जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव द्वारा जिला जेल में विधिक साक्षरता शिविर का किया गया आयोजन
शिविर के उपरांत जेला जेल का निरीक्षण कर आवश्यकतानुरूप बन्दियों को विधिक सहायता उपलब्ध कराने के दिए निर्देश
अलीगढ़: उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार व जिला न्यायाधीश, अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण संजीव कुमार के आदेशानुसार शुक्रवार को जिला कारागार में विचाराधीन व दोषसिद्ध बन्दियों के मध्य एक विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नितिन श्रीवास्तव की अध्यक्षता में किया गया। शिविर के उपरान्त प्राधिकरण सचिव द्वारा जिला कारागार में स्थित महिला बैरक का निरीक्षण किया गया। विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर के दौरान जेलर कमलेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा सचिव को अवगत कराया गया कि आज की तिथि में जिला कारागार में कुल 1844 बन्दी निरूद्ध हैं, जिसमें से सिद्धदोष बन्दी 545, विचाराधीन बन्दी 1278 तथा 21 एन.एस.ए. बन्दी है। इनमें से 1724 पुरूष बन्दी, 97 महिला बन्दी, 23 किशोर बन्दी हैं। सचिव द्वारा जिला कारागार अलीगढ़ में निरूद्ध दोषसिद्ध, विचाराधीन बन्दियों के मध्य एक विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर में महिला बैरक के अतिरिक्त प्रत्येक बैरक से कुछ-कुछ बन्दी उपस्थित हुए। सचिव द्वारा शिविर में उपस्थित दोषसिद्ध एवं विचाराधीन बन्दियों को अवगत काराया गया कि जिन-जिन विचाराधीन बन्दियों की जमानत सम्बन्धित न्यायालय से हो चुकी है, किन्तु अभी तक उनकी रिहाई नहीं हुई है। वह अपनी जमानत की शर्तों को शिथिल कराने के बावत सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को एक प्रार्थना पत्र अधीक्षक जिला कारागार, अलीगढ़ के माध्यम से अग्रसारित कराकर भेजंे। तदोपरान्त सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा विचाराधीन बन्दी के उक्त प्रार्थना पत्र पर निम्नानुसार विधिक कार्यवाही की जाएगी। शिविर में उपस्थित 04-05 विचाराधीन बन्दियों ने अवगत कराया कि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, इस कारण वे जमानत बन्धपत्र दाखिल करने में असमर्थ हैं। सचिव द्वारा शिविर में उपस्थित ए.डी.आर. कर्मचारी को आदेशित किया गया कि उक्त विचाराधीन बन्दियों से प्रार्थना पत्र लेकर उसे मेरे समक्ष प्रस्तुत करें। सचिव द्वारा शिविर उपस्थित विचाराधीन बन्दियों को यह भी अवगत कराया गया कि जिन-जिन बन्दियों के पास अधिवक्ता नहीं हैं, वे बन्दी अपने वाद की पैरवी के लिए सरकारी अधिवक्ता नियुक्त करने की माँग कर सकते हैं। उनकी माँग पर सचिव द्वारा उन्हें निःशुल्क सरकारी अधिवक्ता उपलब्ध कराया जाएगा। शिविर में उपस्थित कुछ बन्दियों द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि उनकी जमानत माननीय उच्च न्यायालय से हो चुकी है, किन्तु उनके पास जमानत आदेश नहीं है। इस कारण वे जिला कारागार से रिहा नहीं हो पा रहे हैं। इस पर सचिव द्वारा शिविर में उपस्थित जेलर को आदेशित किया गया कि उक्त बन्दियों की अपराध संख्या से माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद की बेबसाइट से बन्दियों के जमानत आदेश को निकालकर उसे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रेषित करें ताकि उन प्रार्थना पत्रों पर अग्रिम कार्यवाही की जा सके। सचिव द्वारा शिविर में उपस्थित विचाराधीन एवं दोषसिद्ध बन्दियों को यह भी अवगत कराया गया कि लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल सिस्टम, अलीगढ़ के असिस्टेन्ट लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल प्रत्येक दिन यहाँ पर आते हैं। आप उनसे मिलकर किसी भी प्रकार की विधिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं। सचिव द्वारा शिविर में उपस्थित जेलर को आदेशित किया गया कि जिला कारागार, अलीगढ़ की प्रत्येक बैरक से इस बात का पता लगायें कि कौन-कौन विचाराधीन बन्दी ऐसे हैं जिनकी जमानत हो गयी है या जो बन्दी कहते हैं कि उनकी जमानत हो चुकी है। उनकी एक सूची बनाकर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को प्रेषित करें। ताकि उक्त सूची पर नियमानुसार विधिक कार्यवाही की जा सके। इसके अतिरिक्त जेलर को यह भी निर्देशित किया कि वे ऐसे अभियुक्तों की भी एक सूची तैयार कर उसे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को प्रेषित करें, जो अर्थदण्ड की धनराशि की एवज में सजा काट रहे हैं।
विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर के उपरान्त सचिव द्वारा जिला कारागार स्थित महिला बैरक का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान जेलर द्वारा अवगत कराया गया कि आज कि तिथि में महिला बैरक में कुल 97 महिला बन्दी निरूद्ध हैं। कुछ महिला बन्दियों के साथ उनके बच्चे भी रह रहे हैं। महिला बैरक में कुल बच्चों की संख्या 15 है तथा जिला कारागार में 04 महिला बैरक हैं। जिनमें अलीगढ़ एवं हाथरस की विचारधीन एवं दोषसिद्ध महिला बन्दी रहती हैं। निरीक्षण के दौरान सचिव द्वारा बैरक संख्या 02 का निरीक्षण किया गया तथा वहाँ उपस्थित महिला विचाराधीन बन्दियों से पूछताछ की गयी। पूछताछ के दौरान एक महिला बन्दी द्वारा अवगत कराया गया कि उसकी जमानत हो चुकी है तथा जामिनदार भी दाखिल हो चुके हैं, किन्तु एक जामिनदार न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने से इन्कार कर रहा है तथा उसके पास जमानत की शर्तों को पूर्ण करने के लिए कोई अन्य जामिनदार नहीं है। इस पर सचिव द्वारा जेलर को आदेशित किया गया कि वे उक्त विचाराधीन बन्दी के परिजन से बात कर यह पता लगायें कि क्या वे कोई अन्य जामिनदार दाखिल कर सकते हैं या नहीं, यदि नहीं तो उक्त महिला बन्दी से आर्थिक विपन्नता का प्रार्थना पत्र लेकर उसे सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को प्रेषित करें ताकि उक्त प्रार्थना पत्र पर नियमानुसार अग्रिम विधिक कार्यवाही की जा सके। निरीक्षण के दौरान सचिव द्वारा महिला बैरक में महिला बन्दियों के साथ रह रहे बच्चों के बारे में पूछताछ की गयी। महिला बन्दियों से पूछा गया कि आपके बच्चों को खानपान में क्या दिया जाता है? तो महिला बन्दी द्वारा अवगत कराया गया कि उसके बच्चे को दूध, फल व अण्डा दिया जाता है। सचिव द्वारा महिला बन्दी से पूछा गया कि दूध का पैकेट किस रंग का होता है? तो उसने तथा वहाँ उपस्थित अन्य महिला बन्दियों द्वारा अवगत कराया गया कि दूध का पैकेट नीले रंग का होता है। इस पर सचिव द्वारा जेलर से पूछा गया कि क्या बच्चों को टोण्ड मिल्क दिया जाता है? तो जेलर द्वारा कहा गया कि जेल में टोण्ड मिल्क ही आता है। सचिव द्वारा पुनः पूछा गया जेल मेन्यू के अनुसार बच्चों को टोण्ड मिल्क दिया जाता है। तत्पश्चात जेलर द्वारा पुनः कहा गया कि जेल मेन्यू के अनुसार बच्चों को टोण्ड मिल्क ही दिया जाता है। सचिव द्वारा महिला बैरक में बने शौचालय का निरीक्षण महिला प्रभारी की उपस्थिति में किया गया। शौचालय साफ-सुथरी अवस्था में दिखाई दिये।पाकशाला के निरीक्षण के दौरान पाकशाला में बन रहे सायंकालीन भोजन का भी निरीक्षण किया गया। पाकशाला में सायंकालीन भोजन में बन रही रोटियों को देखा गया। पकाशाला के निरीक्षण के दौरान पकाशाला इन्चार्ज द्वारा अवगत कराया गया कि आज के सायंकालीन भोजन में बन्दियों को रोटी, दाल साबूत उड़द व आलू बैंगन की मिक्स सब्जी दी जायेगी। इस अवसर पर जेलर, श्री कमलेन्द्र प्रताप सिंह के अतिरिक्त डिप्टी जेलर श्री सुरेश कुमार, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ0 शाहरूख रिजवी, ए.डी.आर. के कर्मचारी श्री ऋषि कुमार, मनोज कुमार व अरूणी सिंह उपस्थित रहे।