दिल्ली में अमित शाह के निशाने पर थे नेहरू, लखनऊ में योगी
बीजेपी भी लाख कोशिश कर ले, नेहरू का नाम आ ही जाता
राजनीति में तस्वीरों के बहुत सारे मायने होते हैं. और जब तस्वीर भाजपा के निशाने पर रहने वाले नेहरू की हो तो संवेदनशीलता बढ़ ही जाती है. विरोधाभास से जुड़ी तस्वीरों की एक कहानी कल दिल्ली और लखनऊ से एक साथ कही गई देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का भूत हिंदुस्तान पर इस कदर हावी है कि उससे छुटकारा मिलना मुश्किल ही लगता है. बीजेपी भी लाख कोशिश कर ले, नेहरू का नाम आ ही जाता है. कभी कश्मीर के नाम पर तो कभी देश की इकोनॉमी के नाम पर नेहरू खलनायक बन ही जाते हैं. अब देखिए ना आज भी सोशल मीडिया साइट एक्स पर नेहरू ट्रेंड हो रहे हैं.
जबकि आज न उनकी जयंती है और न ही पुण्यतिथि. दरअसल गृहमंत्री अमित शाह की भी मजबूरी थी कि संसद में कश्मीर से संबंधित विधेयकों जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन अधिनियम 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक पर बोल रहे थे. देश के गृहमंत्री हैं तो देशवासियों को सही सही जानकारी भी देनी है. पीओके के लिए नेहरु जिम्मेदार थे तो उनका नाम तो देश को बताना ही पड़ेगा. इसमें शाह की क्या गलती है? अब नेहरू से संबंधित बातों को कांग्रेस दिल पे ले लेती है तो इसमें बीजेपी का क्या दोष है? कांग्रेसी नेता अधीर रंजन को तो वैसे भी बीजेपी की हर बात बुरी लगती है. नेहरू पर आरोप लगने से अधीर दा इतने अधीर हो गए कि उन्होंने आव देखा न ताव सरकार को चुनौती ही दे डाली कि बीजेपी सरकार में हिम्मत है तो नेहरू पर एक दिन बहस ही करा ले. गृहमंत्री को तो जैसे मौका ही मिल गया कि चलो इसी बहाने एक बार फिर कांग्रेस को को बेनकाब करेंगे और उन्होंने तुरंत चुनौती स्वीकार कर ली.