अलीगढ़ महानगर के रमेश विहार इलाके के बहुचर्चित मेडिकल अफसर डॉ. आस्था अग्रवाल हत्याकांड में 14 मई को अदालत ने फैसला सुना दिया
डीजे प्रथम संजीव कुमार सिंह प्रथम की अदालत ने दोषी पति व भाड़े के दो सहयोगियों को उम्रकैद की सजा सुनाई
अलीगढ़ महानगर के रमेश विहार इलाके के बहुचर्चित मेडिकल अफसर डॉ. आस्था अग्रवाल हत्याकांड में 14 मई को अदालत ने फैसला सुना दिया। एडीजे प्रथम संजीव कुमार सिंह प्रथम की अदालत ने दोषी पति व भाड़े के दो सहयोगियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही अर्थदंड भी दिया है। वहीं, जेठ व एक नौकर को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है।अभियोजन अधिवक्ता एडीजीसी अमर सिंह तोमर के अनुसार घटना 12 अक्तूबर 2021 की रात की है। स्वास्थ्य विभाग में संविदा पर तैनात क्वार्सी के रमेश विहार निवासी मेडिकल अफसर डॉ.आस्था अग्रवाल (34) का शव 13 अक्तूबर की शाम घर में फंदे पर लटका मिला। शरीर पर जाहिरा चोट आदि के निशान थे। देखने से लग रहा था कि मारपीट के बाद फंदे पर लटकाया गया है।इसी क्रम में आस्था की बहन आकांक्षा गुप्ता द्वारा क्वार्सी थाने में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया गया। जिसमें कहा गया कि उसकी बहन आस्था ने कई बार बातचीत में बताया कि उसके पति अरुण अग्रवाल द्वारा उसके साथ मारपीट की जाती है। उस पर तरह-तरह के आरोप लगाए जाते हैं। वादिया के सामने भी कई बार मारपीट की गई। आस्था के देवर अनुज अग्रवाल ने भी कई बार आस्था पर हाथ छोड़ा। जिसकी शिकायत थाने पर की गई। अरुण अग्रवाल शराबी व गंदे चरित्र का व्यक्ति है। अन्य महिलाओं से संबंध की बातें अक्सर सामने आती रहती हैं। इन दिनों किसी महिला के चक्कर में अरुण व आस्था में विवाद हुआ। अरुण उस महिला से शादी करना चाहता था, जिसके विरोध में मारपीट भी होती थी।12 अक्तूबर की शाम आस्था के घर के पास रहने वाली वादिया की सहेली मधु शर्मा को आस्था ने एक व्हाट्सएप मैसेज किया, जिसमें आस्था की ओर से लिखा था कि अरुण उसकी हत्या की योजना बना रहा है। अगर उसे कुछ हो तो उसके बच्चों को दीदी को सौंप देना। यह हत्या अरुण, उसके भाई अनुज, तरुण व मित्र अर्पित अग्रवाल ने मिलकर की है। जिसके आधार पर पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज किया गया।दौरान-ए-विवेचना मिले साक्ष्यों व मृतका के बेटे के बयानों के आधार पर अनुज व अर्पित के नाम मुकदमे से हटाए गए, जबकि अरुण-आस्था के कासिमपुर स्थित ऑक्सीजन प्लांट के नौकर विकास चौहान, दो अन्य भाड़े के आरोपी पवन, अशोक उर्फ टशन सभी निवासी साथा जवां के नाम शामिल किए गए। इस आधार पर अरुण, विकास, पवन, अशोक उर्फ टशन को हत्या में व जेठ तरुण को साजिश में जेल भेजा गया और चार्जशीट दायर की गई। न्यायालय में सत्र परीक्षण के दौरान साक्ष्यों व गवाही के आधार पर जेठ तरुण व नौकर विकास को संदेह का लाभ देकर बरी किया गया है। वहीं, पति अरुण, भाड़े पर लाए गए साथी पवन व अशोक को हत्या व साजिश का दोषी करार देकर उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही 1.5-1.5 लाख रुपये अर्थदंड दिया है।शव के पोस्टमार्टम पैनल में डॉ.अनिल कुमार, डॉ.विशाखा गई, डॉ.नीरज गुप्ता व एएमयू के फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ.अफजाल हारुन शामिल थे। साथ में वीडियोग्राफी टीम भी थी। 14 अक्तूबर को हुए पोस्टमार्टम में पैनल ने पाया कि शरीर पर चेहरे, ठोड़ी, घुटने आदि पर मृत्यु पूर्व के नील के निशान थे। गला दबाकर हत्या के बाद शव लटकाया गया था। पोस्टमार्टम से एक दिन यानि 24 घंटे पहले 12 से 13 की मध्य मृत्यु होने का अनुमान जताया गया।