अयोध्या में भव्य राम मंदिर में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर हैं.
राम मंदिर के 14 खूबसूरत घुमावदार दरवाजे महाराष्ट्र के सागौन से तैयार हो रहे
अयोध्या में भव्य राम मंदिर में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर हैं. मंदिर के भूतल पर 14 दरवाजे लगने हैं जिन्हें कारीगर अंतिम आकार देने.में जुटे हुए हैं. राम मंदिर के 14 खूबसूरत घुमावदार दरवाजे महाराष्ट्र के सागौन से तैयार हो रहे हैं जिन्हें स्वर्ण जड़ित किया जाना है.अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की आगामी 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोंरो पर हैं और तमाम प्रमुख हस्तियों को न्योते भेजे जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश और दुनिया से कई वीवीआईपी मेहमानों के इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने की उम्मीद है.इस समारोह को भव्य बनाने में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. प्रभु श्री रामलला का गर्भ गृह स्थान लगभग तैयार हो गया है. लाइटिंग-फिटिंग का काम भी पूरा कर लिया गया है. राम मंदिर में ग्राउंड फ्लोर का काम लगभग पूरा हो चुका है अब दरवाजे तैयार हो रहे हैं. राम मंदिर के भूतल के के 14 खूबसूरत घुमावदार दरवाजों को महाराष्ट्र से आई सागौन की लकड़ी से तैयार किया गया है और उन पर तांबे की परत चढ़ाई जा रही है जिसके बाद इन्हें स्वर्ण जड़ित किया जाना है. जो मजदूर इस काम में लगे हैं वह हैदराबाद स्थित कंपनी के हैं और कन्याकुमारी तमिलनाडु से ताल्लुक रखते हैं.दरवाजों की सुंदरता और विशेषताएं सोने से जड़ित और सुंदर नक्काशीदार डिजाइन है. दरवाजों को फाइनल टच देने के लिए दिल्ली भेजागया है जहां इनकी कोटिंग होगी. इन दरवाजों पर वैभव प्रतीक गज ( हाथी),खूबसूरत विष्णु कमल, स्वागत की प्रणाम मुद्रा में देवी चित्र अंकित हैं.चारों दरवाजे एक दूसरे से अलग डिजाइन के हैं जिन्हें एलएनटी कंपनी ने डिजाइन किया है. गर्भ गृह के दरवाजे की ऊंचाई 8 फीट है और दरवाजे की चौड़ाई 12 फीट है और अन्य दरवाजे की ऊंचाई केवल 8 फीट है और दरवाजे की चौड़ाई एक दूसरे से अलग है जो 12 फीट से कम है. जरूरत पड़ने पर दरवाजा आधा बंद या पूरा खोला जा सकता है
दरअसल, मंदिर उत्तर भारत की नागर शैली पर बनाया जा रहा है है. नागर शैली उत्तर भारतीय हिन्दू स्थापत्य कला की तीन में से एकवास्तुशास्त्र के अनुसार नागर शैली के मंदिरों की पहचान आधार से लेकर सर्वोच्च अंश तक इसका चतुष्कोण होना है. खास बात यह है नागर शैली के मंदिरों में लोहेऔर सीमेंट का इस्तेमाल नहीं होता है. भुवनेश्वर में स्थित लिंगराज मंदिर नागर शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. वहीं डिजाइन में मंदिर में प्रवेश के लिए चार अलग-अलग गेट सभी दिशाओं में बनाए गए हैं. सभी द्वार पर भारतीय संस्कृति की झांकियां भी मिलेंगी. साथ ही मंदिरमें प्रदर्शनी, मेडिटेशन हॉल, धर्मशाला, रिसर्च सेंटर, स्टॉफ के रहने के लिए घर, राम भगवान पर रिसर्च और साहित्य के लिए लाइब्रेरी भी बनाई जाए. मंडपों की हाइपांच मंडपों के गुंबद का आकार 34 फीट चौड़ा और 32 फीट लंबा और प्रांगण से ऊंचाई 69 फीट से लेकर 111 फीट तक है. मंदिर की लंबाई 380 फुट, चौड़ाई 250 फुट और चौड़ाई 250 फुट और प्रांगण से 161 फुट ऊंचा है. पूरे गर्भगृह को मकराना के संगमरमर से उकेरा गया है. मंदिर में 392 पिलर हैं. राम मंदिर के लिए 2100 किलो का घंटा 6 फुट ऊंचा और 5 फुट चौड़ा है. इसे घंटा घूंघरू-घंटी नगरी के नाम से मशहूर जलेसर में तैयार किया गया है. माह दिन-रात काम कर इस घंटे को तैयार करवाया गया है. इसकी लागत 25 लाख रुपये के करीब आई है. एक हफ्ते पहले शुरू हो जाएगा आयोजनप्राण-प्रतिष्ठा समारोह से ठीक एक हफ्ते पहले विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन शुरू हो जाएगा. शुरुआत नगर में झांकी निकालने के साथ होगी. इसमें भगवान राम के जन्म से लेकर वनवास तक की तस्वीरें होंगी. लंका पर विजय और अयोध्या वापसी की झलक भी देखने को मिलेगी.