मसूर की दाल की खेती से होता है लाखो का मुनाफा
जिनमें दलहनी फसलों की खेती भी खूब की जा रही है. मसूर की दाल से भी किसानों को खूब फायदा हो रहा है.
भारत में लोग दाल खूब खाते हैं. पूरी दुनिया में जितनी दाल होती है. उसकी आधे से ज्यादा खपत भारत में होती है. किसान भी दालों की फसल खूब कर रहे हैं. जिनमें दलहनी फसलों की खेती भी खूब की जा रही है. मसूर की दाल से भी किसानों को खूब फायदा हो रहा है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं. किस तरह करें मसूर की दाल की खेती. जिससे कमा सकते हैं. लाखों का मुनाफा. तो चलिए जानते हैं इसकी पूरी प्रोसेस. मसूर की दाल को लाल दाल भी कहा जाता है. मसूर की दाल का भारत में काफी उत्पादन होता है. वहीं अगर बात की जाए सबसे ज्यादा उत्पादन की तो भारत इस मामले में दूसरे नंबर पर आता है. मसूर की खेती करने के लिए दोमट मिट्टी सही रहती है. तो इसके साथ ही लाल मिट्टी में भी इसकी खेती की जा सकती है. इसकी खेती के लिए 5.5 से लेकर 7.5 तक के पीएच मान की मिट्टी सही रहती है. मसूर की खेती के लिए ठंडी जलवायु सही रहती है. लेकिन जब पौधे बड़े होने लगते हैं तो फिर इसके लिए उच्च तापमान की जरूरत होती है. खेती करने से पहले खेत की अच्छे से जुताई कर लेनी चाहिए. इसके बाद जमीन के समतल कर मिट्टी भुरभुरी होने के बाद उसमें बीज को बो दें. मसूर की बुवाई करते समय पौधों को 30 सैमी की दूरी पर रखना चाहिए.
2 महीने के बाद फसल तैयार बीज बोने के लगभग 2 महीने बाद मसूर की दाल पूरी तरह से पक जाती है. और कटाई के लिए तैयार हो जाती है. मसूर की फसल अक्टूबर दिसंबर के महीने में बोई जाती है. तो वहीं इसकी कटाई के लिए फरवरी और मार्च के महीने में की जाती है. मसूर के पौधे पर दाने अच्छे से पक जाएं और फलियां हरे रंग से भूरे रंग की हो जाएं तो इनकी कटाई कर लेनी चाहिए. एक हेक्टेयर में करीब 20 से 25 क्विंटल तक उपज होती है. इससे किसान तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं.