रामकृष्ण परमहंस के कई शिष्य थे, जिनमें स्वामी विवेकानंद भी एक थे.
रामकृष्ण परमहंस जी की जयंती पर जानते हैं उनके अनमोल विचार और उपदेशों
महान संत, मां काली के परम भक्त और आध्यात्मिक गुरु रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को बंगाल के कामारपुकुर गांव में हुआ था. इसलिए इस दिन रामकृष्ण परमहंस जी की जयंती मनाई जाती है. इनके बचपन का नाम गदाधर चट्टोपाध्याय था. बचपन से ही धर्म और आध्यात्म के प्रति इनका झुकाव था.रामकृष्ण परमहंस के कई शिष्य थे. ये स्वामी विवेकानंद के भी गुरु रहे हैं. कहा जाता है कि रामकृष्ण परमहंस के उपदेश से ही विवेकानंद को जीवन की सही राह मिली और आधात्म प्रति रुचि बढ़ी. विवेकानंद ने रामकृष्ण परमहंस से जीवन के गूढ़ रहस्य और ज्ञान की बातों को जाना. वे हमेशा जीवनोपयोगी उपदेश दिया करते थे. रामकृष्ण परमहंस जी के उपदेश आपके जीवन में भी बहुत काम आएंगी.
संत का महत्व –अगर शक्कर और रेत को एकसाथ मिला दिया जाए तो चींटी रेत के कण को छोड़ देती है और शक्कर के दाने बीन लेती है. ठीक इसी तरह से एक संत बुरे लोगों में भी उसकी अच्छाइयों को ही ग्रहण करते हैं.अनुभव है श्रेष्ठ शिक्षक-व्यक्ति को अपने जीवन के अंत तक सीखना चाहिए और सीखने की इच्छी रखनी चाहिए क्योंकि जीवन में अनुभव की श्रेष्ठ शिक्षक है. लेकिन इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि अनुभव श्रेष्ठ होने के साथ ही कठिन शिक्षक भी है जो पहले परीक्षा लेता है और फिर सबक देता है.मैं बंधा हुआ नहीं हूं, मैं मुक्त हूं-मन ही व्यक्ति को बांधता है और मन ही मुक्त करता है. जो पक्के दृढ़ विश्वास से कहता है कि ‘मैं बंधा हुआ नहीं हूं, मैं मुक्त हूं’ वह मुक्त हो जाता है. वह मूर्ख है जो हमेशा रटता रहता है कि ‘मैं बंधन में हूं, मैं बंधा हुआ हूं’ वह हमेशा वैसा ही रह जाता है. ठीक इसी तरह जो बार-बार दिन-रात यह रटता है कि, ‘मैं पापी हूं, मैं पापी हूं, वह वाकई पापी ही बन जाता है.सभी के भीतर है ईश्वर तत्व –व्यक्ति तकिये की खोल की तरह है. एक खोल का रंग लाल , दूसरे का नीला और तीसरे का रंग काला है. लेकिन सबके अंदर रुई तो वही भरी हुई है. ठीक इसी तरह मनुष्यों में कोई एक सुंदर है, दूसरा बदसूरत है, तीसरा साधु तो चौथा दुष्ट है, लेकिन ईश्वर तत्व तो सभी के भीतर है.ईश्वर ही ‘सत्य’ है- सत्य बिना ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती है, क्योंकि सत्य ही भगवान है. इसलिए ईश्वर को प्राप्त करना है तो कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए और सदैव सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए.प्रयास से मिलती है सफलता –समुद्र में एक बार गोता लगाने के बाद अगर मोती न मिले तो इसका यह निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए कि समुद्र में रत्न या मोती है ही. बल्कि बार-बार प्रयास करना चाहिए, तभी आपको समुद्र में मोती और जीवन में सफलता दोनो मिलेगी.