9 होनी चाहिए ऐसी ही बालकों की संख्या 2 होनी चाहिए. जिसमें एक बालक को भैरव बाबा का रूप माना गया है. भैरव बाबा को मां दुर्गा का पहरेदार माना गया है. वहीं दूसरे बालक को हनुमान जी का रूप कहा जाता है.
पौराणिक कथाकथा के अनुसार आपद नाम के एक राक्षस से लोगों पर बहुत अत्याचार किया इस वजह से तीनों लोकों के देवी-देवता बहुत अधिक परेशान थे और इस समस्या का हल ढूंढने लगे.उन सभी ने भगवान शिव से इस समस्या का हल निकालने को कहा था. जब शिव जी ने देवी-देवताओं की प्रार्थना सुनी तो उन्होंने देवी- देवताओं से कहा कि वह अपनी-अपनी शक्तियों से एक बालक की उत्पत्ति करें क्योंकि किसी बालक से ही आपद का वध हो सकता है. तब उन सभी देवी- देवताओं ने मिलकर एक बालक की उत्पत्ति करी थी.जिसका नाम बटुक भैरव रखा गया और फिर भगवान बटुक भैरव ने ही आपद का वध किया. पुराणों के अनुसार बटुक भैरव भगवान के घुंघराले बालों वाले, कमल के जैसे सुन्दर हाथों वाले और अति सुंदर देह के बताए गए हैं. इस वजह से भी भगवान बटुक भैरव जी की पूजा की जाती है.