रावलपिंडी की अदालत 9 मई को इमरान के खिलाफ दायर मामलों की सुनवाई 6 फरवरी को करेगी.
इमरान खान और बुशरा बीबी ने जोर देकर कहा कि फरवरी 2018 में आयोजित समारोह निकाह नहीं था,सार्वजनिक तौर पर यह केवल एक "दुआ" कार्यक्रम था
इस्लाम के खिलाफ निकाह करने के मामले में सजा मिलने के बाद इमरान खान ने कहा- उनको अपमानित करने के लिये यह केस साजिश थी. उन्होंने कहा हम पीछे हटने वालों में से नही हैं. रावलपिंडी की अदालत 9 मई को इमरान के खिलाफ दायर मामलों की सुनवाई 6 फरवरी को करेगी.इमरान खान और बुशरा बीबी ने जोर देकर कहा कि फरवरी 2018 में आयोजित समारोह निकाह नहीं था, बल्कि सार्वजनिक तौर पर यह केवल एक “दुआ” कार्यक्रम था. दूसरी तरफ अदालत ने मौलवी मुफ्ती सईद और अवन चौधरी की गवाही के आधार पर इसे “वैध निकाह” मानते हुए फैसला सुनाया. गवाही देने वाले लोग एक समय इमरान के करीबी माने जाते थे.
बुशरा बीबी ने अपने बयान में क्या कहा?
डॉन न्यूज के मुताबिक इमरान खान के खिलाफ इन गवाहों ने गवाही दी कि पहला निकाह 1 जनवरी, 2018 को हुआ था और दूसरा समारोह फरवरी 2018 में आयोजित किया गया था. इमरान खान और बुशरा बीबी ने भी अपने बयान दर्ज किए, जिसमें कहा गया कि उन्होंने ‘इद्दत’ समाप्त होने के बाद ‘निकाह’ किया था.इमरान खान ने इसे राजनीति से प्रेरित मामला बताया, जो उनकी गरिमा और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए बनाया गया था. बुशरा बीबी ने यह भी दावा किया कि उनके पूर्व पति खावर फरीद मेनका ने उन्हें अप्रैल में ही तलाक दे दिया था, लेकिन नवंबर 2017 में तलाक के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए. जोड़े ने अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें अपने बचाव में गवाह पेश करने की अनुमति दी जाए.दूसरी तरफ न्यायाधीश ने समान राहत की मांग करने वाले आवेदन में देरी होने की वजह से इसे खारिज कर दिया. शुरुआत में इस मामले में कथित व्यभिचार के लिए धारा 496-बी लगाई गई थी, लेकिन बाद में आरोप तय होने पर इसे हटा दिया गया.अदालत में अपनी गवाही के दौरान खावर मेनका ने दावा किया कि इमरान खान का 2014 से उनकी पत्नी के साथ संबंध था और वह “उनके घर पर अक्सर आते थे.” उन्होंने कहा कि उन्होंने बुशरा बीबी से बार-बार इमरान से मिलने से बचने के लिए कहा था, लेकिन बुशरा नहीं मानी. अंतिम उपाय के रूप में मेनका ने उन्हें तलाक दे दिया, लेकिन “इद्दत के दौरान ही बुशरा बीबी ने इमरान खान से निकाह” कर लिया.अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का वह फैसला जो न्यूनतम इद्दत अवधि को 39 दिनों के रूप में परिभाषित करता है, “इस विशेष मामले में प्रासंगिक” नहीं था. शिकायतकर्ता यह साबित करने में सक्षम है कि खान और बुशरा बीबी ने 1 जनवरी, 2018 को बेईमानी और धोखाधड़ी करके एक गैरकानूनी निकाह किया. 51 पेज के फैसले में कोर्ट ने कहा “धारा 496 पीपीसी के प्रावधान के तहत दोषी पाये जाने पर दोनों को 7-7 साल की साधारण कारावास की सजा सुनाई जाती है.”
पीटीआई ने फैसले की निंदा की
इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने कोर्ट के इस फैसले की निंदा करते हुए इसे ‘शरिया’ के विपरीत बताया. पीटीआई ने कहा कि यह निकाह और फैमिली लॉ पर एक “शर्मनाक हमला” और निजी मामलों में हस्तक्षेप है.पीटीआई के एक प्रवक्ता ने इद्दत को मामले को राजनीति बताते हुए कहा कि 8 फरवरी को मतदान के दौरान देश की जनता इस अन्याय के खिलाफ वोट करेगी. देश की जनता कुटिल और भ्रष्ट नेताओं को सत्ता से उतार फेंकेगी.