राजनीति

समाजवादी पार्टी ने शनिवार को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को गठबंधन के तहत 11 सीटें देने का एलान कर दिया

16 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा भी कर दी

समाजवादी पार्टी ने शनिवार को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को गठबंधन के तहत 11 सीटें देने का एलान कर दिया। जबकि कांग्रेस पार्टी की ओर से इन सीटों की सहमति को लेकर कोई भी औपचारिक एलान नहीं किया गया है। इसी बीच समाजवादी पार्टी ने मंगलवार शाम को उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से 16 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा भी कर दी। अब इसके साथ ही सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की सबसे ज्यादा हो रही है कि जिन 16 सीटों पर समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी घोषित किए हैं, उनमें कुछ सीटों पर तो कांग्रेस बीते काफी समय से न सिर्फ मेहनत करती आ रही थी, बल्कि राहुल-प्रियंका समेत तत्कालीन कांग्रेस शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्री ने उन सीटों पर डेरा तक डाल दिया था। कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेताओं की सीट पर भी समाजवादी पार्टी ने अपने प्रत्याशी उतार कर सियासी ताल ठोक दी है। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि क्या I.N.D.I गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।इसी शनिवार को समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने गठबंधन में शामिल कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 11 सीटों को देने की घोषणा की थी। हालांकि कांग्रेस पार्टी की ओर से 11 सीटों पर अभी तक आधिकारिक तौर से कोई भी पुष्टि नहीं हुई है। बल्कि कांग्रेस के नेताओं की ओर से लगातार दबी जुबान से बयान जरूर आते रहे कि अभी सीटों के समझौते पर बातचीत चल रही है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की होती रही कि जब कांग्रेस की ओर से सीटों पर सहमति नहीं हुई, तो समाजवादी पार्टी की ओर से 11 सीटें दिए जाने के क्या मायने निकल रहे हैं। सूत्रों की मानें तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच में गठबंधन होने के बाद भी सब कुछ बहुत अच्छा नहीं चल रहा है। यही वजह है कि सीटों के बंटवारे पर सपा और कांग्रेस के संयुक्त रूप से बयान आने की बजाय सिर्फ समाजवादी पार्टी की ओर से 11 सीटें दिए जाने का एलान कर दिया गया।

उत्तर प्रदेश में सपा की ओर से 11 सीटों को दिए जाने के एलान के बाद अभी सियासी उथल-पुथल थमी भी नहीं थी कि मंगलवार को अखिलेश यादव की ओर से 16 प्रत्याशियों के नाम और सीटें भी घोषित कर दी गईं। सियासी जानकार बताते हैं कि समाजवादी पार्टी ने जिन सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की है, उनमें कुछ सीटों पर तो कांग्रेस बीते कई सालों से न सिर्फ मेहनत कर रही थी, बल्कि वहां पर टिकट की दावेदारी भी कर रही थी। उत्तर प्रदेश के सियासी जानकार बताते हैं कि लखीमपुर में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे की घटना के बाद मारे गए सिखों के परिवारों से मिलने कांग्रेस का पूरा अमला जुटा था। जिसमें प्रियंका गांधी से लेकर राहुल गांधी और उस वक्त के सभी कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने लखीमपुर के इलाके में डेरा डाल दिया था। अब जब लोकसभा का चुनाव होने जा रहा है, तो समाजवादी पार्टी की ओर से लखीमपुर की दोनो लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए गए। ऐसे में यूपी के सियासी गलियारों में चर्चा हो रही है कि क्या यह सीटें भी कांग्रेस की सहमति के साथ ही समाजवादी पार्टी की झोली में आई हैं या अभी कांग्रेस की ओर से इस पर कुछ स्थिति स्पष्ट की जानी है।समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और लखीमपुर के पूर्व सांसद रवि वर्मा ने कुछ दिन पहले ही पार्टी का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ थामा था। सियासी गलियारों में कहा यही जा रहा था लखीमपुर में कांग्रेस ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे के मामले में बाद माहौल बनाया था। पूर्व सांसद रवि वर्मा और कांग्रेस को अनुमान यही था कि गठबंधन में कम से कम यह सीट तो उनके हिस्से आएगी ही। दरसल रवि वर्मा और उनकी मां ऊषा वर्मा समेत उनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री बालगोविंद वर्मा कई दशकों तक इसी लखीमपुर जिले की सीट से प्रतिनिधित्व करते आए हैं। बीते चुनाव में समाजवादी पार्टी से रवि वर्मा की बेटी पूर्वी वर्मा लखीमपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुकी हैं। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक पंकज वर्मा कहते हैं कि रवि वर्मा समाजवादी पार्टी छोड़कर इसीलिए कांग्रेस में गए थे कि उन्हें या उनकी बेटी को 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट मिलेगा। अब जब यह सीट समाजवादी पार्टी के हिस्से में चली गई है, तो सियासी गलियारों में चर्चाएं हो रही हैं कि क्या समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इसी तरह समाजवादी पार्टी ने मंगलवार को जो सीटें घोषित कीं, उसमें एक महत्वपूर्ण सीट फर्रुखाबाद की भी शामिल है। इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने डॉक्टर नवल किशोर शाक्य को अपना प्रत्याशी बनाया है। फर्रुखाबाद से कांग्रेस के कद्दावर नेता सलमान खुर्शीद चुनाव लड़ते रहे हैं। सियासी जानकारों की मानें तो कांग्रेस आने वाले लोकसभा चुनाव में फर्रुखाबाद सीट पर भी अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर रही थी। हालांकि जब समाजवादी पार्टी की ओर से 16 प्रत्याशियों की घोषणा की गई, तो उसमें एक लोकसभा सीट फर्रुखाबाद भी शामिल थी। सियासी जानकारों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच में सब कुछ ठीक नहीं दिख रहा है। इस पर खुलकर कांग्रेस के कोई भी नेता नहीं बोल रहे हैं। लेकिन दबी जुबान से कई कांग्रेस के नेताओं ने इस बात को स्वीकार किया है कि जो सीटें सपा की ओर से दी गई हैं, उससे उनकी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता संतुष्ट नहीं हैं।

JNS News 24

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