टेक्नोलॉजी

कयामत की घड़ी को वैज्ञानिकों ने एक बार फिर आधी रात से 90 सेकंड पहले पर सेट कर दिया

सांकेतिक घड़ी के अनुसार दुनिया प्रलय के करीब है.

प्रलय के दिन की घड़ी सांकेतिक रूप से दिखाती है कि हम तबाही के कितने करीब हैं. इसका समय एक बार फिर महाविनाश के करीब पहुंच गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक घड़ी पर आधी रात से 90 सेकंड पहले का समय दर्ज किया गया है. वैज्ञानिकों ने अपने हाथों से इस घड़ी के समय में बदलाव किया. यह घड़ी आधी रात के सबसे करीब है, लेकिन वैज्ञानिकों ने इसे और आगे बढ़ाने से रोक दिया है. उन्होंने कहा कि घड़ी के समय को बढ़ाने का कारण परमाणु हथियारों की नई होड़, यूक्रेन युद्ध और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चिंताएं हैं.इस घड़ी का समय परमाणु वैज्ञानिकों के बुलेटिन की ओर से हर साल बदला जाता है. 2007 से वैज्ञानिकों ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल समेत जलवायु परिवर्तन और एआई जैसे नए मानव निर्मित जोखिमों पर भी विचार किया है. मंगलवार को 2024 की घोषणा में बुलेटिन ने कहा कि चीन, रूस और अमेरिका सभी अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार या आधुनिकीकरण करने के लिए भारी रकम खर्च कर रहे हैं.

परमाणु युद्ध का खतरा बढ़ा- वैज्ञानिक
वैज्ञानिकों द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार गलती या गलत अनुमान के कारण परमाणु युद्ध का खतरा बढ़ गया है. यूक्रेन युद्ध को भी परमाणु हमले के जोखिम के तौर पर देखा जा रहा है. जलवायु परिवर्तन के जोखिमों को कम करने की कार्रवाई में कमी और उभरती जैविक प्रौद्योगिकियों और एआई के दुरुपयोग से जुड़े जोखिमों का भी हवाला दिया गया. बता दें कि डूम्सडे क्लाक को 1947 में परमाणु बम बनाने वाले जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर और उनके साथी अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बनाया था. अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर किए गए परमाणु हमले के बाद इस घड़ी को वैज्ञानिकों ने बनाया था. इस घड़ी के जरिए वे लोगों को चेतावनी देना चाहते थे. साथ ही चाहते थे कि दुनिया के नेताओं पर प्रेशर बने, ताकि इसका इस्तेमाल फिर कभी न हो सके.

डूम्सडे क्लॉक का इतिहास
-इस घड़ी का समय अब तक 25 बार बदला जा चुका है.
-1947 में जब यह बनाई गई तो इसमें आधी रात से पहले 7 मिनट का समय था.
-1949 में सोवियत ने न्यूक्लियर बम बनाया तो 3 मिनट बचे.
-1953 में अमेरिका ने हाइड्रोजन बम का टेस्ट किया, तब इस घड़ी में आधी रात से 2 मिनट बचे.
-1991 में शीत युद्ध की समाप्ति के बाद इसमें आधी रात से 17 मिनट बचे.
-1998 में भारत पाकिस्तान के न्यूक्लियर टेस्ट के बाद 9 मिनट बचे.
-2023 में यूक्रेन युद्ध के कारण घड़ी में आधी रात से 90 सेकंड बचे. अब भी वैज्ञानिकों के मुताबिक 90 सेकंड ही बचे हैं जो एक चिंता का विषय है.बता दें कि पिछले साल यानी 2023 में दुनियाभर में जंग के हालात को देखते हुए इस घड़ी में 3 साल में पहली बार 10 सेकेंड कम किए गए थे. वैज्ञानिकों के मुताबिक इस घड़ी में आधी रात का वक्त होने में जितना समय कम रहेगा उतना ही दुनिया में परमाणु युद्ध का खतरा और भी ज्यादा करीब होता जाएगा.

JNS News 24

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