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महाशिवरात्रि 8 मार्च 2024 मनाई जाएगी. शिवभक्त व्रत रखकर महादेव का विधि-विधान पूजन अर्चन करते हैं

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा चार प्रहर में की जाती है.

फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्र‍ि का पर्व मनाया जाता है. इस साल महाशिवरात्रि 8 मार्च 2024 मनाई जाएगी. इस दिन शिवभक्त व्रत रखकर महादेव का विधि-विधान के साथ पूजन अर्चन करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.इस दिन शिव मंदिरों या शिवालयों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है.आइए ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास से जानते हैं महाशिवरात्रि 2024 के शुभ संयोग, राशि अनुसार पूजा, महाशिवरात्रि पूजा का महत्व, महाशिवरात्रि पूजन के नियम आदि, संपूर्ण जानकारी.महाशिवरात्र‍ि को लेकर भगवान शिव से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित हैं. ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन में ही ब्रम्हा के रूद्र रूप में मध्यरात्र‍ि को  भगवान शंकर का अवतरण हुआ था.वहीं यह भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने तांडव कर अपना तीसरा नेत्र खोला था और ब्रम्हांड को इस नेत्र की ज्वाला से समाप्त किया था.ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी पावन रात्रि को भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश का सृजन किया था. मान्यता यह भी है कि इसी पावन दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का शुभ विवाह संपन्न हुआ था.हजारों सालों से विज्ञान ‘शिव’ के अस्तित्व को समझने का प्रयास कर रहा है. जब भौतिकता का मोह खत्म हो जाए और ऐसी स्थिति आए कि ज्ञानेंद्रियां भी बेकाम हो जाएं, उस स्थिति में शून्य आकार लेता है और जब शून्य भी अस्तित्वहीन हो जाए तो वहां शिव का प्राकट्य होता है. शिव यानी शून्य से परे. जब कोई व्यक्ति भौतिक जीवन को त्याग कर सच्चे मन से मनन करे तो शिव की प्राप्ति होती है. उन्हीं एकाकार और अलौकिक शिव के महारूप को उल्लास से मनाने का त्योहार है महाशिवरात्रि.ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास बताते हैं कि महाशिवरात्र‍ि के दिन शिवजी का विभिन्न पवित्र वस्तुओं से पूजन एवं अभिषेक किया जाता है और बिल्वपत्र, भांग, धतूरा, अबीर, गुलाल, बेर, उम्बी आदि  अर्पित किए जाते हैं.  भगवान शिव को भांग बेहद प्रिय है. लोग उन्हें भांग भी चढ़ाते हैं. दिनभर उपवास रखकर पूजन करने के बाद शाम के समय फलाहार किया जाता है.शिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा करने का सबसे बड़ा दिन माना जाता है.  कहा जाता है कि इस दिन भोले को खुश कर लिया तो आपके सारे काम सफल होते हैं और सुख समृद्धि आती है.  भोले के भक्त शिवरात्रि के दिन कई तरह से भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं. शिव को खुश करने के लिए शिवालयों में भक्तों का तांता लगा होता है, सभी बेलपत्र और जल चढ़ाकर शिव की महिमा गाते हैं.300 साल बाद महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोगज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि 8 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व ग्रहों की शुभ युति तथा शिवयोग के सर्वार्थसिद्धि योग में मनेगा. इस बार की महाशिवरात्रि और भी खास होगी. पंचांग की गणना व धर्मशास्त्रीय मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि पर इस प्रकार के योग संयोग व ग्रह स्थिति 300 साल में एक या दो बार ही बनती है. इस दुर्लभ योग में भगवान शिव की पूजा शीघ्र फल प्रदान करने वाली मानी गई है.

महाशिवरात्रि पर ग्रह-नक्षत्र की शुभ स्थित महाशिवरात्रि पर शुक्रवार के दिन श्रवण नक्षत्र उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र, शिवयोग, गर करण तथा मकर/कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्षी रहेगी। वहीं, कुंभ राशि में सूर्य, शनि, बुध का युति संबंध रहेगा. इस प्रकार के योग तीन शताब्दी में एक या दो बार बनते हैं, जब नक्षत्र, योग और ग्रहों की स्थिति केंद्र त्रिकोण से संबंध रखती है. दरअसल महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात का पर्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि की रात आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं.ज्योतिषाचार्य ने बताया कि शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन ज्योतिष उपाय करने से आपकी सभी परेशानियां खत्म हो सकती हैं. महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल के दौरान ही महादेव और पार्वती की पूजा की जानी चाहिए तभी इसका फल मिलता है. इस दिन का प्रत्येक घड़ी-पहर परम शुभ रहता है लेकिन प्रदोष काल और रात्रि प्रहर की पूजा का विशेष महत्व है. कुवांरी कन्याओं को इस दिन व्रत करने से मनोनुकूल पति की प्राप्ति होती है और विवाहित स्त्रियों का वैधव्य दोष भी नष्ट हो जाता हैमहाशिवरात्रि पूजा के लाभ  महाशिवरात्रि में शिवलिंग की पूजा करने से जन्मकुंडली के नवग्रह दोष तो शांत होते हैं विशेष करके चंद्र्जनित दोष जैसे मानसिक अशान्ति, माँ के सुख और स्वास्थ्य में कमी, मित्रों से संबंध, मकान-वाहन के सुख में विलम्ब, हृदयरोग, नेत्र विकार, चर्म-कुष्ट रोग, नजला-जुकाम, स्वांस रोग, कफ-निमोनिया संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है और समाज में मान प्रतिष्ठा बढती है.

इन खास चीजों से करें भोलेनाथ की पूजा (Mahashivratri Puja Samagri)

  • शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से व्यापार में उन्नति और सामाजिक प्रतिष्ठा बढती है.
  • भांग अर्पण से घर की अशांति, प्रेत बाधा तथा चिंता दूर होती है.
  • मंदार पुष्प से नेत्र और ह्रदय विकार दूर रहते हैं
  • शिवलिंग पर धतूर के पुष्प-फल चढ़ाने से दवाओं के रिएक्शन तथा विषैले जीवों से खतरा समाप्त हो जाता है
  • शमीपत्र चढ़ाने से शनि की शाढ़ेसाती, मारकेश तथा अशुभ ग्रह-गोचर से हानि नहीं होती. इसलिए महाशिवरात्रि के एक-एक क्षण का सदुपयोग करें और शिवकृपा प्रसाद से त्रिबिध तापों से मुक्ति पायें.

महाशिवरात्रि 2024 शुभ मुहूर्त (Mahashivratri 2024 Puja Muhurat)

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा चार प्रहर में की जाती है.

प्रथम प्रहर में पूजा समय – 8 मार्च शाम 06.25 मिनट से रात्रि 09.28 मिनट तक है

दूसरे प्रहर में पूजा का समय – रात्रि 09.28 मिनट से 9 मार्च मध्य रात्रि 12.31 बजे तक है

तीसरे प्रहर में पूजा का समय – 9 मार्च मध्य रात्रि 12.31 मिनट से प्रातः 03.34 मिनट तक

चतुर्थ प्रहर पूजा समय –  9 मार्च को ही प्रातः 03.34 मिनट से सुबह 06.37 मिनट तक

शिव पूजा से ऐसे करें नवग्रह को प्रसन्न (Mahashivratri Upay to please Navgrah)

सूर्य – ज्योतिषाचार्य ने बताया कि अगर किसी को अपना सूर्य मजबूत करना है सरकारी कामों में सफलता प्राप्त करनी है तो तांबे के लोटे में जल मिश्रित गुण से शिवलिंग का अभिषेक करें, वैवाहिक जीवन मधुर बनाने के लिए जोड़े से पति पत्नी शिवलिंग का अभिषेक करें

मंगल – अगर आपकी कुंडली में मंगल पीड़ित है तो शिवलिंग का अभिषेक हल्दी मिश्रित जल से करें

बुध – अगर आपकी कुंडली में बुध की स्थिति खराब है तो शिव पार्वती की पूजा करें पूजन के बाद 7 कन्याओं को भोजन कराएं एवं जल और तुलसी पत्र चढ़ाएं

शुक्र – कुंडली में शुक्र को मजबूत करने के लिए दूध-दही से अभिषेक करें

शनि – कुंडली में शनि ग्रह पीड़ित है तो सरसों के तेल से अभिषेक करें

राहु- राहु ग्रह को मजबूत करने के लिए जल में 7 दाना जौं मिलाकर अभिषेक करें।

केतु- ज्योतिषाचार्य ने बताया कि केतु ग्रह को मजबूत करने के लिए जल में शहद मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें.

चंद्रमा-  कुंडली में चंद्रमा को मजबूत करने के लिए कच्चे दूध से अभिषेक करें

गुरु – गुरु ग्रह को मजबूत करने के लिए अपने माथे पर और नाभि पर केसर का तिलक लगाएं। केसर मिश्रित जल चढ़ाएं शिवलिंग में सबसे ज्यादा एनर्जी पाई जाती है. इसके साथ 108 बार ओम नम: शिवाय का जाप करें

राशि अनुसार महाशिवरात्रि की पूजा (Mahashivratri Puja according to zodiac sign)

  1. मेष : बेलपत्र अर्पित करें.
  2. वृष : दूध मिश्रित जल चढ़ाएं.
  3. मिथुन : दही मिश्रित जल चढ़ाएं.
  4. कर्क : चंदन का इत्र अर्पित करें.
  5. सिंह : घी का दीपक जलाएं.
  6. कन्या : काला तिल और जल मिलाकर अभिषेक करें.
  7. तुला: जल में सफेद चंदन मिलाएं.
  8. वृश्चिक : जल और बेलपत्र चढ़ाए.
  9. धनु : अबीर या गुलाल चढ़ाएं.
  10. मकर : भांग और धतूरा चढ़ाएं.
  11. कुंभ : पुष्प चढ़ाएं.
  12. मीन : गन्ने के रस और केसर से अभिषेक करें.

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि शिवपुराण के अनुसार व्रती को प्रातः काल उठकर स्नान संध्या कर्म से निवृत्त होने पर मस्तक पर भस्म का तिलक और गले में रुद्राक्षमाला धारण कर शिवालय में जाकर शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन एवं शिव को नमस्कार करना चाहिए. तत्पश्चात उसे श्रद्धापूर्वक व्रत का संकल्प करना चाहिए और फिर पूजन करना चाहिए. भगवान शिव की पूजा करते समय बिल्वपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति की सभी समस्याएं दूर होकर उसकी इच्छाएं पूरी होती हैं.हल्दी का टीका शिवरात्री पर भगत मंदिर में हल्दी के जरिए भगवान शिव को टीका लगाते हैं. वैसे भी लगभग हर धार्मिक कार्य में हल्दी का प्रयेाग किया जाता है लेकिन भगवान शिव को हल्दी अर्पित नहीं की जाती.  इसका कारण है कि कि ऐसा हल्दी एक स्त्री सौंदर्य प्रसाधन में प्रयोग की जाते वाली वस्त है और शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है.लाल रंग के फूल ज्योतिषाचार्य ने बताया कि आपने देखा होगा कि शिवरात्रि पर मंदिरों के बाहर खूब फूल बिकते हैं पर क्या आप ध्यान दिया कि इन फूलों में लाल रंग के फूल नहीं होते. ज्यादातर गेंदा ही नजर आता है. ऐसा इसलिए कि शिवजी को लाल रंग के फूल नहीं चढ़ाते. कहते हैं कि सफेद रंग के फूल चढ़ाने से भगवान शिव को जल्दी प्रसन्न होते हैं.सिंदूर या कुमकुम महिलाएं सिंदूर या कुमकुम अपने पति की लंबी उम्र के लिए लगाती हैं. कहते हैं भगवान शिव विध्वंसक के रूप में जाने गए हैं इसलिए शिवलिंग पर सिंदूर या कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए। इसकी बजाए आप चंदन का इसतेमाल कर सकते हैं.सिर्फ तांबे का लोटा ज्योतिषाचार्य ने बताया कि शिवजी पर इस बार जब आप जल चढ़ाने जाएं तो केवल तांबे या पीतल के लोटे का ही इस्तेमाल करें, स्टील या लोहे के लोटे का नहीं.शंख बजाना शुभ ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हिंदू धर्म में शंख को बहुत पवित्र माना गया है हर पूजा-पाठ के काम में इसे बजाना और इसके जरिए लोगों को जल देना काफी शुभ माना जाता है.  लेकिन कहते हैं कि शिवलिंग पर शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए. ऐसा करना वर्जित माना गया है.

JNS News 24

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