स्वभाव में निर्मलता तथा कोमलता रखना उत्तम मार्दव धर्म- अनुकरण सागर
दसलक्षण पर्व के द्वितीय दिन खिरनी गेट स्थित श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगम्बर जैन ट्रस्ट मंदिर जी मे सांगानेर जयपुर से पधारे आचार्य संस्कार शास्त्री के निर्देशन
स्वभाव में निर्मलता तथा कोमलता रखना उत्तम मार्दव धर्म- अनुकरण सागर
दसलक्षण पर्व के द्वितीय दिन खिरनी गेट स्थित श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगम्बर जैन ट्रस्ट मंदिर जी मे सांगानेर जयपुर से पधारे आचार्य संस्कार शास्त्री के निर्देशन मे प्रात: श्रीजी का अभिषेक ,शांतिधारा एवं सामूहिक पूजन का आयोजन हुआ। मुनि श्री अनुकरण सागर महाराज ने अपने प्रवचन मे कहा की आज दसलक्षण पर्व का उत्तम मार्दव धर्म है जो हमे व्यक्ति के अभिमान को दूर करके उसे व्यवहार में मृदुता लाने के लिए प्रेरित करता है। कई बार व्यक्ति धन, दौलत व पद पाकर अहंकारी और अभिमानी बन जाता है। वह खुद को सर्वोपरि व दूसरों को छोटा समझता है। लेकिन वास्तव में यह सभी चीजें नश्वर हैं और एक दिन आप इन चीजों से दूर हो जाएंगे। ऐसे में इन नश्वर चीजों के पीछे भागने या फिर उनका अहंकार करने के स्थान पर हर किसी से विनम्र भाव से पेश आएं और सब जीवों के प्रति मैत्री भाव रखें।सांयकालीन आरती एवं स्वाध्याय,प्रवचन एवं श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महिला महासभा द्वारा धार्मिक प्रश्न मंच मोक्ष के द्वार प्रतियोगिता करायी गई। सभी विजयी प्रतियोगियों को संस्था द्वारा पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन अंशुल जैन ,रचना जैन ने किया।इस मौके पर जगवीर किशोर जैन पूर्व एमएलसी,ज्ञानेंद्र कुमार जैन जैन ,नरेंद्र कुमार जैन ,रामकुमार जैन ,संजीव जैन पाटनी,दीपक जैन , शैफाली जैन,आरती जैन ,आशा जैन पाटनी ,नविता जैन ,पूनम जैन ,नीरू जैन एवं समाज के पुरुष महिला बच्चे उपस्थित रहे।