22 मार्च 1912 में बंगाल से एक बड़ा हिस्सा अलग हुआ, जिसे बिहार का नाम दिया गया.
बिहार के प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जहां साल भर देश-दुनिया से लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं
22 मार्च 1912 में बंगाल से एक बड़ा हिस्सा अलग हुआ, जिसे बिहार का नाम दिया गया. बिहार को आध्यात्म की भूमि कहा जता है, क्योंकि यहां कई प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर हैं. कुछ मंदिर तो इतने प्राचीन है कि इनका संबंध महाभारत और रामायण काल से जुड़ा है.आज 22 मार्च 2024 को बिहारवासी बिहार दिवस मना रहे हैं. इस मौके पर जानते हैं बिहार के प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जहां साल भर देश-दुनिया से लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं. आइये जानते हैं इन मंदिरों के बारे में-बिहार के गया में स्थित महाबोधि मंदिर खूब प्रसिद्ध है. यह मंदिर निरंजना नदी के तट पर है. इसे बौद्ध धर्म के लोग पवित्र स्थान मानते हैं. साथ ही यहां मुख्य मंदिर के साथ ही बोधि वृक्ष भी है. कहा जाता है कि इसी वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. इसलिए इसे बोधि वृक्ष कहा जाता है.
विष्णुपद मंदिर (Vishnupad Temple): बिहार के गया जिले में विष्णुपद मंदिर है. यह मंदिर फल्गु नदी के किनारे स्थित है. विष्णुपद मंदिर अपने भव्यता और वैभवता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. इस मंदिर का निर्माण ठोस चट्टाओं से हुआ है और यहां 40 सेमी लंबे विष्णुजी का पदचिह्न है, जिसमें शंकम, चक्रम और गधम समेत 9 प्रतीक चिह्न निर्मित हैं.
जानकी मंदिर (Janki Mandir): बिहार के सीतामढ़ी को मां सीता का जन्म स्थान कहा जाता है. यहां से लगभग 5 किमी की दूरी पर जानकी मंदिर है. साथ ही यहां जानकी कुंड सरोवर भी है. ऐसा कहा जाता है कि इस सरोवर में स्नान करने से संतान की प्राप्ति होती है.
महावीर मंदिर (Mahavir Mandir): बिहार के पटना में महावीर मंदिर है, जोकि बहुत प्रसिद्ध है. यहां हनुमान जी की मूर्तियां हैं.
मंगला गौरी मंदिर (Mangla Gauri Mandir): बिहार के गया में मंगला गौरी का प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर को 18 शक्तिपीठों में एक माना जाता है. कहा जाता है कि यहां देवी सती के शरीर का एक अंग गिरा था.